Friday 29 November 2019

60. प्रो. चमनलाल जेएनयू का शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के बारे में आज़मगढ़ में व्...



प्रिय मित्र
, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह पर विश्व-विख्यात अधिकारी विद्वान् प्रो. चमन लाल जेएनयू का व्याख्यान आज़मगढ़ में नेहरू हाल में आज दिनांक 29.11.19 को आयोजित हुआ.

इस व्याख्यान में उन्होंने शहीद-ए-आज़म के जीवन, उनके परिवार की पृष्ठभूमि, उनके देश-काल की परिस्थिति का विस्तार में विश्लेषण किया है. शहीद-ए-आज़म को समग्रता में समझने में यह व्याख्यान अतिशय उपयोगी है.

साथ ही विनम्र अनुरोध है कि आप भी मेरे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें.

इसका लिंक है — https://www.youtube.com/channel/UCd-s... इसे you-tube पर केवल girijesh tiwari सर्च करके भी पाया जा सकता है. you-tube से मिलने वाले पैसे कुछ और बच्चों की निःशुल्क शिक्षा पर ख़र्च किये जायेंगे.

यह व्यक्तित्व विकास केन्द्र से अपलोड होने वाला साठवाँ वीडियो है. कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी सहायता करें. इसका लिंक है — https://youtu.be/4Gr-x7gpZdk

Personality Cultivation Center
व्यक्तित्व विकास केन्द्र आज़मगढ़ में कक्षा 8 और उसके ऊपर के विद्यार्थियों की निःशुल्क शिक्षा के लिये जन-सहयोग से चल रहा नॉन-एनजीओ प्रयोग है.

कृपया सम्पर्क तथा सहायता के लिये 9450735496 पर फोन करें.
ढेर सारे प्यार के साथ आपका गिरिजेश (29.11.19)

Wednesday 25 September 2019

59. शिक्षक और बेहतर माहौल में कक्षाओं में कैसे काम करें — गिरिजेश




प्रिय मित्र
, प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षक-समुदाय प्रबन्धन, विद्यालय-प्रशासन, कोर्स और विद्यार्थियों की उद्दण्डता के भीषण दबाव में अतिशय कम पारिश्रमिक पर अपना श्रम बेचने को विवश होता है. विद्यार्थी भी इस सच से बखूबी परिचित होते हैं. वे शिक्षक-दिवस पर शिक्षक को पेन का गिफ्ट दे कर, केक काट कर, कोल्डड्रिंक पिला कर और हैप्पी टीचर्स डेबोल कर सम्मान देने की परम्परागत औपचारिकता तो निभाते रहते हैं. परन्तु प्रतिदिन प्रत्येक घन्टी में उसे अपने अनुशासनहीन आचरण से अपमानित भी करते रहते हैं.


ऐसे में विकट समस्या है कि शिक्षक कैसे काम करें कि वे अपने शिक्षण-कर्म को आत्मसंतुष्टि के स्तर तक पहुँचा ले जा सकें और काम करते समय खुश हो सकें. इस विडियो के अन्त में आपको PITCH and FREQUENCY के बारे में एक चैप्टर पढ़ने को मिलेगा. इसलिये कि शिक्षक का मुँह लाउड-स्पीकर नहीं होता.


राहुल सांकृत्यायन जन इन्टर कॉलेज में और बेहतर माहौल में कक्षाओं में काम करने के बारे में शिक्षक-समुदाय के साथ पठन-पाठन के सामान्य दैनन्दिन कार्यक्रम को तोड़ कर प्रधानाचार्य श्री यू.सी.मिश्र की पहल पर आज एक आकस्मिक बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसले सबकी सहमति से लिये गये. अब देखना है कि वे लागू हो भी पाते हैं या नहीं.


बैठक का विडियो अपलोड किया जा रहा. ताकि और भी शिक्षक-गण को इन सुझावों पर सोेच सकें और सहमत होने पर लागू करके परिणाम देख सकें. यह व्यक्तित्व विकास केन्द्र से अपलोड होने वाला उन्सठवाँ वीडियो है.

कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी सहायता करें.

इसका लिंक है — https://youtu.be/I1pscUDC8T0


कृपया आप भी मेरे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें. इसका लिंक है

https://www.youtube.com/channel/UCd-sCEa4CJ9DIQ1d8Yc-ryw

इसे you-tube पर केवल girijesh tiwari सर्च करके भी पाया जा सकता है.

you-tube से मिलने वाले पैसे कुछ और बच्चों की निःशुल्क शिक्षा पर ख़र्च किये जायेंगे.


Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र आज़मगढ़ में कक्षा 8 और उसके ऊपर के विद्यार्थियों की निःशुल्क शिक्षा के लिये जन-सहयोग से चल रहा नॉन-एनजीओ प्रयोग है.

कृपया सम्पर्क तथा सहायता के लिये 9450735496 पर फोन करें.

ढेर सारे प्यार के साथ आपका गिरिजेश (24.9.19)




Sunday 4 August 2019

सहजता की साधना

प्रिय मित्र, किसी का प्रश्न है : क्या साधारण होना बेहतर है या असाधारण होना ? आत्मविश्वास और अवमानना के अन्तर्सम्बन्ध का प्रश्न जटिल है। फिर भी एक प्रयास....
असाधारण तो मदर नेचर ने आपको गढ़ने के दौरान ही बनाया है। आप जैसा कोई और नहीं है। इसे सामान्य और विशेष के अन्तर्सम्बन्ध के रूप में महर्षि कणाद का सप्तपदार्थी वैशेषिक दर्शन बताता है। साथ ही निःसन्देह ज्ञान की अपनी विशिष्ट शाखा में विशेषज्ञ भी आप हैं ही।
फिर भी मेरा अनुरोध है कि आप भी अपनी विशेषज्ञता के आत्मविश्वास के अतिरेक और अपनी अवमानना की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न आत्मसम्मान के दम्भ के द्वन्द्व से उभर कर सहजता की साधना करने का प्रयास करें।
मैं स्वयं भी कम से कम एक दशक से इसी सहजता की साधना में लगा हूँ। हर बार चूकते ही फेल होता रहता हूँ। साधना अभी जारी है। उसका अन्त अभी नहीं हो सका। विनम्रतापूर्वक अनुरोध करना लगभग सीख लिया।
ज़िन्दगी अक्सर हमारे साथ लुकाछिपी खेलती है। वह हमें चुपचाप सिखाती-पढ़ाती नदी के प्रवाह की तरह बढ़ती जाती है। कभी वह हमें प्रेरित और पुरस्कृत-सम्मानित करती है, तो कभी हताश और दण्डित करती है।
यह बिल्कुल मुमकिन है कि कभी भी किसी मामले में मेरा मत गलत हो और सामने वाले की सोच सही हो। अपनी बात ज़बरन थोपना अनुचित और जनवाद विरोधी है। ऐसा करना उसकी समझ, उसकी प्रतिबद्धता, उसके श्रम और उसके सम्मान के विरुद्ध है। अगर वह अड़ता है, तो उसे उसकी वाली कर लेने देना ही न्याय है। ऐसी स्थिति में परिणाम की प्रतीक्षा की जानी चाहिए।
यह जानते-समझते भी कि सामने वाले का मनोविश्लेषण उसकी समझ की सीमा साफ समझा रहा। तो भी उसकी भलाई करने का पूरे ईमान के साथ बार-बार प्रयास करता हूँ। कुछ गिने-चुने मामलों में वह मेरी बात समझ जाता है और आगे विकसित होता चला जाता है। परन्तु अधिकतर मामलों में वह मनमानी ही करता है। हानि होती है। फिर भी उसे सहन करने और फिर से उसे दुबारा समझाने पर आमादा रहता हूँ।
और एक मोड़ वह भी आता है, जब वह किसी तरह से न ही मेरी भावना को समझता है और न तो हर कोशिश के बाद भी अपनी भलाई के रास्ते पर आगे चलने की मेरी सलाह मानता है। वह पहले ही अपना अलग रास्ता चुन चुका होता है। अब वह अपने रास्ते पर ही बढ़ना चाहता है और बढ़ता चला जाता है। अगणित तथ्यों के प्रकाश में अन्ततः उसके बारे में मेरा भी मोह और भ्रम दोनों ही टूटता भी है। और थक-हार कर उसे छोड़ कर दूसरे नये-पुराने और लोगों की सेवा का फैसला लेेना पड़ता है।
अगर हमें पलायन नहीं करना है और दुनिया को बदलने की कोशिश में हस्तक्षेप करना है, तो इसके अलावा कोई विकल्प नहीं। हाँ, मैं और आप दोनों ही सात अरब में से मात्र एक हैं, एकमात्र नहीं। इस सत्य का बोध और इसे जीना दोनों हमें बेहतर बनाने और बेहतर कर ले पाने में मददगार और ज़रूरी है।
शायद मैं अपनी समझ आप तक पहुँचा सका। कृपया बताइयेगा।
यह मेरी अभिव्यक्ति की परीक्षा भी है। मेरे उस्ताद ने मेरे प्रशिक्षण-काल के दौरान मुझे दो डिग्रियाँ दी हैं। उनका कथन है - "डॉक्टर, तुम अव्यवहारिक और मूर्ख हो।"
ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश (पुनर्प्रस्तुति) 2.8.19.

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10214108316849743&set=a.2043969386669&type=3&eid=ARBRIm5inI4qOnFlosq_4OtX09lpuSGctPEKIoVP_VOHq9pXxkWa3cJ3mJy148npWDQuFrFe_R4XOT2b

Sunday 21 July 2019

57. सुन्दर व सस्ती A-4 साइज़ की नोटबुक बनायें और गिफ्ट करें — गिरिजेश



प्रिय मित्र, A-4 साइज़ के कागजों का पैकेट रु.200/- में मिलता है.
हर पैकेट में 500 पेपर होते हैं.
एक पैकेट से इन कुछ औज़ारों की मदद से 200 पेज की पाँच नोटबुक्स तैयार होती हैं.
बाज़ार में 200 पेज की A-4 नोटबुक की कीमत लगभग रु.100/- होती है. 
इस तरह हर बार रु.300/- की बचत होती है.
मैं अपने बड़े बच्चों के लिये इस तरह से ये नोटबुक्स बना ले रहा हूँ.
इस काम में मेरे फुरसत के 20 मिनट और थोड़ा-सा श्रम ख़र्च होता है.
अगर आप भी चाहें, तो बड़ी आसानी से यह काम करके अपने आस-पास के ज़रूरतमन्द छात्रों को गिफ्ट कर सकते हैं.
गिफ्ट देने वाला और गिफ्ट पाने वाला दोनों ही प्रसन्न होते हैं.
कृपया आप भी मेरे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें.
इसका लिंक है — https://www.youtube.com/channel/UCd-sCEa4CJ9DIQ1d8Yc-ryw
इसे you-tube पर केवल girijesh tiwari सर्च करके भी पाया जा सकता है.
you-tube से मिलने वाले पैसे कुछ और बच्चों की निःशुल्क शिक्षा पर ख़र्च किये जायेंगे.
यह व्यक्तित्व विकास केन्द्र से अपलोड होने वाला सत्तावनवाँ वीडियो है.
कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी सहायता करें.
इसका लिंक है — https://youtu.be/99Lzt3NGueQ
Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र आज़मगढ़ में कक्षा 8 और उसके ऊपर के विद्यार्थियों की निःशुल्क शिक्षा के लिये जन-सहयोग से चल रहा नॉन-एनजीओ प्रयोग है.
कृपया सम्पर्क तथा सहायता के लिये 9450735496 पर फोन करें.
ढेर सारे प्यार के साथ — आपका गिरिजेश (22.7.19)

Tuesday 21 May 2019

50. (I) अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्धति — गिरिजेश NUMBER, GENDER, PE...



  अंग्रेज़ी क्यों : अंग्रेज़ी हमारी मातृभाषा नहीं है. न ही यह भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है. यह समूचे एशिया महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. परन्तु विदेशी और देशी पूँजी के नौकर-चाकरों ने हमारे दिमाग में यह भ्रम भर दिया है कि अंग्रेज़ी ही सम्पर्क की वैश्विक भाषा है. परन्तु यह भी सत्य नहीं है. सत्य यह है कि अंग्रेज़ी अन्य सभी देशों और महाद्वीपों की ही नहीं अकेले समूचे यूरोप महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. यह केवल इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया की भाषा है. ब्रिटेन के उपनिवेशों में औपनिवेशिक सत्ता के प्रतिनिधि परस्पर तथा अपने गुलामों से सम्वाद करने में इसका इस्तेमाल किया करते थे. और शासक वर्ग की भाषा होने के चलते लोगों के बीच इसका ग्लैमर हुआ करता था. आज भी इसका इस्तेमाल मुख्यतः साम्राज्यवादी पूँजी और भारतीय पूँजी की सेवा में लगे हुए या लगने के लिये लालायित उन लोगों के बीच हो रहा है, जो व्यवस्था की सीढ़ियाँ चढ़ने और और समृद्ध होने का सपना पाले हुए हैं. हमारे देश के शासक वर्गों के प्रतिनिधियों द्वारा हमारी उच्चशिक्षा का माध्यम अभी भी स्थानीय भाषाओँ या हिन्दी की जगह अंग्रेज़ी को ही बनाये रखने का यही मूल कारण है.

 

आज और अंग्रेज़ी : दूसरे लोगों की चर्चा छोड़ भी दें, तो कल-कल तक हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तानका नारा लगाने वाले और स्वदेशी-स्वदेशीका जाप करने वाले भगवाई संघियों और साठ के दशक में हिन्दी आन्दोलनका नेतृत्व करने वाले समाजवादी धाराके शीर्षस्थ लोगों ने भी हिन्दी को किनारे लगा दिया है. सभी अब अंग्रेज़ी के दीवाने बने हुए हैं. चार अक्षर गलत-सही गिट-पिट अंग्रेज़ी कूट कर अबोध लोगों पर अपना रुआब ग़ालिब करने वाले गिरगिटों को जगह-जगह आत्ममुग्ध होते देखा जाता रहा है. औपनिवेशिक काल में तो सत्ता ने काले अंग्रेजोंको अपनी सेवा के लिये तैयार किया ही था. आज हमारे देश के महानगरों में ही नहीं, सभी छोटे नगरों तथा कस्बों के साथ ही गाँव-गाँव में अंग्रेज़ी बेचने वाली छोटी-बड़ी दूकानें लोकप्रिय हैं.

 

विश्वक्रान्ति के पाँचवे आचार्य माओ ने कहा था, “दुश्मन को जानो और दुश्मन की भाषा को जानो !आचार्य माओ के इसी सूत्र को लागू करने के लिये क्रान्तिकारी आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को भी अंग्रेज़ी सीखना आवश्यक है.

 

अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण

1. हमारी मातृभाषा नहीं होने के बावज़ूद अंग्रेज़ी सीखना बहुत ही आसान है. परम्परागत अवैज्ञानिक पद्धति से पढ़ाने वालों ने गणित और संस्कृत की तरह अंग्रेज़ी को भी कठिनविषय के रूप में कुख्यात कर दिया है. हालत यह है कि हिन्दी माध्यम के छात्र अंग्रेज़ी को लेकर हीन-भावना के शिकार रहे हैं और अंग्रेज़ी सीखने और बोलने से कतराते हैं. साथ ही अंग्रेज़ी माध्यम के भी अधिकतर छात्र ग़लत अंग्रेज़ी लिखते-बोलते हैं.

 

2. अक्षरों और शब्दों के उच्चारण की पद्धति की जानकारी के बाद सबसे पहले हिन्दी से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की कला पूरी तरह आनी चाहिए.

(अंग्रेज़ी के किन अक्षरों से कौन-सा शब्द बनता है और उसका उच्चारण कैसे किया जाता है इस मुद्दे पर एक पन्ने का प्रिन्ट-आउट उपलब्ध है. साथ ही अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्दति पर यू-ट्यूब पर मेरा एक व्याख्यान उपलब्ध है. उनके लिंक हैं —-https://www.youtube.com/watch?v=PVaM3sChYCM&feature=youtu.be तथा

http://young-azamgarh.blogspot.in/…/a-guide-for-pronunciati… )

 

3. अनुवाद सीखने के प्रथम चरण के आरम्भ में केवल number, gender, person और case पर पूरी पकड़ बनाइए.

 

4.List of verbs से verbs के तीनों forms याद कीजिए. इसके लिये याद करने की वैज्ञानिक पद्धति पर मेरे लेख और व्याख्यान की मदद लीजिए. उनका लिंक है

http://young-azamgarh.blogspot.in/2014/02/1214.html तथाhttps://www.youtube.com/watch?v=8TXURM8pdcU&feature=youtu.be

अब अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण पूरा हो गया...

 

परम्परागत पद्धति में जहाँ हिन्दी माध्यम वाले शिक्षक छात्रों को grammar सिखाने से शुरुआत करते हैं. कठिन से सरल, सूत्र से विवरण की ओर बढ़ने के कारण शिक्षण की यह पद्धति अरुचिकर और बोझिल होती है. इसके चलते ही अधिकतर छात्र अंग्रेज़ी से भागते हैं. वहीं अंग्रेज़ी माध्यम के शिक्षण में grammar सिखाते ही नहीं. इसका दुष्परिणाम यह होता है कि एक ओर हिन्दी माध्यम के छात्र बेहतर grammar आने पर भी हीन भावना के चलते भयभीत और आत्मविश्वास रहित रहने के कारण बोलने और लिखने में पहल नहीं लेना चाहते हैं, तो दूसरी ओर अंग्रेज़ी माध्यम के छात्र भी ज़िन्दगी भर ग़लत अंग्रेज़ी बोलते-लिखते चले जाते हैं और यह कुतर्क भी देते दिखाई देते हैं कि spoken english में grammar के सही होने की कोई ज़रूरत नहीं होती. परन्तु शिक्षण की वैज्ञानिक पद्धति में हम सरल से कठिन, विवरण से सूत्रों और भाषा से व्याकरण की ओर बढ़ते हैं. इसमें प्रत्येक चरण छात्रों के लिये रोचक और आसानी से समझ में आ जाने वाला है. इसमें दक्षता हासिल हो जाने के बाद आप न केवल धारा-प्रवाह बल्कि शुद्ध और सही अंग्रेज़ी बोल और लिख सकते हैं."

 

इनमें से किसी भी चरण में कोई दिक्कत होने पर मुझसे 09450735496 पर सम्पर्क कीजिए. young azamgarh ब्लॉग में उपलब्ध इस लेख का लिंक है :

https://young-azamgarh.blogspot.com/2015/12/19915.html

 

उम्मीद है इस व्याख्यान से अंग्रेज़ी सीखने में मदद मिलेगी. यह व्यक्तित्व विकास केन्द्र से अपलोड होने वाला पचासवाँ विडियो है. कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी सहायता करें.

 

कृपया आप भी मेरे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें. इसका लिंक है -

https://www.youtube.com/channel/UCd-sCEa4CJ9DIQ1d8Yc-ryw

इसे you-tube पर केवल girijesh tiwari सर्च करके भी पाया जा सकता है.

इससे मिलने वाले पैसे कुछ और बच्चों की निःशुल्क शिक्षा पर ख़र्च किये जायेंगे.

ढेर सारे प्यार के साथ आपका गिरिजेश

इसका लिंक है — https://youtu.be/PMklsKKIgig