Tuesday, 21 May 2019

50. (I) अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्धति — गिरिजेश NUMBER, GENDER, PE...



  अंग्रेज़ी क्यों : अंग्रेज़ी हमारी मातृभाषा नहीं है. न ही यह भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है. यह समूचे एशिया महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. परन्तु विदेशी और देशी पूँजी के नौकर-चाकरों ने हमारे दिमाग में यह भ्रम भर दिया है कि अंग्रेज़ी ही सम्पर्क की वैश्विक भाषा है. परन्तु यह भी सत्य नहीं है. सत्य यह है कि अंग्रेज़ी अन्य सभी देशों और महाद्वीपों की ही नहीं अकेले समूचे यूरोप महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. यह केवल इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया की भाषा है. ब्रिटेन के उपनिवेशों में औपनिवेशिक सत्ता के प्रतिनिधि परस्पर तथा अपने गुलामों से सम्वाद करने में इसका इस्तेमाल किया करते थे. और शासक वर्ग की भाषा होने के चलते लोगों के बीच इसका ग्लैमर हुआ करता था. आज भी इसका इस्तेमाल मुख्यतः साम्राज्यवादी पूँजी और भारतीय पूँजी की सेवा में लगे हुए या लगने के लिये लालायित उन लोगों के बीच हो रहा है, जो व्यवस्था की सीढ़ियाँ चढ़ने और और समृद्ध होने का सपना पाले हुए हैं. हमारे देश के शासक वर्गों के प्रतिनिधियों द्वारा हमारी उच्चशिक्षा का माध्यम अभी भी स्थानीय भाषाओँ या हिन्दी की जगह अंग्रेज़ी को ही बनाये रखने का यही मूल कारण है.

 

आज और अंग्रेज़ी : दूसरे लोगों की चर्चा छोड़ भी दें, तो कल-कल तक हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तानका नारा लगाने वाले और स्वदेशी-स्वदेशीका जाप करने वाले भगवाई संघियों और साठ के दशक में हिन्दी आन्दोलनका नेतृत्व करने वाले समाजवादी धाराके शीर्षस्थ लोगों ने भी हिन्दी को किनारे लगा दिया है. सभी अब अंग्रेज़ी के दीवाने बने हुए हैं. चार अक्षर गलत-सही गिट-पिट अंग्रेज़ी कूट कर अबोध लोगों पर अपना रुआब ग़ालिब करने वाले गिरगिटों को जगह-जगह आत्ममुग्ध होते देखा जाता रहा है. औपनिवेशिक काल में तो सत्ता ने काले अंग्रेजोंको अपनी सेवा के लिये तैयार किया ही था. आज हमारे देश के महानगरों में ही नहीं, सभी छोटे नगरों तथा कस्बों के साथ ही गाँव-गाँव में अंग्रेज़ी बेचने वाली छोटी-बड़ी दूकानें लोकप्रिय हैं.

 

विश्वक्रान्ति के पाँचवे आचार्य माओ ने कहा था, “दुश्मन को जानो और दुश्मन की भाषा को जानो !आचार्य माओ के इसी सूत्र को लागू करने के लिये क्रान्तिकारी आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को भी अंग्रेज़ी सीखना आवश्यक है.

 

अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण

1. हमारी मातृभाषा नहीं होने के बावज़ूद अंग्रेज़ी सीखना बहुत ही आसान है. परम्परागत अवैज्ञानिक पद्धति से पढ़ाने वालों ने गणित और संस्कृत की तरह अंग्रेज़ी को भी कठिनविषय के रूप में कुख्यात कर दिया है. हालत यह है कि हिन्दी माध्यम के छात्र अंग्रेज़ी को लेकर हीन-भावना के शिकार रहे हैं और अंग्रेज़ी सीखने और बोलने से कतराते हैं. साथ ही अंग्रेज़ी माध्यम के भी अधिकतर छात्र ग़लत अंग्रेज़ी लिखते-बोलते हैं.

 

2. अक्षरों और शब्दों के उच्चारण की पद्धति की जानकारी के बाद सबसे पहले हिन्दी से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की कला पूरी तरह आनी चाहिए.

(अंग्रेज़ी के किन अक्षरों से कौन-सा शब्द बनता है और उसका उच्चारण कैसे किया जाता है इस मुद्दे पर एक पन्ने का प्रिन्ट-आउट उपलब्ध है. साथ ही अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्दति पर यू-ट्यूब पर मेरा एक व्याख्यान उपलब्ध है. उनके लिंक हैं —-https://www.youtube.com/watch?v=PVaM3sChYCM&feature=youtu.be तथा

http://young-azamgarh.blogspot.in/…/a-guide-for-pronunciati… )

 

3. अनुवाद सीखने के प्रथम चरण के आरम्भ में केवल number, gender, person और case पर पूरी पकड़ बनाइए.

 

4.List of verbs से verbs के तीनों forms याद कीजिए. इसके लिये याद करने की वैज्ञानिक पद्धति पर मेरे लेख और व्याख्यान की मदद लीजिए. उनका लिंक है

http://young-azamgarh.blogspot.in/2014/02/1214.html तथाhttps://www.youtube.com/watch?v=8TXURM8pdcU&feature=youtu.be

अब अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण पूरा हो गया...

 

परम्परागत पद्धति में जहाँ हिन्दी माध्यम वाले शिक्षक छात्रों को grammar सिखाने से शुरुआत करते हैं. कठिन से सरल, सूत्र से विवरण की ओर बढ़ने के कारण शिक्षण की यह पद्धति अरुचिकर और बोझिल होती है. इसके चलते ही अधिकतर छात्र अंग्रेज़ी से भागते हैं. वहीं अंग्रेज़ी माध्यम के शिक्षण में grammar सिखाते ही नहीं. इसका दुष्परिणाम यह होता है कि एक ओर हिन्दी माध्यम के छात्र बेहतर grammar आने पर भी हीन भावना के चलते भयभीत और आत्मविश्वास रहित रहने के कारण बोलने और लिखने में पहल नहीं लेना चाहते हैं, तो दूसरी ओर अंग्रेज़ी माध्यम के छात्र भी ज़िन्दगी भर ग़लत अंग्रेज़ी बोलते-लिखते चले जाते हैं और यह कुतर्क भी देते दिखाई देते हैं कि spoken english में grammar के सही होने की कोई ज़रूरत नहीं होती. परन्तु शिक्षण की वैज्ञानिक पद्धति में हम सरल से कठिन, विवरण से सूत्रों और भाषा से व्याकरण की ओर बढ़ते हैं. इसमें प्रत्येक चरण छात्रों के लिये रोचक और आसानी से समझ में आ जाने वाला है. इसमें दक्षता हासिल हो जाने के बाद आप न केवल धारा-प्रवाह बल्कि शुद्ध और सही अंग्रेज़ी बोल और लिख सकते हैं."

 

इनमें से किसी भी चरण में कोई दिक्कत होने पर मुझसे 09450735496 पर सम्पर्क कीजिए. young azamgarh ब्लॉग में उपलब्ध इस लेख का लिंक है :

https://young-azamgarh.blogspot.com/2015/12/19915.html

 

उम्मीद है इस व्याख्यान से अंग्रेज़ी सीखने में मदद मिलेगी. यह व्यक्तित्व विकास केन्द्र से अपलोड होने वाला पचासवाँ विडियो है. कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी सहायता करें.

 

कृपया आप भी मेरे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें. इसका लिंक है -

https://www.youtube.com/channel/UCd-sCEa4CJ9DIQ1d8Yc-ryw

इसे you-tube पर केवल girijesh tiwari सर्च करके भी पाया जा सकता है.

इससे मिलने वाले पैसे कुछ और बच्चों की निःशुल्क शिक्षा पर ख़र्च किये जायेंगे.

ढेर सारे प्यार के साथ आपका गिरिजेश

इसका लिंक है — https://youtu.be/PMklsKKIgig