प्रिय मित्र,
आजमगढ़ में 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' के साप्ताहिक अध्ययन-चक्र में फोन के ज़रिये दूरस्थ वरिष्ठ साथियों के सम्बोधन सुनने की कड़ी में इस बार प्रस्तुत है प्रतिबद्ध गाँधीवादी विद्वान हिमांशु कुमार का तरुणों के लिये यह सरल, सुबोध और सार-गर्भित सम्बोधन| और इसके अन्त में उनकी ही आवाज़ में उनकी कविता –
“टूट गये सभी वहम और ग़लतफ़हमियाँ,
चलो अच्छा हुआ.... मगर ज़िद बाकी है...”
हमारे देश-समाज की वर्तमान विसंगतियों का विस्तृत विश्लेषण करने वाले इस व्याख्यान की आवाज़ आरम्भिक कुछ मिनट तक तकनीकी चूक के चलते धीमी है| उसके बाद आवाज़ सुधर गयी है| इस चूक के लिये मुझे खेद है|
यह व्याख्यान इस श्रृंखला का यह बीसवाँ व्याख्यान है| यह प्रयास युवा-शक्ति की सेवा में विनम्रतापूर्वक समर्पित है|
कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पड़ी द्वारा मेरी सहायता करें|
इसका लिंक यह है - http://youtu.be/W_OgnzWACHU
ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश
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