Tuesday 30 December 2014

___स्वाध्याय के लिये ग्रुप-स्टडी का प्रयोग ___

____ONE MORE INITIATIVE, ONE MORE SUCCESS____
NINE STUDENTS ARE SLEEPING 
TODAY 
AFTER THEIR STUDY IN 
'THE CENTER OF PERSONALITY CULTIVATION'. 
THEY ARE BEING PREPARED 
TO BECOME EXTRAORDINARY CITIZENS OF TOMORROW
TO CHANGE THE WORLD !
प्रिय मित्र, आज एक सुकूनदेह मुद्दे को आप के साथ साझा कर रहा हूँ.
आज 'व्यक्तित्व विकास केन्द्र' पर रात में रुक कर पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या चार हो गयी. कल से कुछ और छात्र यहाँ रुकने का फैसला कर चुके हैं.
साढ़े पाँच बजे अन्य छात्रों-छात्राओं को छोड़ देने के बाद जब वे आठ बजे तक मस्ती करने, नाश्ते के नाम पर रैदोपुर तिराहे पर जाकर नूडल्स खाने और फिर मेरा टिफिन मेरे अन्नदाता के घर से कालीचौरा से लाने के नाम पर दो घन्टे निकाल चुके थे.
तब उनको दो घन्टे नवीं और दसवीं की अंग्रेज़ी की किताब से दो-दो पैराग्राफ पढ़ाने का मौका मुझे मिला.
आज एक बार फिर मुझे अपने अस्तित्व, पहल, प्रयोग और सामर्थ्य के बारे में सुकून मिला.
आज एक बार फिर मुझे अपने जीवन की सार्थकता महसूस हुई.

दस बजे छोड़े जाने के बाद भी वे ग्यारह बजे तक अपना भोजन और एक दूसरे के साथ चुहल करते रहे. और यह बताने के बाद भी वे अपनी सहज गति से ही सोने तक पहुँच सके कि आत्मनिर्भर और स्वतन्त्र होने पर गप ठोंकने में आपका भरपूर समय बर्बाद होता है. और जब घड़ी से निर्णय कर लिया जाता है कि अब कोई नहीं बोलेगा, तो भी काफी समय तक हर अड़ोसी अपने पड़ोसी को धकियाता रहता है.
साथ-साथ रहने से इन छात्रों को ग्रुप-स्टडी का अवसर मिल रहा है. एक घंटा स्वाध्याय और फिर पाँच-दस मिनट का अवकाश. अगले घन्टे में दूसरे विषय का स्वाध्याय और इसी तरह दूर-दूर बैठ कर याद करने का प्रयास. इस प्रयास में गप करने से अपने साथियों को रोकने की कोशिश या फिर कुछ भी अनाप-शनाप विषय छेड़ कर सबको उसकी धारा में बहा ले जाने की चतुराई करने की चेष्टा. इस सब से उनके व्यक्तित्व में सकारात्मक पक्ष जुड़ते जाते हैं.
दशकों से मेरे कमरे में कुछ न कुछ छात्र अपना घर छोड़ कर रात-दिन रहते रहे हैं. उनको मेरे सतत सानिध्य में अन्य छात्रों-छात्राओं की तुलना में अधिक प्रशिक्षित होने का अवसर मिलता रहा है. और वे अपनी आगे की ज़िन्दगी में अपने इर्द-गिर्द के दूसरे लोगों से अलग अपनी पहिचान बना सके हैं.
इन छात्रों से भी मुझे इनके पहले मेरे साथ रहने वाले छात्रों की ही तरह उम्मीद है.
पुरखों ने कहा है - "होनहार बिरवान के होत चीकने पात..."
ढेर सारे प्यार के साथ — आपका गिरिजेश (15.12.14.)

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