प्रिय मित्र, यह व्याख्यान महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के गाँव कनैला में दिया गया था. राहुल आजमगढ़ के महान क्रान्तिकारी थे. उन्होंने जो क्रान्तिकारी साहित्य दिया, उसे पढ़ कर कई पीढ़ियों ने क्रान्ति का विज्ञान सीखा है.
इस व्याख्यान में हिन्दुत्व और क्रान्तिकारी विचारधारा के बीच की बहस में व्यक्तित्व विकास के विभिन्न चरणों का विश्लेषण है.
इसकी मदद से आप वक्तृता-कला की बोधगम्य और प्रवाहमान शैली में भाव-भंगिमा, हस्त-संचालन, आवाज़ का उतार-चढ़ाव और प्रभावी प्रस्तुति का तरीका भी सीख सकते हैं.
'व्यक्तित्व विकास परियोजना' के अन्तर्गत आजमगढ़ में चलाये जा रहे प्रशिक्षण में इसका उपयोग करके हम सकारात्मक परिणाम पा रहे है.
मेरा यह व्याख्यान इस श्रृंखला का नौवाँ व्याख्यान है.
कृपया युवा-शक्ति की सेवा में विनम्रतापूर्वक समर्पित इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पड़ी द्वारा मेरी सहायता करें.
- गिरिजेश
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