Babu Shandilya —
"एक सवाल है -
क्या तुम जिन्दा हो !
रुको पलट कर मत देखो
डायरी के पन्नें...
साँसों की गिनतियाँ
कोई नही लिखता...
अतीत की घुमावदार पगडंडियाँ
भविष्य के किसी शहर नहीं जाती...
वर्तमान एक अखबार है
सुबह का
जिसमें दर्ज पल-पल की खबर
बासी पड़ती जाती है आने वाले घन्टों में...
तुम्हारी प्रतीक्षा
एक प्रतिप्रश्न है प्रश्न से
उत्तर लम्बी यात्रा पर है...
समय की वीथियों में
तुम भ्रमित हो...
सब शाश्वत चिरन्तन है
नश्वरता में समाहित है
नवीन रचनाओं का उत्स...
महाकाव्य फिर लिखे जाएँगे!!"
(अभी तक मैंने जितने भी कविता-पोस्टर बनाये, उन सबमें मेरी दृष्टि में यह उत्कृष्टतम है. बनाने के बाद आप तक पहुँचाने में हुए विलम्ब के लिये मुझे खेद है.)
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