Sunday, 1 July 2012

व्यक्तित्व-विकास के लिए मुझको भी यह करना ही है!



प्रिय मित्र, व्यक्तित्व-विकास परियोजना के बारे में आप सभी की सकारात्मक और प्रेरक टिप्पड़ी के लिये आभार व्यक्त करना चाहता हूँ. प्रस्तुत हैं वे विशेषताएँ जिनको अपने व्यक्तित्व में विकसित कर लेने पर कोई भी इन्सान अपराजेय हो जाता है.

व्यक्तित्व-विकास के लिए मुझको भी यह करना ही है!
1- समयबद्ध दिनचर्या, नींद के घण्टे केवल 6, निजी टाइम-टेबुल बनाना एवं लागू करना
2- मन लगाकर काम करना, बेमन से न पढ़ना, तल्लीनता के सुख की अनुभूति में जीना
3- वर्तमानजीवी बनना, न तो अतीत के गीत गाना, न दिवा-स्वप्नों में ही वक्त गुजारना
4- व्यायाम तथा भोजन भरपूर करना
5- नशा-मुक्त रहना
6- सहर्ष श्रमदान की पहल लेना, सफाई में हाथ बँटाना, कामचोर नहीं श्रमजीवी बनना
7- पसीना सूखने से पहले पारिश्रमिक देने की स्वस्थ परम्परा कायम रखना
8- श्रम का सम्मान व श्रमसंस्कृति का पक्ष पुष्ट करना, सवारी न गाँठना, बेगारी न लेना
9- तर्क-सम्मत बातों को बेझिझक मान लेना, कठदलीली न करना, अपनी गलती सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना तथा स्पष्ट शब्दों में आत्मालोचना का साहस जुटाना
10- प्रतिदिन असली डायरी अवश्य और ईमानदारी से बनाना
11- लापरवाही न करना, गम्भीर माहौल बनाना
12- समझ-समझ कर पढ़ना,रटने के बजाय सोच-समझ कर और लिख कर याद करना
13- सीखी गयी बातों पर अपने साथियों के बीच बहस करना
14- सुन्दर अक्षरों में लिखना तथा अन्तिम अक्षर तक स्पष्ट उच्चारण कर के बोलना
15- प्रतिदिन एक पुस्तक से कुछ न कुछ पढ़ते हुए आद्योपान्त स्वाध्याय करना, तभी दूसरी पुस्तक उठाना
16- पुस्तकालय की पुस्तकों का नोट्स तथा पढ़ी गयी पुस्तकों की सूची बनाते जाना
17- विनम्रता परन्तु दृढ़ता से बातें करना, तर्क पूर्ण प्रतिवाद करना
18- जनसेवा व ज़रूरतमन्दों की मदद करना
19- दिमागी गुलामी से स्वयं को तथा दूसरों को मुक्त करने का सचेत प्रयास करना
20- लोगों की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखना
21- सहनशीलता, क्षमा तथा करुणा का विकास करना
22- शब्दों में अपने क्रोध को व्यक्त न करना, शान्त व सन्तुलित चित्त से संयम दिखाना
23- सहजता तथा सन्तुलन कायम रखना, तनाव पैदा न होने देना
24- परीक्षा में टाॅप करने-कराने के लिए घनघोर मेहनत करना
25- अराजक जीवन-शैली से पिण्ड छुड़ाने के लिए तकनीकी एवं अनुत्पादक समय को घटा कर उत्पादक श्रम-काल बढ़ाने का प्रयास करना, बातें कम - काम ज़्यादा करना
26- अपने प्रति निष्ठुर तथा दूसरों के प्रति उदार मानसिकता बनाना, परन्तु उदारतावाद के फन्दे में न फँसना, आत्मनिर्भर इकाई चलाना
27- सर्वोत्तम की कामना करना, सबसे बुरी हालत के लिए तैयार रहना
28- अवरोधों से विचलित न होना, अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या का संकल्प न करना
29- हीन-भावना की ग्रन्थि न पालना, अपने कृतित्व में आस्था रखना, नाउम्मीद न होना
30- अपमान, हानि, वेदना या पराजय मिलने पर विलाप न करना
31- अधीर न होना, विपरीत परिस्थिति में भी सफलता के लिए अनवरत प्रयास करना
32- आमने-सामने, दो-टूक सच बोलकर नुकसान उठाने के लिए तैयार रहना
33- सही का समर्थन, गलत का विरोध किसी भी कीमत पर करना
34- निर्बन्ध-निर्भीक व्यक्तित्व गढ़ना, कभी भी किसी से भी डरना नहीं
35- घमण्ड न करना, शेखी न बघारना, चोरी न करना, कपट न करना, झूठ न बोलना
36- किसी के हुक्म का गुलाम किसी कीमत पर भी न बनना, खुद को जो सही लगे वही करना
37- वचन देकर न फिरना, हर हालत में पूरी तरह निभाना
38- दूसरों की चूक से हुई हानि को झेल जाना तथा उनके विकास और सुधार का प्रयास तब तक करना, जब तक वे असाध्य ही साबित न हो जायें और तब जाकर उनसे सम्बन्ध तोड़ लेना ताकि अगले आदमी के लिए कोशिश शुरू की जा सके
39- अनिर्णय में न झूलना, निर्णय लेने का ख़तरा उठाना
40- भावनात्मक सम्बन्धों का विकास विचारधारात्मक स्तर तक करना, एकजुटता के घेरे का विस्तार करना
41- उपेक्षा, उपहास और अपमान करने से बचना, सामने चापलूसी तथा पीठ पीछे निन्दा किसी की भी किसी भी हालत में न करना
42- अन्धविश्वास नहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना और उसका विस्तार करना
43- आत्म-मन्थन, आत्म-विश्लेषण, आत्म-मूल्यांकन और आत्म-परिष्कार करना
44- प्रगतिशील विचारों को साकार करने का लक्ष्य बनाना और लक्ष्य-बद्ध जीवन जीना
45- सन्देह से सम्बन्ध की शुरुआत करना, आचरण के आधार पर सोच-समझ कर ही यकीन करना 46- स्वार्थ में अन्धे होकर कर्तव्य से गद्दारी न करना
47- लालच पर काबू पाना, उधार ली गयी वस्तु हड़प न करना, उसे लौटा देना अन्यथा समुचित क्षतिपूर्ति देना
48- कृतघ्न न होना, कृतज्ञता-ज्ञापन करना
49- फिजूलखर्ची से बचना, सही समय पर सही कार्य के लिए बचत करना
50- अच्छे लोगों को स्नेह और सम्मान देना तथा बुरे लोगों से नफ़रत करना
51- लोक-हित, लोक-मत और लोक-भय को सम्मान देना
52- कातरता के प्रदर्शन और सहानुभूति की लालसा से बचना
53- अन्याय के विरुद्ध विद्रोह ही करना, आत्म-समर्पण कभी नहीं
54- अनागत की आशंका के भय से मुक्त एवं निद्र्वन्द्व रहना
55- रचनात्मक प्रतिद्वन्द्विता तथा सकारात्मक प्रतिशोध की पद्धति का अनुसरण करना
56- लोगों के सुख-दुःख में साथ देना, उनका यकीन जीतना, विश्वास की हत्या न करना
57- अपनी पीड़ा को चेहरे पर झलकने न देना, आस-पास प्रसन्नतापूर्ण माहौल बनाना
58- व्यक्तिवाद को सामूहिकता के अधीन करने का सचेत अभियान चलाते रहना
59- सामूहिक कीर्ति का विस्तार करके देश-काल की सीमाओं को ध्वस्त कर देना और वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना देना
60- शोषक प्रवृत्ति से स्वयं को तथा अपने मित्रों को सतत बचाना
61- शोषण-मुक्त समाज-व्यवस्था की स्थापना के महासमर में अपनी भूमिका चुनना तथा आमरण उसका निर्वाह करना.
निवेदन है कि अगर इनमें से कोई बिन्दु अस्पष्ट प्रतीत हो और उसका मतलब समझ में न आ रहा हो, तो बेझिझक मुझसे सम्पर्क करें. इन बिंदुओं के सहारे स्वयं ही आत्म-मूल्यांकन करें और देखें कि इनमें से कौन-कौन से गुण आपके अन्दर पहले से ही हैं. और जो नहीं हैं उनको अपने व्यक्तित्व में उगाने का प्रयास करें. आपके इस प्रयास में किसी भी तरह की कठिनाई आने पर सहायता के लिये मैं विनम्रतापूर्वक उपलब्ध हूँ.


Dear friend,
The factors for personality-cultivation project are presented here, to transform you in an undefeatable person when developed in your personality.
As you know we are living in an era of globalisation and technology.
We need to keep pace with ever-evolving society; we can do that only by making us disciplined, proactive and visionary.
For this purpose only this project has been developed.
Gladly become the part of our project and think that I also have to do it to develop my personality :
1.       Time bound routine, only six hours of sleep, to make and apply personal time-table.
2.      When work, only work should be on mind (Remember Dance as if no one is watching), no reading reluctantly, live in the pleasure of involvement, one work at one time with full concentration will give ultimate pleasure in life and lead forward.
3.      Live in present, don’t get lost in past all the time, thinking about good memories. Once in a while remembrance of past is good, but all the time singing of past is a disease which kills slowly without even letting you know. And don’t waste time only in day-dreaming as it won’t yield anything fruitful either because Future is unpredictable and past is gone. Cherish your present and try to make it more beautiful and meaningful for better future.
4.       Maintain healthy and rich diet with sufficient exercise. Remember always Healthy Brain resides in healthy body.
5.       Lead life without any addiction. It leads to destruction only.
6.      Always take initiative to volunteer for manual labour happily, participate in cleaning, become active not idle. An idle person lives on other’s labour. So don’t become parasite.
7.       Maintain the healthy tradition of paying the wage before drying the sweat.
8.      Respect labour and strengthen the side of the culture of labour, don’t ride on the back of anyone, don’t force anyone to work without payment.
9.       Agree with logical statements without hesitation and publicly acknowledge the mistakes and have the courage to self-criticize in clear words.
10.   Prepare real diary daily honestly.
11.   No negligence, create serious atmosphere.
12.   Learn any chapter and try to understand it while reading; read, think, write and understand to memorize, rather than learning only by rote.
13.   Discuss the learned things among the peers and friends for better understanding of the subject and clear your own concept.
14.  Write in beautiful letters and speak clearly with fine articulation, punctuation, pronunciation up to the last character of the sentence.
15.   Read daily a little from the very first page up to the last page of a book for self-study and touch next book after finishing the first one.
16.   Prepare notes from the books of library while reading and make a list of those books.
17.   Speak politely but firmly and contradict logically.
18.   Serve the masses and help the needy.
19.   Conscious effort to free yourself and others from mental slavery of ages.
20.   Take care of the facilities and inconvenience of the people around.
        21.   Develop tolerance, forgiveness and compassion.
        22.   Do not react in harsh words in anger, show patience with cool and calm head.
        23.   Be natural, normal and balanced, do not create tensed environment around.
        24.   Work hard and motivate others also to strive for the best rank in examinations.
        25.   Work productively by increasing work-time to get rid of unproductive anarchic life style, less talks and more work should be the motto.
        26.   Be tough towards yourself and have generous attitude towards others, but don’t get trapped in the loop of liberalism. Beware of clever people who want to use you. Develop a self dependent unit.
        27.   Hope for the best and be prepared for the worst.
        28.   Don’t be scared of obstacles in life; don’t think of suicide by getting depressed.
        29.   Don’t feel inferiority-complex, believe in your creativity, don’t be hopeless.
        30.   Never lament on humiliation, loss, anguish or defeat.
        31.   Don’t be impatient; strive hard for success even in most adverse conditions.
       32.   Always be ready for loss by speaking the truth on face.
       33.   Support the right and oppose the wrong at any cost.
       34.   Carve a discreet and fearless personality, don’t be afraid of anybody anytime.
      35.   Don’t be self-conceited, don’t brag about oneself and others; don’t cheat and lie.
      36.   Do not accept slavery of anyone at any cost, do as feel right.
      37.   Keep promises, don’t backstab by changing your statements.
      38.   Tolerate the loss done by others and try for their improvement and development till they are not incurable and then only break away from them to try the same process for a next person.
      39.   Don’t stagger in indecisive mode like a pendulum, take the risk of decision-making.
     40.   Develop the emotional relations upto ideological level; strive to expand the circle of solidarity for unity in diversity.
     41.   Refrain from neglecting, mocking and insulting, don’t flatter in front of and slander behind anybody under any circumstances.
     42.   Keep scientific outlook and expand it, say no to superstition (We are species gifted with brain, why not to use it).
     43.   Delve into introspection, Self-analysis, self-evaluation, self-confrontation to come out of current typical mindset given by surrounding environment and thus self-refinement as per advancements in the personality. By this process only we can come out of our mental slavery of ages inflicted upon our souls like deep scars. Remember we are ever-evolving species; there is no limit to our learning and development.
      44.   Make aim to implement the realization of progressive thoughts and live life aim-bound.
      45.   Start any relation with suspicion, start believing on the basis of behavioural aspects by understanding in totality.
      46.   Don’t betray the duty becoming blind in selfishness.
      47.   Control the greed, don’t grab anything borrowed, return it or pay back proper compensation with entire due loss.
      48.   Don’t be thankless, express gratefulness.
      49.   Avoid extravagance, save for right work at right time.
      50.   Respect and love nice people and hate and stay away from cunning and crooked ones.
     51.   Respect the benefit and opinion of and fear from the masses.
     52.   Stay away from display of timidity and desire of getting sympathy.
     53.   Rebel against injustice, never surrender.
     54.   Be free from the fear of the suspicion of unknown future and live without wavering.
     55.   Follow the concept of creative competition and positive retaliation.
    56.   Participate in others’ happiness-sorrow, win their goodwill, and don’t kill their trust.
    57.   Don’t show your pains on your face, make jovial atmosphere around.
    58.   Continue conscious campaign to keep individualism under collectivity.
    59.   Beat off limitations of place and time by expanding collective fame and make it the source of inspiration for present and next generations.
    60.   Continuously save yourself and your friends from exploitative leaning.
    61.   Select your role in the great struggle of establishment of exploitation free scientific social system and play it till death.
I humbly request you to contact me without hesitation, if the sense of any of the above points is tough for you to understand. Please self-analyse through these points and see which qualities you already have in your personality and try to cultivate the missing ones. For any difficulty in cultivation of the personality project, I am ever-ready to help you…

      जाने कितने बुने थे सपनेजिन्हें दफ़न कर के मैं खड़ा हूँ;
जाने कितने गढे थे अपनेजिन्हें विदा कर के मैं अड़ा हूँ:

 मैं फिर परिन्दों के रू--रू हूँनयी उड़ानें सिखा रहा हूँ;
मैं इस ज़माने को मोड़ दूँगानये तराने बना रहा हूँ

                               गिरिजेश
(Please keep it safe, photocopy it and make it available to your friends)

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