प्रिय मित्र, यह कहानी 'तीसरे थप्पड़' के गाँधी जी के उत्तर के बारे में है. 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' आरम्भ करने से वर्षों पहले राहुल सांकृत्यायन जन इण्टर कॉलेज, आजमगढ़ के बच्चों को यह सुनायी गयी थी.मेरा यह व्याख्यान इस श्रृंखला का यह चौदहवाँ व्याख्यान है. यह प्रयास युवा-शक्ति की सेवा में विनम्रतापूर्वक समर्पित है.
कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पड़ी द्वारा मेरी सहायता करें. इसका लिंक यह है - http://youtu.be/yqrWEe-2e4s
- गिरिजेश
गाँधी जी के विरुद्ध बहुत कुछ लिखा-बोला गया है. आज भी गाँधी जी के विरुद्ध कुत्सा-प्रचार करने वालों की कमी नहीं है. परन्तु गाँधी जी के बारे में विश्लेषण किये बिना इस देश की आज़ादी की लड़ाई के बारे में पूरी और साफ़ समझ नहीं बनायी जा सकती. इसी अर्थ में गाँधी जी युग-पुरुष हैं. इस कहानी में गाँधी जी का एक नये कोण से मूल्यांकन करने का विनम्र प्रयास किया गया है.
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