आदमी सभ्य है
क्योंकि वह सभा के फ़र्ज़ अदा करता है
मतलब
रोशनी और भीड़ में
अपनों पर वार यदा-कदा करता है !
आदमी सभ्य है
रात्रिधर्मी बिच्छुओं की भाँति
बिना कुछ प्रचारे
(क्योंकि लोग जान जायेंगे)
अनजान अँधेरे में
डंक से कर लेता है चरणस्पर्श
क्योंकि
उसने सीख रक्खी है भली तहज़ीब !
आदमी और बिच्छू में भेद है
बिच्छुओं को देखते
रक्षार्थ हम उपचार करते हैं
मारते या दूर होते
भिन्न इससे
आदमी को दौड़ कर हम प्यार करते हैं
बेझिझक
मनुपुत्र पर एतबार करते हैं !
क्योंकि वह सभा के फ़र्ज़ अदा करता है
मतलब
रोशनी और भीड़ में
अपनों पर वार यदा-कदा करता है !
आदमी सभ्य है
रात्रिधर्मी बिच्छुओं की भाँति
बिना कुछ प्रचारे
(क्योंकि लोग जान जायेंगे)
अनजान अँधेरे में
डंक से कर लेता है चरणस्पर्श
क्योंकि
उसने सीख रक्खी है भली तहज़ीब !
आदमी और बिच्छू में भेद है
बिच्छुओं को देखते
रक्षार्थ हम उपचार करते हैं
मारते या दूर होते
भिन्न इससे
आदमी को दौड़ कर हम प्यार करते हैं
बेझिझक
मनुपुत्र पर एतबार करते हैं !
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