मेरे प्यारे दोस्तो और साथियो,
न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि हमारा प्यारा विश्वगुरु भारत राष्ट्र आज संकट के भीषण दौर से गुज़र रहा है!
भारतीय धनतन्त्र की संसदीय नौटंकी के नागनाथ बनाम साँपनाथ वाले खुले खेल के प्रमुख विपक्षी दल भा.ज.पा. पर इस बार की गर्मी का असर कुछ अधिक ही हुआ लग रहा है!
ऐसे भी दिल्ली की गर्मी जानलेवा कही जाती रही है!
मगर क्या इस बार दिल्ली की यह बदनाम गर्मी माननीय आडवानी जी के दिमाग़ पर मारक असर कर रही है?
या फिर वह बूढ़े घोड़े की तरह बेचारगी के शिकार हो कर सठिया गये हैं और सटक गये हैं?
या फिर माननीय मोदी जी महात्मा गाँधी जी वाले गुज़रात के माहौल को गरमाने के बाद दिल्ली के दिलेर 'दिल वालों' का दिल दहलाने पर बज़िद हो गये हैं?
आप में से जिस किसी के पास विश्वस्त सूत्रों से कोई भी विश्वसनीय ख़बर जैसे ही पहुँचे, उसका परम पुनीत कर्तव्य बनता है कि हर आम और ख़ास को ख़बरदार करे!
क्योंकि यह तो तय है कि खल्क ख़ुदा का, मुल्क बादशाह का और हुक्म शहर कोतवाल का ही है! मगर अब विकट प्रश्न है कि विश्व भर के हिन्दुओं की एक मात्र राष्ट्रीय पार्टी भा.ज.पा. किसकी है ? यह तो ज्ञानगुफा में साधना लीन आर.एस.एस. के त्रिकालदर्शी विशेषग्य ही अब शायद बता सकते हैं कि उनकी रिमोट-चालित भा.ज.पा. परम कट्टरवादी माननीय आडवानी जी की है या फिर हिन्दू-ह्रदय-सम्राट माननीय मोदी जी के 'मोदी गिरोह' वाले खूँखार भेड़ियों की....
यह सवाल क्या इतना मुश्किल है कि इतनी बुरी तरह से फँस गया है?
अभी फाइनल नतीज़ा तय हो ही नहीं पा रहा है!
आपकी भविष्यवाणी क्या है?
परन्तु कृपा करके कम से कम भगवान श्री राम के नाम पर पानी पी-पी कर कोसिए तो मत!
अरे इहलोक बिगड़ने से तो डरिए ही और परलोक जाने से भी तो डरना ही पड़ेगा न!
है कि नहीं?
आप सब के उत्तर का बेकरारी से इन्तेज़ार रहेगा मुझे!
लौटती डाक से उत्तर भेजना मत भूलियेगा!
ढेर सारे प्यार के साथ - आप का ही गिरिजेश
हमारी आवाज़ ग्रुप से -
Nilakshi Singh - एक उलझन है. भारत विश्वगुरु कब था?
Pradeep Kumar - हा हा हा ...बहुत सही गिरिजेश जी
Girijesh Tiwari - मुझे भी समझ में नहीं आता कि अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों यही बात विश्व-विजय पर आमादा हिन्दू-ह्रदय-सम्राट माननीय मोदी जी के अश्वमेध के घोडे के पीछे दौड़ते पैदल फेचकुर फेंकते रहने पर भी पूरा दम लगा कर लगातार चोकरते रहते हैं कि अखण्ड भारतवर्ष बार-बार खण्डित भले होता रहा है मगर वही विश्वगुरु था, है और रहेगा - चाहे उनके आका अति महाबली अमेरिका की कृपा से खुद विश्व ही रहे या न रहे!
Shail Tyagi Bezaar - sir ab to sukhad din aane wale hain, raam raajya qaayam hone wala hai hai , sab kuchh modimay aur raam'may ho jayega:D
Girijesh Tiwari - अरे भैया, कहीं राम-राज्य लाते-लाते लाने वालों का ही राम-नाम सत्य न हो जाये! इस कलमुँही राजनीति का कभी कोई भरोसा रहा है क्या? इसके खेल में दीखता कुछ है और होता है कुछ और ही! सो असली मामला तो परदे के पीछे बैठे इन सभी कठपुतलियों को नचाने वाली अंगुलियों को घुमाने वाला चुप्पा जोकर ही जानेगा न! हम-आप तो केवल दर्शक ही ठहरे! जो भी दिखाया जायेगा खेल के नाम पर देखना ही पडेगा हम सब को! कल तक मोदी जी राम-राज्य ला रहे थे, आज आडवानी जी राम-राम करते रूठे हैं, कल का खेल कुछ और ही होगा! अब एक ही खिलाड़ी कब तक खेल सकता है? टी.आर.पी. का भी तो सवाल है!
Shail Tyagi Bezaar - mujhe to is 'raam' naam me hee kuchh gadbad maaloom hoti hai
Girijesh Tiwari - गड़बड़ ज़रूर होगी, नहीं तो बहुतै पुरानी कहावत है भैया जिसको हमारे चतुर पुरखे ऐसे ही थोड़े कह गये हैं - "मुँह में राम, बगल में छूड़ी, आयल बघवा ले गयल मूड़ी" !
No comments:
Post a Comment