प्रिय मित्र, यह कहानी एक ऐसे इन्सान की कहानी है, जो दुनिया बदलने के काम में लगता है| उसे अपने अभियान में आगे बढ़ने के लिये अपना घर-परिवार छोड़ कर ‘सड़क का आदमी’ बनना पड़ता है| हर कदम पर उसे तरह-तरह के लोगों से मिलने और जुड़ने का मौका मिलता जाता है| उनमें से भी बहुत-से लोग अलग-अलग कारणों से पीछे छूटते रहते हैं और नये-नये सम्पर्क-सम्बन्ध बनते चले जाते हैं| और इस तरह उसका अभियान नित नूतन ऊर्जा के साथ आगे बढ़ता रहता है|
'व्यक्तित्व विकास परियोजना' आरम्भ करने से वर्षों पहले आजमगढ़ के राहुल सांकृत्यायन जन इण्टर कॉलेज में बच्चों को यह सुनायी गयी थी|.
मेरा यह व्याख्यान इस श्रृंखला का यह सोलहवाँ व्याख्यान है| यह प्रयास युवा-शक्ति की सेवा में विनम्रतापूर्वक समर्पित है|
कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पड़ी द्वारा मेरी सहायता करें|
इसका लिंक यह है - http://youtu.be/YA0OqBgYUYE
ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश
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