Thursday, 30 August 2012

"मैं घंटा हूँ - बजता ही रहूँगा, जब तक जिन्दा हूँ!" - गिरिजेश


 लोग चूँकि दो ही तरह के होते हैं - परिवर्तनकामी और परिवर्तनविरोधी.
इसीलिये आवाज़ें भी दो ही तरह की होती रही हैं -
एक कहती है - "मेरी आवाज़ सुनो!"
दूसरी कहती है - "यह आवाज़ डिस्टर्ब कर रही है. इसका गला घोंट दो!"

मैं घंटा हूँ, वक्त-बेवक्त बजना ही मेरा काम है, बजते रहना ही मेरी फ़ितरत.
जिन्दगी भर बजते चले जाना ही है मेरी नियति.
मैं बजता ही रहा हूँ, बज रहा हूँ, बजता ही रहूँगा, जब तक जिन्दा हूँ.

मेरी आवाज़ तुम्हारे कानों में गूँजती है और तुमको डिस्टर्ब करती है.
तुम मेरी आवाज़ का गला घोंट सकते हो.
मगर बाद मेरे मरने के भी मेरी आवाज़ की प्रतिध्वनि तुम्हें जीवन भर डिस्टर्ब ही करती चली जायेगी.

माना मैं दुनिया को बदलने की कसम खा कर भी दुनिया को नहीं बदल सका.
सच का वार झूठ पर नहीं चल सका.
मगर दुनिया भी अपनी औकात समझ चुकी.
हर कोशिश, साज़िश, दाँव-पेंच, चालाकी, मक्कारी कर चुकी.
दुनिया मेरे ऊपर हर हथकण्डा, हर ताकत आज़मा चुकी, थक-हार चुकी.
मुझे अपने सींगें कटवा कर बछड़ा बन जाने की सीख दे चुकी.
ताकि हर औना-पौना-बौना मुझे बेख़ौफ़ हो कर सहलाता रह सके.
मुझे 'मीठा सच' बोलने का पाठ पूरी संज़ीदगी से पढ़ा चुकी.
बदले में मैं अपने महीन, ज़हीन, मधुरभाषी और दुनियादार उस्तादों से आखिरी हद तक कड़वा झूठ बोलवा चुका.

और अब नतीज़ा है सामने - दुनिया भी मुझे तो नहीं ही बदल सकी.
न मैं दुनिया को बदल सका, न दुनिया मुझे.
ले-दे कर हिसाब-किताब बराबर.
न मेरे ऊपर दुनिया का क़र्ज़, न दुनिया के ऊपर मेरा ब्याज.

और अब जब आखिरी साँस है नज़दीक,
मैं पूरी आन-बान-शान से खुशी-खुशी दुनिया को कहना चाहता हूँ -
"अलविदा! कल फिर मिलेंगे!"
हाँ, तब मेरा नाम कुछ और होगा.
मगर तुम्हारी तो वही रहेगी पहिचान - झूठ, कपट, लम्पटई, बेहयाई और ढका-छिपा या नंगा स्वार्थ.
टक्कर एक बार फिर होगी, और फिर-फिर होगी.
तब तक - जब तक दुनिया हार नहीं जाती और मैं जीत नहीं जाता सच के सहारे.

हाँ, एक बात और - अपनी दुनिया अटल, अपरिवर्तनीय, जड़ तो नहीं है.
दुनिया बदल तो रही ही है.
हाँ, परिवर्तन की रफ़्तार थोड़ी धीमी ज़रूर है.
और बदलाव की बयार की दिशा अभी वाम नहीं दक्षिण है.
मगर बयार की दिशा कब बदलेगी - इसे न तुम बता सकते हो और न ही मैं.
हाँ, इतना तय है कि दिशा बदलेगी ज़रूर,
क्योंकि बार-बार पुरवा हवा ने पछुवा हवा को पछाडा है.
और फिर एक बार जल्दी ही पछाड़ने वाली है.

1 comment:

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