Thursday, 9 August 2012

मुक्तिबोध डी.जे. पर कर रहा है डान्स आज!






1 comment:

  1. मुक्तिबोध हिंदी साहित्य के एवरेस्ट हैं. उनकी ऊँचाई तक पहुँचना क्या नितान्त असंभव ही नहीं है ? मेरे सबसे प्रिय साहित्यकार हैं मुक्तिबोध. उनके अनूठे प्रतीक और बिम्ब जीवन और प्रकृति के विराट फलक पर एक के बाद एक अनवरत उगते चले आते हैं. और आप से कहते रहते हैं - मेरे जैसा बनो. मैं हूँ बबूल. अनन्यता ही मेरी पहिचान है और असंग ही मेरी पीड़ा. उनका समूचा जीवन, चिन्तन, कृतित्व और आचरण हम सब से अनुकरण की अपेक्षा करता है. क्या आने वाले कल का मुक्तिबोध आज तैयार किया जा रहा है! आज के साहित्यिक पुरोधाओं के कंधे पर भारी ज़िम्मेदारी है.

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