Yadav Shambhu - आज खबर 'जनसत्ता' की
मोटे भाई ने हड़पा है जब से 'मोटा माल',
छोटा भाई उछल रहा है कह कर उसे दलाल;
मोटा बोला "चुप कर छोटू, क्यों इतना चिल्लाता?
जब भी मौका पाता, तूँ भी 'छोटा माल' उड़ाता.
जब भी तूँ चोरी करता है मैं किसको बतलाता?"
देखो लोगों धन की देवी कैसे नाच रही है!
खुल्लमखुल्ला अरे पहाड़ा उलटा बाँच रही है.
दो-दो आँखें होने पर भी हमको कहती अन्धा!
इसकी कितनी ज़ुर्रत है, है कैसा इसका धन्धा!
अठखेलियाँ कर रहा देखो है धन का जंजाल,
चम-चम-चम चमक रहा है कारपोरेट का माल;
कैसे-कैसे जादूगर हैं, कैसा यह इंद्रजाल,
ठुमक-ठुमक चल रहे तंत्र की मनमोहनी है चाल.
इधर खड़े मोदी गुर्राते, है उनका क्या कहना!
और उधर हैं अटल चमकते, जैसे नकली गहना;
बी.जे.पी. है गगन बिहारी, फोटो करे कमाल,
लुटा देश का माल दोस्तो, लुटा देश का माल.
गेहूं की है चोर-बाजारी, है हम सब की भी लाचारी,
हाल बहाल हुआ जनता का, बने न कोई काम;
बेबस हो कहती है केवल "त्राहिमाम-त्राहिमाम",
"एक किसान आज कर्जे से फांसी झूल गया है",
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