Thursday 5 December 2013

आत्मसंघर्ष और सरोकार - गिरिजेश



प्रिय मित्र, अपने सरोकारों के चलते हममें से हर एक को आजीवन संघर्षरत रहना पड़ता है| 
इस संघर्ष का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है – “अपने ख़ुद के विरुद्ध संघर्ष”| 
इस आत्म-संघर्ष को लेकर मन तनावग्रस्त और व्यथित रहता है| 
इस व्यथा के कारण और उसके निवारण का विश्लेषण करने पर ही किंकर्तव्यविमूढ़ता के द्वंद्व से मुक्ति सम्भव हो पाती है| 
और हम यह निर्णय कर ले जाते हैं कि अब क्या करना है और क्यों|

इस विषय पर आजमगढ़ में 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' के साप्ताहिक अध्ययन-चक्र में गत रविवार (1.12.13) को दिया गया मेरा यह व्याख्यान इस श्रृंखला का पच्चीसवाँ व्याख्यान है|

यह प्रयास युवा-शक्ति की सेवा में विनम्रतापूर्वक समर्पित है|
कृपया इस प्रयास की सार्थकता के बारे में अपनी टिप्पड़ी द्वारा मेरी सहायता करें|
ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश 
इसका लिंक है - http://www.youtube.com/watch?v=aVgutwJZ8pc&feature=youtu.be

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