Saturday 12 December 2015

___ अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्धति — गिरिजेश (19.9.15.) ___


अंग्रेज़ी क्यों !
अंग्रेज़ी हमारी मातृभाषा नहीं है. न ही यह भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है. यह समूचे एशिया महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. परन्तु विदेशी और देशी पूँजी के नौकर-चाकरों ने हमारे दिमाग में यह भ्रम भर दिया है कि अंग्रेज़ी ही सम्पर्क की वैश्विक भाषा है. परन्तु यह भी सत्य नहीं है. सत्य यह है कि अंग्रेज़ी अन्य सभी देशों और महाद्वीपों की ही नहीं अकेले समूचे यूरोप महाद्वीप की भी भाषा नहीं है. यह केवल इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया की भाषा है. ब्रिटेन के उपनिवेशों में औपनिवेशिक सत्ता के प्रतिनिधि परस्पर तथा अपने गुलामों से सम्वाद करने में इसका इस्तेमाल किया करते थे. और शासक वर्ग की भाषा होने के चलते लोगों के बीच इसका ग्लैमर हुआ करता था. आज भी इसका इस्तेमाल मुख्यतः साम्राज्यवादी पूँजी और भारतीय पूँजी की सेवा में लगे हुए या लगने के लिये लालायित उन लोगों के बीच हो रहा है, जो व्यवस्था की सीढ़ियाँ चढ़ने और और समृद्ध होने का सपना पाले हुए हैं. हमारे देश के शासक वर्गों के प्रतिनिधियों द्वारा हमारी उच्चशिक्षा का माध्यम अभी भी स्थानीय भाषाओँ या हिन्दी की जगह अंग्रेज़ी को ही बनाये रखने का यही मूल कारण है.

आज और अंग्रेज़ी !
दूसरे लोगों की चर्चा छोड़ भी दें, तो कल-कल तक ‘हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान’ का नारा लगाने वाले और ‘स्वदेशी-स्वदेशी’ का जाप करने वाले भगवाई संघियों और साठ के दशक में ‘हिन्दी आन्दोलन’ का नेतृत्व करने वाले ‘समाजवादी धारा’ के शीर्षस्थ लोगों ने भी हिन्दी को किनारे लगा दिया है. सभी अब अंग्रेज़ी के दीवाने बने हुए हैं. चार अक्षर गलत-सही गिट-पिट अंग्रेज़ी कूट कर अबोध लोगों पर अपना रुआब ग़ालिब करने वाले गिरगिटों को जगह-जगह आत्ममुग्ध होते देखा जाता रहा है. औपनिवेशिक काल में तो सत्ता ने ‘काले अंग्रेजों’ को अपनी सेवा के लिये तैयार किया ही था. मगर आज तो ‘मोदी गिरोह’ की सरकार है. सटोरिया पूँजी की जनविरोधी फ़ासिस्ट सत्ता का आज देश में असह्य और वीभत्स दौर है. मीडिया के प्रचार-तन्त्र में फर्ज़ी विज्ञापनों के दम पर और नितान्त झूठे ‘चुनावी जुमलों’ का सहारा ले कर और मासूम जन-गण को सतरंगे सपनों का धोखा दे कर धूर्त ‘मोदी-गिरोह’ ने सत्ता की सीढ़ियाँ चढीं हैं. ‘संघ-परिवार’ ने ‘शिशु-मन्दिरों’ के संस्कृत-निष्ठ धोतीधारी आचार्यों के दशकों के अनवरत श्रम का यथासम्भव शोषण किया है, उन आचार्यों ने ‘अन्धहिन्दूवादियों की पीढ़ियाँ’ तैयार करने में अपनी जवानी खपायी है. उन सब की पीठ पर पैर रख कर दूसरी बार सत्ता-सुख भोग रहे ‘संघियों-भाजपाइयों’ ने उन सब को सर्वथा अनाथ कर दिया है. चाय बेचने से ज़िन्दगी शुरू करने वाले बड़े साहब भी अपने लगुओं-बझुओं के साथ उल्टी-पल्टी अंग्रेज़ी ‘बूकने’ में मगन हैं. आज हमारे देश के महानगरों में ही नहीं, सभी छोटे नगरों तथा कस्बों के साथ ही गाँव-गाँव में अंग्रेज़ी बेचने वाली छोटी-बड़ी दूकानें लोकप्रिय हैं.

अंग्रेज़ी और इन्कलाब !
विश्वक्रान्ति के पाँचवे आचार्य माओ ने कहा था, “दुश्मन को जानो और दुश्मन की भाषा को जानो !” आचार्य माओ के इसी सूत्र को लागू करने के लिये क्रान्तिकारी आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को भी अंग्रेज़ी सीखना आवश्यक है.

अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण —
1. हमारी मातृभाषा नहीं होने के बावज़ूद अंग्रेज़ी सीखना बहुत ही आसान है. परम्परागत अवैज्ञानिक पद्धति से पढ़ाने वालों ने गणित और संस्कृत की तरह अंग्रेज़ी को भी ‘कठिन’ विषय के रूप में कुख्यात कर दिया है. हालत यह है कि हिन्दी माध्यम के छात्र अंग्रेज़ी को लेकर हीन-भावना के शिकार रहे हैं और अंग्रेज़ी सीखने और बोलने से कतराते हैं. साथ ही अंग्रेज़ी माध्यम के भी अधिकतर छात्र ग़लत अंग्रेज़ी लिखते-बोलते हैं.

2. अक्षरों और शब्दों के उच्चारण की पद्धति की जानकारी के बाद सबसे पहले हिन्दी से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की कला पूरी तरह आनी चाहिए. 
(अंग्रेज़ी के किन अक्षरों से कौन-सा शब्द बनता है और उसका उच्चारण कैसे किया जाता है – इस मुद्दे पर एक पन्ने का प्रिन्ट-आउट उपलब्ध है. साथ ही अंग्रेज़ी सीखने की वैज्ञानिक पद्दति पर यू-ट्यूब पर मेरा एक व्याख्यान उपलब्ध है. उनके लिंक हैं —-https://www.youtube.com/watch?v=PVaM3sChYCM&feature=youtu.be तथा

3. अनुवाद सीखने के प्रथम चरण के आरम्भ में केवल number, gender, person और case पर पूरी पकड़ बनाइए.

4.List of verbs से verbs के तीनों forms याद कीजिए. इसके लिये याद करने की वैज्ञानिक पद्धति पर मेरे लेख और व्याख्यान की मदद लीजिए. उनका लिंक है —
अब अंग्रेज़ी सीखने का पहला चरण पूरा हो गया.

दूसरा चरण —
5. अब आप अनुवाद सीखना शुरू कर सकते हैं. सबसे पहले pre-tense sentences (this, that, these, those, be के सभी रूपों (is, am, are, was, were, will be, shall be), has, have, had, it, there, can, may, तथा imperative sentences) का अनुवाद कीजिए.

6. अब active voice में tense के तीनों forms (present, past, future) के पाँचो तरह के वाक्यों (affirmative, negative, interrogative, interrogative-negative और wh-type sentences) का अनुवाद करना सीखिए.

7. Tense के वाक्यों के अनुवाद का अभ्यास करने और उन पर पूरी पकड़ होने का आत्मविश्वास बन जाने के बाद direct-indirect और active-passive सीखिए.
अब अंग्रेज़ी सीखने का दूसरा चरण पूरा हो गया.

तीसरा चरण —
8. Translation की कला सीखने के साथ ही prose के कम से कम दो chapters को एक-एक paragraph करके पढ़िए तथा उनमें आये हुए कठिन शब्दों का हिन्दी और अंग्रेज़ी में अर्थ याद कीजिए.

9. Word-meaning के बाद उस paragraph का danse of finger की पद्धति से हिन्दी में अनुवाद करने का प्रयास कीजिए. Danse of finger पद्धति में अंग्रेज़ी के किस शब्द के बाद कौन-सा शब्द लगाने से सही हिन्दी अनुवाद बनेगा – इसका अभ्यास करते हैं. चूँकि दोनों भाषाओँ में वाक्य-विन्यास में शब्दों का क्रम भिन्न-भिन्न होता है, इसी वजह से आपको अंग्रेज़ी वाक्य से हिन्दी वाक्य-रचना का प्रयास करने में विभिन्न शब्दों और शब्द-समूहों को उनके सही स्थान पर क्रमबद्ध करने के लिये अपनी क़िताब पर अपनी अंगुली आगे से पीछे और पीछे से आगे ले जानी होती है.

10. Prose के दो chapters के सभी paragraphs का हिन्दी में अनुवाद और हिन्दी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओँ में अपने शब्दों में छोटे-छोटे वाक्यों में explanation करने का प्रयास कीजिए.

जिस किसी हिन्दी शब्द की अंग्रेज़ी या तो न आती हो, या उस समय दिमाग पर न चढ़े, तो उसकी जगह दूसरे शब्द या शब्द-समूहों से काम चलाने का वैसे ही प्रयास कीजिए जैसे नदी अपनी धारा के बीच चट्टान आ जाने पर उस समय विवशता के चलते उसके अगल-बगल से भले ही चुपचाप गुज़र तो जाती है, मगर उसे अपनी धारा की हर बूँद से लगातार रगड़ती जाती है और वक्त गुज़रने के साथ उसे बालू के छोटे-छोटे कणों में बदल देती है.

भले ही परीक्षा में केवल अंग्रेज़ी में लिखना होता है, परन्तु आरम्भ में हिन्दी में अनुवाद और explain करने से आपके बोध के स्तर और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. शुरू में ही हिन्दी में अनुवाद और व्याख्या करने की ज़रूरत होती है. बाद में अंग्रेज़ी भाषा पर पकड़ बढ़ने के बाद आप सीधे अंग्रेज़ी में explanation कर ले जायेंगे. जहाँ अनुवाद में लेखक या कवि के शब्दों और वाक्यों को यथासम्भव मूल रूप में बनाये रखना होता है, वहीं explain करते समय लेखक अथवा कवि के शब्दों को पूरी तरह छोड़ कर अपने शब्दों में उसके सन्देश को विस्तार से व्यक्त करना होता है. शुरू में explanation में मूल कविता में आये सभी शब्दों को छोड़ कर अपने शब्दों में सरल वाक्य-रचना करने का प्रयास कीजिए.

11. Prose के दो chapters के बाद poetry की क़िताब से कम से कम दो poems का भी सही pronunciation के साथ शब्दार्थ, उच्चारण और हिन्दी में अनुवाद और हिन्दी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओँ में explanation करने का प्रयास कीजिए. 
अब अंग्रेज़ी सीखने का तीसरा चरण पूरा हो गया.

चौथा चरण —
12. अब आप स्वतन्त्र तरीके से अपने से सोच-सोच कर छोटे-छोटे वाक्यों में creative writings (रचनात्मक लेखन) रचने का प्रयास करें. इसके लिये ऐसा कुछ भी लिखने का प्रयास कीजिए, जो आपने पहले कभी भी कहीं भी, किसी से भी न पढ़ा हो, न सुना हो. इससे आपकी essay, article, long question, explanation और poems लिखने की क्षमता विकसित होती जायेगी.

13. इसी चरण में आपको spoken english पर पकड़ बनानी होती है. अंग्रेज़ी बोलने के लिये आपकी कोई भी तनिक भी मदद नहीं कर सकता. आपको ख़ुद ही पहल लेने, प्रयास करने, ग़लती करने और उसे सुधारने का प्रयास करना होगा. आप का श्रोता यदि भाषा का जानकार होगा, तो आप के बोलने के बाद आपकी चूकों की ओर आपका ध्यान आकर्षित कर देगा. अक्सर आप बोलते समय ऐसी ग़लती भी कर देते हैं, जिसके सही रूप से आप अच्छी तरह परिचित होते हैं. ऐसी ग़लती slip of tongue या slip of memory के चलते होती है.

ऐसी ग़लती होते ही बोलने के दौरान तत्काल आप स्वयं समझ जाते हैं कि आप से ग़लती हो गयी. समझ में आने के बाद उस ग़लती को सुधारने के लिये उसके तुरन्त बाद उसी जगह सही बोलने की कोशिश मत कीजिए. ऐसा करने पर आपकी धारा टूट जाती है और कई बार दुबारा आगे नहीं बढ़ पाती. इस प्रयास के चक्कर में अधिकतर लोगों के साथ नतीज़ा यह होता है कि अब आगे विचारों की कड़ी नहीं सूझ पाती. इस तरह आपके अटक जाने की हालत में आपको अपना व्याख्यान वहीं रोक देना पड़ सकता है. बेहतर होगा कि तुरन्त सुधारने के बजाय सुधारने का उचित अवसर आने पर उसको सुधार दीजिए.
अब अंग्रेज़ी सीखने का चौथा चरण पूरा हो गया.

अन्तिम चरण —
14. अन्तिम चरण उच्चतर अंग्रेज़ी सीखने का चरण है. आरम्भिक चरणों में सरल चीज़ों को सीखने के बाद अब इस चरण में आपको grammar के सभी chapters सीखना है. अब तक की साधना के बाद अब आप का इतना विकास हो चुका है कि आप शिक्षक की मदद लिये बिना ही अंग्रेज़ी के कुछ अपरिचित कठिन शब्दों का अर्थ dictionary से खोज कर न केवल prose और poetry की किसी भी क़िताब का कोई भी chapter पढ़ और समझ सकते हैं, बल्कि उसका अनुवाद और explanation भी कर सकते हैं.

परम्परागत पद्धति में जहाँ हिन्दी माध्यम वाले शिक्षक छात्रों को grammar सिखाने से शुरुआत करते हैं. कठिन से सरल, सूत्र से विवरण की ओर बढ़ने के कारण शिक्षण की यह पद्धति अरुचिकर और बोझिल होती है. इसके चलते ही अधिकतर छात्र अंग्रेज़ी से भागते हैं. वहीं अंग्रेज़ी माध्यम के शिक्षण में grammar सिखाते ही नहीं. इसका दुष्परिणाम यह होता है कि एक ओर हिन्दी माध्यम के छात्र बेहतर grammar आने पर भी हीन भावना के चलते भयभीत और आत्मविश्वास रहित रहने के कारण बोलने और लिखने में पहल नहीं लेना चाहते हैं, तो दूसरी ओर अंग्रेज़ी माध्यम के छात्र भी ज़िन्दगी भर ग़लत अंग्रेज़ी बोलते-लिखते चले जाते हैं और यह कुतर्क भी देते दिखाई देते हैं कि spoken english में grammar के सही होने की कोई ज़रूरत नहीं होती. परन्तु शिक्षण की वैज्ञानिक पद्धति में हम सरल से कठिन, विवरण से सूत्रों और भाषा से व्याकरण की ओर बढ़ते हैं. इसमें प्रत्येक चरण छात्रों के लिये रोचक और आसानी से समझ में आ जाने वाला है. इसमें दक्षता हासिल हो जाने के बाद आप न केवल धारा-प्रवाह बल्कि शुद्ध और सही अंग्रेज़ी बोल और लिख सकते हैं.

इनमें से किसी भी चरण में कोई दिक्कत होने पर मुझसे 09450735496 पर सम्पर्क कीजिए.