Sunday 14 October 2012

"पितृ-विस़र्जन की दावत तथा मेरा बेटा" – गिरिजेश


देखो, मेरे प्यारे बेटे, 
मेरे प्यारे बेटे, देखो!

नया ज़माना दिखा रहा है, 
तुमको भी यह सिखा रहा है.

महँगाई का बोझ उठाते दबा जा रहा, 
मुक्त कराओ!

लड़ते-लड़ते थका जा रहा, 
मेरे बेटे, मुझे बचाओ!

अभी नौकरी करता हूँ मैं, 
बहुत दिनों तक नहीं जियूँगा,

अगर मरा तो पछताओगे, 
सड़क नापते रह जाओगे!

आओ प्यारे बेटे, आओ, 
सेवा करके मेवा खाओ!

हाथ-पैर तो सभी दबाते, 
तुम सबसे आगे बढ़ जाओ!

अपने दिल पर पत्थर रख लो, 
जल्दी मेरा गला दबाओ!

मृतक-आश्रृत बन जाओगे, 
बीमे का भी धन पाओगे;

मैंने बरही किया तुम्हारी, 
तुम मेरी तेरही कर लेना,

पितृ-विस़र्जन की दावत का मज़ा 
सभी को खिला के लेना!

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