Friday 19 June 2020

__एक_खुला_पत्र__दोस्ती_अमीर_और_ग़रीब_की__


मेरे सम्मानित दोस्त, आपके पास पैसा हैं. मैं ग़रीब हूँ. यह अमीर और ग़रीब के बीच की दोस्ती है. आप अपने लिये या मेरे लिये जो चाहें कर सकते हैं. मैं न तो अपने लिये, न ही आपके लिये और अब तो न औरों के लिये ही कुछ भी करने के लायक हूँ. आपने मेरी लम्बे समय तक मदद की. मैं जीवन भर आपको केवल धन्यवाद कह सका.
मैं उन ज़रूरतमन्द बच्चों के सपनों को पंख देना चाहता था, जो किसी तरह आपके बच्चे की बराबरी करने लायक नहीं थे. मैं अपने बच्चों के कल के लिये बीमार बुढ़ापे में आपकी शर्तों पर मज़दूरी करने और हर एक परिचित-अपरिचित से भीख माँगने से भी पीछे नहीं हटा.
मगर आपने बीच राह में मुझे चुपके से धोखा दे दिया. मैंने ईमान के साथ हर क़दम पर हर तरह से आपका साथ दिया. आपने मुझे दोस्त कहा और मेरा शिकार किया. मैंने कोई पलटवार नहीं किया. मैंने आपको दोस्त कहा, तो दोस्त समझा.
अब अचानक आपने मेरी मदद बन्द कर दी. अभी तक मैं मुख्यतः आपके भरोसे था. अब मैं और ग़रीब हो गया. आपको और पैसा चाहिए था. मुझे और नौजवान चाहिए थे. दोनों के रास्ते अलग होने ही थे, अलग हो गये. आपके पास कुछ और अधिक पैसा हो गया. मेरे पास कुछ और नौजवान हो गये.
यह बहुत बुरा हुआ. मगर यह बहुत अच्छा भी हुआ. अब मेरे बच्चे अपने सपनों को साकार करने के लिये मुझ पर निर्भर नहीं रहेंगे. अब वे और मजबूत बनेंगे, और ताक़त जुटाने की कोशिश करेंगे, और शानदार कारनामे करेंगे, और गम्भीरता से दुनिया के सच को समझने की कोशिश करेंगे.
दुनिया से मैं भी जाऊँगा. दुनिया से आप भी जायेंगे. मैं नंगा फ़कीर बन कर दुनिया को अलविदा कहूँगा. आप थोड़ी-सी दौलत जुटा कर जायेंगे. आप मेरी बात अनसुनी कर सकते हैं. आप मेरा अपमान कर सकते हैं. आप मेरा मज़ाक उड़ा सकते हैं. आप मेरी मजबूरी में मेरे सामने मेरे सिद्धान्तों के विरुद्ध अपनी शर्तें रख सकते हैं. आप मुझसे झूठ बोल सकते हैं. आप मुझे धोखा दे सकते हैं. आपने बार-बार यह सब किया भी.
हाँ, सामने कहने की आपने कभी हिम्मत नहीं की. चुप रहे या सम्मान का अभिनय किया. मैं आपको आज भी उतना ही प्यार करता हूँ. हाँ, जीवन भर मैंने अपने सिद्धान्तों से कोई समझौता न किया, न करूँगा. मेरे बच्चों ने फैसला कर दिया है कि अब मैं आपके पास आपका पैसा माँगने नहीं आऊँगा.
धरती पर मुझसे और आपसे पहले से ही अमीर और ग़रीब के बीच वर्ग-संघर्ष चल रहा है. आपने अपना पाला बदल लिया. मगर आख़िरी साँस तक मेरा पक्ष वही रहेगा - ग़रीब, सच, ईमान, इन्साफ़, विनम्रता, मेहनत, किफ़ायत, इन्सानियत और इन्क़लाब. कोशिश कर रहा कि अतीत के भूत से पीछा छुड़ा कर कार्यसक्षम शरीर दुबारा बना सकूँ ताकि मानवता की सेवा करने लायक बना रह सकूँ.
मेरा जवाब मेरे बच्चे हैं. ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश (17.6.20.)

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