Friday 4 September 2015

"यह सबसे अच्छा दौर है क्योंकि यह सबसे बुरा दौर है !


प्रिय मित्र, अगर यह मानवता के दुश्मनों के लिये सबसे अच्छा दौर है, तो यह मानवता के लिये भी सबसे अच्छा दौर है. 
अगर यह हमारे विरोधियों के लिये सबसे अच्छा दौर है, तो यह हमारे लिये भी सबसे अच्छा दौर है. 
अगर यह उनके प्रहार का दौर है, तो यह हमारे पलटवार का दौर है. 
अगर यह उनके लिये उत्पीड़न का दौर है, तो यह हमारे लिये प्रतिवाद का दौर है. 
अगर यह उनके हत्यारों की गोलियों का दौर है, तो यह हमारी छातियों पर गोलियाँ झेलने का दौर है. 
अगर यह उनके लिये हत्याओं का दौर है, तो यह हमारी शहादत का दौर है. 
अगर यह उनके लिये फासिज़्म का दौर है, तो यह हमारे लिये जनवाद का दौर है. 
अगर यह उनके लिये अन्धविश्वास की मूर्खता के प्रचार का दौर है, तो यह हमारे लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण समझाने और उसके साथ अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने का दौर है. अगर यह उनके लिये हमारी हड्डियों में से खून चूस कर अपनी तिज़ोरी भरने का दौर है, तो यह हमारे लिये शोषण-मुक्त समाज के सपने को रूपायित करने के लिये अपनी कूबत भर खटने का दौर है. 
अगर यह ग्लोबल विलेज का दौर है, तो यह समूची दुनिया के जन-गण की मुक्ति के गीत गाने का दौर है. 
अगर यह उनकी झपसटई का दौर है, तो यह हमारे ईमान का दौर है. 
अगर यह झूठ की हुकूमत का दौर है, तो यह सच के विद्रोह का दौर है. 
अगर यह वित्तीय नवउपनिवेशवाद का दौर है, तो यह ही इन्कलाब का भी दौर है. 
जो उनके लिये अच्छा है, वह उनके लिये ही बुरा भी है और जो हमारे लिये बुरा है, वह ही हमारे लिये अच्छा भी है. 
मानवता के इतिहास में अतीत में भी ऐसे दौर बार-बार आते-जाते रहे हैं. 
हर बार हमारे दिलेर पुरखों ने रणक्षेत्र में अपने शौर्य का प्रदर्शन किया है और इतिहास में अपना नाम अपने गरम खून से दर्ज़ कराया है. 
वह उनका दौर था, आज का दौर हमारा दौर है. 
हमें गर्व है कि हमारी ज़िन्दगी में हमारी ज़िद की परीक्षा का यह दौर आया है.
आज का दौर चार्ल्स डिकेन्स के इस कथन को याद करने का दौर है और अपने धैर्य और शौर्य के प्रदर्शन का दौर है. 
ढेर सारे प्यार के साथ और 
अन्तिम साँस तक जूझने के संकल्प के साथ ― आपका गिरिजेश (2.9.15.)
_______________________________________

"वह सबसे अच्छा दौर था, वह सबसे बुरा दौर था, वह बुद्धिमत्ता का दौर था, वह मूर्खता का दौर था, वह विश्वास का युग था, वह अविश्वास का युग था, वह प्रकाश का मौसम था, वह अन्धेरे का मौसम था, वह आशा का वसन्त था, वह निराशा की सर्दी थी। " ― चार्ल्स डिकेन्स

 IT IS THE BEST OF TIMES, IT IS THE WORST OF TIMES 
Charles Dickens ― 
“It was the best of times, it was the worst of times, it was the age of wisdom, it was the age of foolishness, it was the epoch of belief, it was the epoch of incredulity, it was the season of light, it was the season of darkness, it was the spring of hope, it was the winter of despair.” (A Tale of Two Cities)


No comments:

Post a Comment