Sunday 9 December 2012

WHAT A MAN HAS DONE, A MAN CAN DO!



प्रिय मित्र, आजमगढ़ में 9 दिसम्बर (रविवार) को तरुणों के सर्वांगीण विकास के लिये चल रहे शुल्कमुक्त सेवा-प्रकल्प 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' की छठवीं मासिक गोष्ठी में परियोजना द्वारा आयोजित प्रथम मासिक प्रतियोगिता ‘अधिकतम दैनिक अध्ययन के घण्टे’ में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करके मानदण्ड स्थापित करने पर गवर्नमेण्ट गर्ल्स इण्टर कालेज, आज़मगढ़ की कक्षा 12 की छात्रा नीतू यादव को प्रथम पुरस्कार स्वरूप फादर कामिल बुल्के का ‘अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोष’ प्रदान किया गया।
नीतू यादव ने 12 नवम्बर से 8 दिसम्बर तक के कुल 27 दिनों के पूरे प्रतियोगिता-काल में से 20 दिनों तक 10 घण्टे से अधिक और 5 दिनों तक 15 घण्टों से अधिक समय तक अध्ययन किया. उनका अधिकतम अध्ययन-काल 15 घण्टे 55 मिनट का रहा. 


पुरस्कार जनपद के लब्ध-प्रतिष्ठ कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट 'एन.आई.एस.टी.' के डाइरेक्टर इंजीनियर अमित गुप्त के हाथों से प्रदान किया गया.


प्रिय मित्र, 

"ज़िद ने अगर हर बार ही इतिहास बनाया;
फिर से नया इतिहास बनाने की ही ज़िद है!"
आजमगढ़ जनपद के सभी विद्यालय पिछले चार दिनों से शीतावकाश के चलते बन्द हैं. इस समय मैं यहाँ 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' में ग्यारहवीं और बारहवीं के लगभग पच्चीस छात्रों और छात्राओं को प्रतिदिन प्रातः नौ बजे से सायं चार बजे तक सात घण्टे लगातार अंग्रेज़ी की यू.पी. बोर्ड की परीक्षा की तैयारी करवा रहा हूँ. 
उनको मात्र पिछले तीन दिनों में हिन्दी से अंग्रेज़ी में अनुवाद के सभी टेंस सिखा कर आज समाप्त कर दिया. कल से इण्टरमीडिएट की पोएट्री पढ़ाना चाहता हूँ.
शिक्षण-प्रशिक्षण की साधना के इस कठोर परिश्रम के बीच में दस-दस मिनट के दो टुकड़ों में उनको पैर सीधा करने भर को अवकाश मिल रहा है और लगभग दो बजे थोड़ा-सा गरम-गरम नाश्ता. सभी के सभी खूब खुश हैं. पूरी तल्लीनता से सीख रहे हैं. उन सबके बीच एक दूसरे से बढ़ कर पढ़ने की होड़ लगी है.
'चौबीस घण्टों में अध्ययन के अधिकतम घण्टों' का नीतू यादव का 'पन्द्रह घण्टे पचपन मिनट' का अब तक का रिकार्ड उसी के विद्यालय की ग्यारहवीं की एक दूसरी छात्रा प्रतीक्षा पाण्डेय ने आज तोड़ दिया. आज का प्रतीक्षा का अध्ययन का रिकार्ड था 'सत्रह घण्टे पच्चीस मिनटों' का. 
मैं इन सभी छात्रों और छात्राओं के व्यक्तित्वान्तरण की इस आवेगमयी परिघटना का साक्षी और सहभागी होकर अपने अब तक बच गये जीवन की इस रूप में सार्थकता की अनुभूति और मानसिक सन्तुष्टि से अतिशय आह्लादित हूँ.
इस सन्दर्भ में अपने सभी युवा मित्रों से मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करना चाहता हूँ कि वे भी कुछ ऐसा करें कि वे, मैं और हम सब उनके शानदार कृतित्व से गौरवान्वित हो सकें.
"हमें पता है कि मुश्किल है रास्ता अपना;
हमारी ज़िद को तोड़ना भी तो आसान नहीं."

ढेर सारी उम्मीद और ढेर सारे प्यार के साथ - आपका अपना गिरिजेश




समय-प्रबन्धन की वैज्ञानिक पद्धति - गिरिजेश

प्रिय मित्र, और अब अचानक प्रतीक्षा पाण्डेय के 'सत्रह घण्टे पच्चीस मिनट' के इस रिकार्ड को भी कल मेरे खूब समझाने और कड़ाई से मना करने के बावज़ूद चुपचाप मेरी बात सुन रहे दसवीं के जनार्दन यादव और बारहवीं के ऋषभ श्रीवास्तव नामक दो छात्रों ने तीन दिनों से बिजली न रहने पर भी लालटेन की रोशनी में 'इक्कीस घण्टे और पन्द्रह मिनट' तक पढ़ कर तोड़ दिया.

अपनी पढ़ाई के घण्टे बढ़ाने में समय-प्रबन्धन के मकसद से डेली डायरी बनाना छात्रों-छात्राओं की मदद करता है. इसमें भागीदार सभी छात्रों-छात्राओं को उनके दैनिक अध्ययन-काल का सटीक रिकार्ड प्रतिदिन बनाने का हम निर्देश देते हैं.

किसी भी व्यक्ति को एक दिन में केवल चौबीस घण्टे मिलते हैं. यह समय तीन खंडों में विभाजित किया जा सकता है – उत्पादन-काल, तैयारी का काल और मनोरंजन का काल. हम में से ज्यादातर लोग अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में गंभीरता से विचार किये बिना अथवा अपने कार्य-दायित्व पर अच्छी तरह ध्यान दिये बिना अपने महत्वपूर्ण समय को निरर्थक कामों में ही बर्बाद करते रहते हैं.

समय-प्रबन्धन की इस पद्धति में जब भी कोई व्यक्ति व्यवस्थित तरीके से अध्ययन आरम्भ करता है, तो अपनी डेली डायरी में एक सेंटीमीटर चौड़े चार खाने और पाँचवां खूब चौड़ा खाना खींच कर पहले खाने में ‘दिनांक और पूर्वाह्न या अपराह्न (am./p.m.)’ लिख देता है, दूसरे खाने में ‘बजे से’, तीसरे में ‘बजे तक’ और चौथे में ‘घंटा-मिनट’ लिख कर अंतिम सबसे चौड़े खाने में ‘किये गये कार्य का विस्तृत विवरण’ लिखता है. 

अब वह पहले खाने में प्रतिदिन दिनांक और पूर्वाह्न या अपराह्न (am./p.m.) अंकित करके ‘बजे से’ नामक दूसरे खाने में पढ़ाई शुरू करने का सही-सही समय और ‘बजे तक’ वाले तीसरे खाने में पढ़ाई खत्म करके अपनी पढ़ाई की मेज छोड़ने का सही-सही समय तुरन्त-तुरन्त लिखता है. क्योंकि इन दोनों प्रविष्टियों को बाद में लिख लेने के आलस्य के चक्कर में सही समय दिमाग से उतर जाता है और अनुमान से लिखा गया समय गलत हो सकता है. चौथे ‘घंटा-मिनट’ वाले खाने में उस एक बार के बैठने में किये गये काम का अध्ययन-काल घंटा-मिनट में तीसरे खाने की प्रविष्टि में से दूसरे खाने की प्रविष्टि को घटा कर लिख देता है. और सबसे चौड़े खाने में पढ़े गये विषय और पाठ का नाम, किस प्रश्न से किस प्रश्न तक हल किया या पढ़ा गया या याद किया, उनका क्रमांक और हल किये गये कुल प्रश्नों की पूरी संख्या अच्छी तरह विस्तार में लिखी जाती है.

इस तरह दिन भर का रिकार्ड बना कर अन्त में पूरे अध्ययन-काल के योग को जोड़ने के बाद अगले दिन सभी छात्र-छात्राएँ अपनी डायरी अपने अभिभावक से हस्ताक्षर करवा कर मुझसे चेक करवाने और मेरे हस्ताक्षर के लिये मेरे सामने प्रस्तुत करते हैं और अपने उपस्थिति-रजिस्टर में P/A की जगह अपने पढ़ने का समय लिखते हैं.

इस प्रकार समय-प्रबंधन की प्रतिदिन की डायरी उनकी इच्छा-शक्ति को बढ़ा देती है और उनके तैयारी और मनोरंजन में लगने वाले समय को नियंत्रित कर के उनके उत्पादन-काल में भरपूर वृद्धि करती जाती है. इस पद्धति से प्रत्येक छात्र-छात्रा केवल दो या तीन घंटे के अध्ययन के साथ अपनी दैनिक डायरी बनाने की शुरुवात करता है और देखते-देखते धीरे-धीरे आसानी से दस या उससे अधिक घंटे तक जा पहुँचता है और अपने अध्ययन के उस स्तर को बनाये रखने के लिये और उसके रिकॉर्ड में पिछले दिन की तुलना में और भी अधिक वृद्धि करने की कोशिश करता चला जाता है.

अब वह अपने प्रदर्शन पर स्वयं तो गर्व महसूस करता ही है, अपने दोस्तों को भी इस प्रणाली का पालन करने के लिये प्रोत्साहित करता है. उसके परिजन भी उसके व्यक्तित्वान्तरण से गौरवान्वित होकर उसे प्रोत्साहित करते हैं. समय की सटीकता के प्रति उनकी दृष्टि में सुधार के लिये हम उन के बीच सच्चाई के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने की कोशिश करते हैं और उनमें से ज्यादातर गलत प्रविष्टियों से बचते हैं. मेरे बच्चे मुझसे झूठ नहीं बोलते, क्योंकि मैं भी उनसे झूठ नहीं बोलता. हम परस्पर एक दूसरे का विश्वास करते हैं.

मैं अपने सभी युवा मित्रों से समय-प्रबंधन की इस प्रणाली का अनुसरण करने के लिये और इसके ज़रिये उनकी अपनी मनोदशा में होने वाले सकरात्मक परिवर्तन को खुद ही महसूस करने का अनुरोध करता हूँ. यह चिंता, अवसाद और अलगाव की भावना की सबसे अच्छी दवा है, जो आज के अनिश्चय, आपाधापी और भागमभाग के पूँजीवादी दौर में व्यापक रूप से पूरी दुनिया में अधिक से अधिक युवाओं का बुरी तरह पीछा करते हुए उन्हें हर-हमेशा व्यथित और बीमार बना रही है.

इस सिलसिले में अपने सभी ‘अतिवादी’ अति उत्साही युवा मित्रों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि हर हालत में प्रतिदिन कम से कम छः घण्टे अवश्य सोयें. और सत्रह घंटों से अधिक किसी भी परिस्थिति में न पढ़ें. पूरी नींद दिमाग को ताजगी देगी और इससे कम सोने पर आपके स्वास्थ्य और स्वाध्याय दोनों पर बुरा असर पड़ेगा.

अब हम आजमगढ़ की टोली के युवाओं की पढ़ाई के घण्टे इससे अधिक बढ़ाने के बजाय प्रतिदिन पिछले वर्षों के बोर्ड के एक विषय के चारों सेट के परचे हल करने और उसके बाद उनके द्वारा लिखे गये उत्तरों को याद करके दो-दो की टोली में छात्रों-छात्राओं को तोड़ कर एक दूसरे से पूछने की योजना पर काम करने जा रहे हैं.



A SYSTEM FOR TIME MANAGEMENT - girijesh

the individualistic mentality and feeling of personal property and getting success by hook or crook is dominating in the society even now. 


the sense of collective working is yet to be developed among the masses of our people. of course it is our own task and we have been trying and failing again and again in most of our experiments to promote the sense of team-work of collective responsibility since decades. i myself am completely destroyed in this struggle, but have never surrendered, nor going to change my style of action both in the fields of creation and struggle. in this experiment of personality cultivation project the work here is in its very initial phase. 

the competition of this month was based on a system of daily diary maintenance. it is a system for time management. we provide the guidelines to the students to maintain exact record of his or her study period. 

any person has got only twenty four hours in a day. this time is divided in three parts - time of preparation, time of entertainment and time of production. most of us waste our time without taking care of our assignments or thinking seriously about the goal of our life. 

in this system when a person starts his or her study, he or she records the exact initial time in hours and minutes in one column and again records the time in the next column when he finishes one work. the total time period of the work done is maintained in a third column by subtracting the entry of the first column from that of the second column. and in one more large column the detailed description of the work done is written. at the end of the day they add the whole period of their study and bring their diaries to me to check and sign. 

thus daily recording of time of production boosts their will-power to increase their time of production by controlling the time of preparation and entertainment. in this way each and every student, who starts maintaining his diary with only two or three hours of study daily, slowly reaches easily up to ten hours or more and tries to maintain and increase his record even more than the previous day. 

now he feels proud of his performance and encourages his or her friends to follow the system. to improve the sense of accuracy we try to develop among them the sense of respect for the truth and most of them don't pen down false entries. 

i request all my young friends to follow this system of time management and feel the change in their own mentality. it is the best medicine of anxiety, depression and alienation, which is widely chasing the youth all over the world today.

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