Friday 19 June 2015

पेन्टर बाबाने कहा था



"ज़िन्दगी जंग है, इस जंग को जारी रखना;
भूल कर बोझ कभी दिल प' न भारी रखना." - (अज्ञात)

हम सब को यह शेर सिखाया था लछिराम पुर के पेन्टर बाबा ने. पेन्टर बाबा बच्चों को कला सिखाते थे, चुटकुले सुनाते थे और संगीत की कक्षा में बैठ कर आनन्द के साथ गीत गाते थे. उम्र अस्सी से अधिक, संगीत के शौक़ीन, खड़े होकर काम करना पसन्द करने वाले पेन्टर बाबा गर्मी की छुट्टी में कई किलोमीटर साइकिल चला कर पूरी दोपहरी राहुल सांकृत्यायन जन इन्टर कॉलेज के प्रचार-अभियान का नेतृत्व करते रहे. ललाट पर कैंसर का घाव, उस पर पगड़ी बाँध कर चुपचाप बच्चों की सेवा और शिक्षण और प्रशिक्षण के काम में लगातार लगे रहते थे. आज वह नहीं हैं, मगर उनके प्रेरक व्यक्तित्व का आभा-मण्डल अभी भी मशाल की तरह मेरे आगे-आगे चलता है.

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