Sunday 2 March 2014

Kavita Krishnapallavi - कृश्‍न चंदर के गधे की नयी आत्‍मकथा

कृश्‍न चंदर के गधे की नयी आत्‍मकथा (पत्र शैली में)
मित्रो, पहचाना मुझे? अरे, मैं वही कृश्‍नचंदर वाला गधा हूँ। आदमी जैसा तो पहले से ही बोलता था। आपको शायद पता ही होगा, कुछ दिनों तक तो मैं पागलपन जैसी अवस्‍था में भी रहा। फिर ठीक होकर इधर-उधर भटक ही रहा था कि एक भलेमानस कम्‍युनिस्‍ट से टकरा गया। फिर मार्क्‍सवादियों की संगत में मैं मार्क्‍सवादी बन गया। एक कम्‍युनिस्‍ट ग्रुप में भी शामिल हो गया। सिद्धान्‍तकार बनना चाहता था, पर वे लोग मुझसे सिर्फ मोटे काम ही करवाते थे। दूसरे, वहाँ कोई गधी भी नहीं थी, और मेरी उमर भी बीती जा रही थी। दुखी-कुण्ठित मैं यहाँ-वहाँ दुलत्‍ती झाड़ता रहता था, कभी सामान टूटते तो कभी किसी को चोट लगती। फिर मेरे कम्‍युनिस्‍ट साथियों ने मुझे यह कहकर भगा दिया कि तुम रहोगे गधे ही, कम्‍युनिस्‍ट कभी नहीं बन पाओगे। अब मैं क्‍या करता? न पूरा कम्‍युनिस्‍ट रह गया था, न ही पूरा गधा। हृदय में प्रतिशोध की आग जल रही थी। तय किया कि इतने गधे कम्‍युनिस्‍ट और कम्‍युनिस्‍ट गधे तैयार करूँगा कि कम्‍युनिस्‍टों को छट्टी का दूध याद दिला दूँगा। उनके सारे कामों का गुड़-गोबर कर दूँगा।

तबसे 'गर्दभ क्रान्तिसेवी व्‍यक्तित्‍व निर्माण गुरुकुल' नामका एक संस्‍थान चलाता हूँ। मुझे पुराने रूप में बहुत लोग जानते हैं इसलिए इन दिनों शेर का मुखौटा पहनकर संतों की तरह नैतिक सदाचार के उपदेश देता रहता हूँ। मजे की बात यह है कि मेरे इस प्रोजेक्‍ट में मदद करने के लिए बहुत सारे ऐसे नामधारी कम्‍युनिस्‍ट आ गये जो फितरतन लोमड़ हैं। बुद्धिजीवी हैं, अफसर-पत्रकार-प्रोफेसर-एन.जी.ओ. वाले हैं, आन्‍दोलन से मेरी ही तरह भगाये गये या भागे हुए हैं और वास्‍तव में जनता के बीच काम करने वाले कम्‍युनिस्‍ट क्रान्तिकारियों से वैसे ही खार खाये हुए हैं जैसे कि मैं। यूँ तो गधों और लोमड़ों की दोस्‍ती सामान्‍यत: नहीं होती, पर 'दुश्‍मन का दुश्‍मन दोस्‍त' की नीति के हिसाब से हमलोगों के बीच रणनीतिक संयुक्‍त मोर्चा बन गया है। धार्मिक कट्टरपंथ की राजनीति करने वाले कुछ जंगली कुत्‍ते भी मेरा साथ दे रहे हैं। मैं उनसे बार-बार पर्दे के पीछे रहने के लिए कहता हूँ, पर वे तो मुझसे भी बड़े गधे हैं, कई बार खुले में आकर मेरे पक्ष में बोलने लगते हैं और मेरा खेल बिगड़ जाता है। बहरहाल, बहुत सारे भोले-भाले हिरनों, ब‍करियोंऔर पागुर करते बैलों को तो मैंने कनविंस कर ही लिया है कि मैं एक समर्पित, सच्‍चा संतनुमा कम्‍युनिस्‍ट हूँ। यूँ भारतीय बड़े संस्‍कारी जीव होते हैं, कम्‍युनिस्‍ट को भी संत के चोले में देखना चाहते हैं।

आगे मैं सोच रहा हूँ कि सच्‍या सौदा, निर्मल बाबा और रामदेव के 'भारत स्‍वाभिमान' को कम्‍युनिस्‍ट शब्‍दावली के फेंटकर एक सम्‍मोहनकारी प्रभाव वाला मिश्रण तैयार करूँ यह आइडिया कैसा है? -- मित्रगण मुझे राय दें। मिलकर या ई-मेल द्वारा या फेसबुक पर मेरे मैसेज बॉक्‍स में जाकर, खुले तौर पर नहीं। अपनी रणनीति गुप्‍त रखनी होगी, क्‍योंकि सच्‍चे कम्‍युनिस्‍ट क्रान्तिकारी भी अब पहले की तरह चुप नहीं हैं, अब वे हमारी पोल-पट्टी खोलने पर आमादा हैं। मित्रगण परामर्श अवश्‍य दें। हमारी एकता ज़रूरी है। एकता में ही शक्ति है। 
साभार, आपका,
सन्‍त चण्‍ट नैतिकानंद
(उर्फ कृश्‍नचंदर का वही पुराना गधा)
कुलाधिपति, 
गर्दभ क्रान्तिसेवी व्‍यक्तित्‍व निर्माण गुरुकुल


http://nightraagas.blogspot.in/2014/03/blog-post_20.html

Girijesh Tiwari - इस पोस्ट पर इन कमेंट्स के बाद मैंने Satya Narayan जी को अनफ्रेंड कर दिया.
Bhuvan Joshi - i think the post is targeted against Sh. Girijesh Tiwariji, even if there is ideological or working style difference. such personal attacks should be avoided rather concentration should be on aim. there were very few whole life revolutionaries, besides no splinter at present is in a position to claim correctness of it's ideas which has resulted in furtherence of movement. there should be struggle of ideas even if person/fraction is considered philistine. exposer should be the main aim. with a person/group where diffrence of ideas appear struggle- unity- struggle is the only way. wastage of resources on personal attack is not going to be useful for the cause. its a freindly advice

Girijesh Tiwari - आभार व्यक्त करता हूँ सही सलाह देने के लिये साथी Bhuvan Joshi के प्रति और एक बार पुनः आभार व्यक्त करता हूँ मुझे पुनः इतने सम्मान के साथ याद करने के लिये साथी Satya Narayan के भी प्रति.

Satya Narayan Girijesh Tiwari - हम आपको कैसे भूलें जब आप खुद बार बार याद करते रहते हो।

Girijesh Tiwari - धन्यवाद Satya Narayan जी, अब वह बिन्दु आ चुका कि आप मुझे केवल एक बार और याद करें, और फिर वह अन्तिम बार हो जाये. उसके बाद आपके छुटभैये हमलावर साथियों की तरह आपको भी मुझे ब्लॉक कर देना पड़ेगा. बस एक बार और ... फिर मुझे कोई अफ़सोस नहीं रहेगा आपको आखिरी मौका न देने का..

Satya Narayan - Girijesh Tiwari जी तो ऐसा कीजिये। आप भी एक और पोस्‍ट डाल दीजिये (हमारे खिलाफ) हमें याद करते हुए, फिर हम भी डाल देंगे।

यह कमेन्ट उसके बाद आयी.
Amar Nadeem - पोलेमिकल बहस और आलोचना-प्रत्यालोचना चले तो अच्छा लगता है और सत्य के संधान में मदद मिलती है . पर इस तरह की तस्वीरें और कटाक्ष देख कर तो बस अफ़सोस ही किया जा सकता है . जनचेतना की टीम विचारधारा के क्षेत्र में शानदार काम करती आ रही है एक लम्बे समय से. यही नहीं वे लोग मेहनतकशों के वर्गीय संघर्षों में भी भागीदारी करते रहे हैं. मार्क्स और मार्क्सवादी चिंतकों का उनका गहन अध्ययन काबिले तारीफ़ ही नहीं है मुझ जैसे न जाने कितनों की समझ में भी इजाफा करता है. इस कमजोरी से अगर वे उबर जायें तो उनका कद और भी बढ़ जाएगा , ऐसा मुझे लगता है .

Salman Arshad - kuch behoodgiyan yesi hoti hain ki khamooshi unka jwab hota hai

Amarnath Madhur - सत नारायण की नयी कथा है.बेचारे सच्चे कामरेड क्रान्ति के लिए कितना श्रम कर रहें हैं, ढूंढ ढूंढ कर शत्रु को चिन्हित किया जा रहा है उस पर पत्थर मारे जा रहे हैं मगर क्रान्ति है कि हो ही नहीं रही है . पता नहीं ये पत्थर निशाने पर लगते भी हैं या नहीं .लेकिन देखने वालो को तो मजा आ ही रहा है .ये भी कोई कम बड़ा क्रांतिकारी काम नहीं है .लगे रहे साथियो .

Abhishek Pandit - koun hai ye satya narayan ji or inko aapse kya dikkat hai sir?

Girijesh Tiwari - satyanarayan ji ko 'satya' sahan nahi ho paya. alochna se uphas tak kee yatra ke baad ab sthiti 'tanavpoorn lekin niyantran me' hai. 

Abhishek Pandit - ye hai koun or aapko lekr inki samsya kya hai?

Girijesh Tiwari - ye bechare hain. jo nahi jaante ki kya kar rahe hain ! inko mujhse koi pareshani nahi hai. jo lekh aap oopar dekh rahe hain. usme inkee mitra ne mere ateet aur vartmaan ka vihangavalokan kiya hai. vah ateet jo inke mukhiya maanneey comrade shashi prakash ji hi jaan sakte the. yah doosari peedhee hai. inkee suni sunaayee baaton ke sahare likhe gaye is vyangy-lekh ka main bhi mazaa le rahaa hoon. aap bhi is kalam kee dhaar dekhiye aur gadgatit hoiye. ham log to aisee upaadhiyon ke liye hee bane hain.

Abhishek Pandit - hahahaahah

Mahender Singh - abhi naya naya mulla hai, so namaj bhi roj padh raha hai, free ka mazdoor bhala kitne din chare par tika rahega ?

Satya Narayan - Mahender Singh जो भी हो, कम से आपकी तरह मैक्सिम जैसी अश्‍लील पत्रिकाओं के व्‍यापारी तो नहीं बनेंगे।

Mahender Singh - इसको एक साधारण सी बात समझ नही आ रही कि क्यूँ इतने सारे लोग जो कभी इनके नेता के नेतृत्व मे 10, 20 30 साल से काम कर चुके है अब इनके आलोचक हो गये हैं, या तो ये सारे लोग मूर्ख और अवसरवादी है या इनकी भाषा मे प्रतिकरांतिकारी हैं, या फिर इनका नेता ही ऐसा था, दोनो मे से एक ही बात हो सकती है

Satya Narayan -·महेन्‍द्र सिंह जी एक सीधी सी बात तो समझ में आ रही है कि जितने लोग “आलोचक” हो गये वो अब क्‍या कर रहे हैं। वो समझ में आते ही ये भी समझ में आ गया कि कौन क्‍या है।

Mahender Singh - अभी धैर्य से 10-15 साल तक सेवा कर लो फिर किसी नतीजे पर पहुचना

Satya Narayan - अगर ऐसी नौबत आयेगी भी तो फिर नतीजे पर पहूँचकर भी उस नतीजे तक तो नहीं ही पहूँचेंगे जिस तक आप और आपकी मण्‍डली पहूँच गयी है।

Mahender Singh - चलो यार लगे रहो पर मानसिक संतुलन बनाए रखना, हमने बिगड़ते हुए भी देखा है

Satya Narayan -·आपके जितना नहीं बिगड़ेगा।


Jp Narela - डा गिरिजेश तिवारी ,आपके वय्क्तित्त्व के विकाश और ल्युच्योसी के व्यक्तित्व के विकाश में क्या फर्क है ?

Girijesh Tiwari - j.p.प्यारे, इस मुद्दे पर तो हम पहले भी बात कर चुके हैं. ल्यू शाओ ची का मामला पार्टी में कार्यकर्ताओं के व्यक्तित्व विकास का था और मेरा मामला आज़मगढ़ में युवाओं को तैयार करना है.
Jp Narela - कन्स्पत्त एक ही है
डा. मेरे सवाल का सही उत्तर दे , आप समझ रहे है . मई क्या जानना चाहता हु
Girijesh Tiwari - नहीं है. उसे अवसरवाद करना था और मुझे थोड़ा कम क्षमता के लोगों को उत्साहित करना है. यहाँ के माहौल में तीन साल काम करने के बाद भी पढ़ाई के लिये गम्भीर युवाओं की संख्या कट्टे वालों से बहुत ही कम है. 
Jp Narela - लोगों को शिक्षित करना एक बात ! सामूहिकता की एस्प्रिट है इसमें 1 वय्क्तिताव के विकाश में व्यक्तिगत एस्प्रिट है 1 इसमें मुख्यत यही गड़बड़ी है !
Girijesh Tiwari - सही है. व्यक्तित्व और सामूहिकता के अधीन होना दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं और दोनों को एक ही व्यक्ति में विकसित भी किया जा सकता है. इसके भी नमूने गढ़े हैं.
Jp Narela - कैसे जरा बताओ तो मेरी जानकारी में भी इजाफा हो जायेगा
Girijesh Tiwari - 61-प्वाइंट्स में से ये पॉइंट्स इस विषय पर हैं :
58- व्यक्तिवाद को सामूहिकता के अधीन करने का सचेत अभियान चलाते रहना 
59- सामूहिक कीर्ति का विस्तार करके देश-काल की सीमाओं को ध्वस्त कर देना और वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना देना
60- शोषक प्रवृत्ति से स्वयं को तथा अपने मित्रों को सतत बचाना
61- शोषण-मुक्त समाज-व्यवस्था की स्थापना के महासमर में अपनी भूमिका चुनना तथा आमरण उसका निर्वाह करना.
Jp Narela - फिर व्यक्तित्व का विकास शीर्षक पर पुर्विचार करो

Girijesh Tiwari - शीर्षक और नाम बड़ा-बड़ा रखने की परम्परा रही है, मेरे दोस्त ! इसी लिये थोड़ा अनगढ़ सा नाम रख कर इसे परियोजना कहा. अगर इसे आल इण्डिया संगठन भी कहता, तो लोग वैसा ही मान लेते. मगर छोटी औकात, छोटा प्रयोग, विफल हो सकने की पूरी गारण्टी ! इसलिये अपनी औकात भर ही बोलने के चक्कर में रहता हूँ.

Girijesh Tiwari - Satya Narayan जी, आप फिर बोल पड़े. सम्मानित इन्सान ऐसे तो नहीं करते. 

Satya Narayan - जो मार्क्‍सवाद के नाम पर गड़बड़ फैला रहे हैं उनका भण्‍डाफोड़ करना तो सबसे सम्‍मानित काम है।

Girijesh Tiwari - Satya Narayan जी, क्या अब मुझसे ख़ुद को ब्लॉक ही करवा देना चाहते हैं ! ऐसा मत कीजिए... कोचिंग हो या टोचिंग आप जो भी चाहें, मज़ाक उड़ा सकते हैं... मज़ाक का मैं बुरा नहीं मानता... और पूर्वाग्रहग्रस्त लोगों से सन्तुलित वक्तव्य की उम्मीद भी नहीं कर सकता.. 
तुलसी बाबा लिख गये हैं :
"बातुल भूत बिबस मतवारे, ते नहिं बोलें बचन सम्हारे" !

Satya Narayan - मैने तो आपके ही शब्‍दों से आपकी परियोजना का नाम दुरूस्‍त किया है। क्‍या व्‍यावसायिक संस्‍थानों की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले संस्‍थानों को कोचिंग सेण्‍टर नहीं कहते हैं। अब आप इतना तिलमिला रहे हैं और ब्‍लॉक करने की धमकी दे रहे हैं, उससे बेहतर होता कि आप अपनी इस “क्रान्तिकारी परियोजना” को डिफेण्‍ड करते।

Girijesh Tiwari - Satya Narayan जी, अब से बहुत पहले ही मैं आपको गंभीरता से लेना बन्द कर चुका हूँ. पहले ही चरण में आपने मुझे अपना पूरा परिचय दे दिया था. अब आपकी आज़ादी का सम्मान करना और आपको बडबडाने के लिये छोड़ देना ही उचित है. मेघी मारने से हाथ गन्दा होता है - ऐसा लोग कहते हैं. और आप इसी कोटि के जीव प्रतीत हो रहे हैं. सो खूब मन भर टर्र-टर्र कीजिए. मौसम भी बरसात का है. आनन्द ही होगा मित्रों को ...

Satya Narayan - Jp Narela जी को भी उनकी बातों का जवाब मिल गया होगा। ये व्‍यक्तित्‍व विकास परियोजना एक विशुद्ध कोचिंग सेंटर है। इनकी इस परियोजना के 61 पॉइंटस हैं उनमें से एक पॉइंट तो बड़ा धांसु है 
24- परीक्षा में टॉप करने-कराने के लिए घनघोर मेहनत करना
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कविता कृष्णपल्लवी के लेख पर मेरी टिप्पणी. टैग करने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी.
https://www.facebook.com/notes/kavita-krishnapallavi/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B-%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AC-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%82/665998956788982

मित्र Om Dwivedi, आपके द्वारा प्रेषित यह लेख पढ़ा. लेख पर मेरी कुछ सहमति और अनेक असहमतियाँ हैं. व्यक्ति को वर्गीय दृष्टि से देखा जाना चाहिए. परन्तु उसकी उपलब्धियों को भी सम्मान देना चाहिए. जिन साहित्यकारों के नाम इस लेख में आये हैं, वे लब्ध-प्रतिष्ठ कलमकार हैं. पुरस्कार मिलना, उसे देना और लेना सबकुछ केवल गणित ही नहीं होता. कुछ सकारात्मक होने पर ही किसी रचनाकार को सम्मान और पुरस्कार मिलता है.

और हर जगह केवल बहिष्कार करने से ही आपकी शुचिता और पवित्रता की रक्षा सम्भव हो जाती है - ऐसा मानना बचकाना और हास्यास्पद है. बहिष्कार करके और शिरकत करके दोनों तरीकों से विरोध किया जाता है और किया जाना चाहिए. और हर जगह केवल विरोध - विरोध के लिए विरोध भी व्यर्थ का प्रलाप बन जाता है.

अगर आपकी कलम में ताक़त है, तो आपको भी जन-सम्मान से लेकर तरह-तरह के पुरस्कार मिलेंगे. अगर नहीं है, तो गर्भिणी का अभिनय करके आप को शिशु की किलकारी मयस्सर नहीं होनी. क्या लेखिका को कोई सम्मान या पुरस्कार मिला है ! क्या इनकी लिखी कोई प्रकाशित पुस्तक भी उपलब्ध है ! क्या सारे नाम यूँ ही बड़े हो जाते हैं ! उनकी साधना का कोई मतलब ही नहीं है ! क्या जो मार्क्सवादी नहीं है वह साहित्यकार केवल जनविरोधी ही है ! क्या इनको भी कभी किसी से सम्मान या पुरस्कार लेने का अवसर मिला !

अगर उदय प्रकाश, नामवर सिंह, काशीनाथ सिंह, केदारनाथ सिंह, आलोकधन्‍वा, राजेश जोशी, कौशल किशोर, विद्यानिवास मिश्र, मैनेजर पाण्‍डेय, प्रणयकृष्‍ण, सुशीला पुरी - सभी के सभी अलाने-फलाने सब तरह से गलत ही हैं, तो सबको गलत ठहराने वाले आत्म-मुग्ध पाण्डित्य के एकोहम के भ्रम के शिकार हैं. दरअसल, आप एक मात्र नहीं हैं, आप अनेक में से केवल एक हैं. अन्यथा जो कुछ आप कहें और करें, वह सबकुछ सही है और जो दूसरे कोई भी कहें या करें, वह सबकुछ सीधे-सीधे खारिज़ कर देने की बीमारी क्या दम्भ के अलावा कुछ और दिखाती है !

प्रो. रणधीर सिंह के एक उद्धरण पर मेरे द्वारा पोस्टर बनाने पर यह फ़तवा देना कि प्रो. रणधीर सिंह गलत हैं, तो हास्यास्पद ही था. जब हम किसी की ओर एक अंगुली उठाते हैं, तो हमको अपनी ओर उठने वाली अपनी ही तीन अंगुलियाँ भी दिखनी चाहिए. अन्यथा कबीर याद आ जाते हैं -
''दोस पराया देखि के, चले हसन्त-हसन्त ;
आपन याद न आवई, जाको आदि- न अन्त. "

मेरी समझ है कि मुझे अपना निर्णय लेने की आज़ादी है, हर एक को अपना निर्णय लेने की आज़ादी है. मगर यह आज़ादी वहीं तक है, जहाँ दूसरे का सम्मान शुरू होता है.

हर दूसरे के लिए अपमान-जनक टिप्पणी करके ख़ुद को क्रान्ति का केन्द्र मानना और कहना लोगों को केवल मुस्कुरा देने तक पहुँचा देता है. और लेखिका का यह भ्रम बार-बार दिखा है. मेरे बारे में तो इनकी और इनके सत्संगियों की यही राय है. और इनकी ही राय में कितनी अर्थवत्ता है - मैं उस तरह और उस स्तर की टिप्पणी को आलोचना नहीं भर्त्सना समझता हूँ. आलोचना का प्रस्थान-बिन्दु सकारात्मक होता है, और भर्त्सना या निन्दा का नकारात्मक.

लेखिका को भी आलोचना के बारे में अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए. मगर इनकी कलम से केवल उपहास, निन्दा और भर्त्सना ही निकलती है. सबका पर्दाफाश करना ही इन लोगों का एक महत्वपूर्ण क्रन्तिकारी काम है. अपना पर्दा देखने की नज़र है ही नहीं. मैं यह किसी पूर्वाग्रह से नहीं लिख रहा. मैंने इनकी विद्वत्ता और स्तरीय लेखन की प्रशंसा भी की है और उसे शेयर भी किया है. मगर मानवीय सद्गुण के साथ यह एक दुर्गुण है. मेरा अनुरोध है कि इसके बारे में लेखिका और उनके सभी मित्रों को गम्भीरता के साथ विचार करना चाहिए. इनकी मेरे विषय में जो राय है,वह मैं यहीं प्रस्तुत कर देता हूँ.

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और अब अमित पाठक की यह पोस्ट 26.3.15. इसी शृंखला की अगली कड़ी है.  

Amit Azamgarh with Awadhesh Yadav and 4 others -
https://www.facebook.com/amit.pathak.106/posts/822545047826833

"पिछले दिनों जो पोस्ट आपने मुझे टैग की थी उस पर मेरा जवाब कमेंट के रूप में जा नहीं पा रहा था. सो उसे यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.

_____A SELF-CRITICAL CONFESSION…_____
My dear friend, I am ashamed of making a worthless burden of my irrelevant whims and fancies a thankless liability for all my dears and nears. Each and every beginning with a big ZERO but a new zeal of all my attempts to serve the humanity and change the world turned out to be only one more bitter failure. All my attempts and consequently my failures seem to be a shameless punishment of loving me for all those innocent and humble persons, who due to one or other reason came near at one or other turn of life and loved me selflessly.
I visualise the timidness of my own personal development as the principal cause of this only life-time achievement of series of failures. Neither I could rectify my own thought-process, nor overcome my own behavioural distortions throughout my life but only tried to preach others with a mouth too loud to tolerate.
I don't know any way out and I don't see any chance. But I wish to…
May I be helped !
Hopefully… your’s girijesh (9.3.15.)
https://www.facebook.com/photo.php…
वैसे इस तरह की आत्मालोचनाओं और आत्मस्वीकृतियों की बात आपके फेसबुक वाल पर कोई नयी चीज़ नहीं है और यह तो आप भी समझते हैं कि यह आपके लिए और दूसरों के लिए भी कोई महत्त्व नहीं रखती. वास्तव में अपनी असफलताओं को इस तरह के सतही विश्लेषण की पीछे छुपाने की कोशिश सच्चाई को और नग्नता से सामने ला पटकती है. अपनी व्यवहारिक गड़बड़ियों के पीछे सैद्धांतिक भटकाव के विश्लेषण से आँखे मूँद लेने की यह आदत समय समय पर इस तरह के अनर्गल प्रलापों के रूप में सामने आती रहती है. “मूंदहुँ आँख कतहूँ कछु नाहीं” की भाववादी प्रवृत्ति से चिपके रहने के बाद इस तरह का रोना-धोना आपको ही शोभा देता है.
आपके साथ पिछले मुलाकात के बाद मैंने खुद को एक लम्बा विश्राम लेकर सोचने का मौका दिया और इस दौरान कई बातें साफ़ हो गई. “मानवता की सेवा और दुनिया को बदल देने के लिए किये गए पहले प्रयोग (राहुल सांकृत्यायन जन इण्टर कॉलेज)” की असफलता को आपने किस रूप में सूत्रबद्ध किया और उनसे किन निष्कर्षों पर पँहुचे यह मैं नहीं कह सकता लेकिन दो धाराओं के बीच के संघर्ष में पराजित होने की बात कहकर आप इस पूरे प्रयोग की असफलता के विश्लेषण से बचते रहे हैं और अपने चारो ओर के उस भ्रम जाल को टूटने से बचाने की पूरी कोशिश करते रहे हैं जिनके बीच आप जी रहे हैं. वास्तव में आपके उस प्रयोग और आपके वर्तमान प्रयोग “व्यक्तित्त्व विकास परियोजना” की अंतर्वस्तु में कोई बुनियादी अंतर नहीं है. वास्तव में यह क्रांति का ढोल पीटने वाले वाम और दक्षिणपंथी भटकावों, संशोधनवाद, से भी खतरनाक है. क्रांतिकारी संघर्षों से दूरी बनाते हुए क्रांतिकारी व्यक्तित्त्व गढ़ने की यह दिशा ने व्यवस्था की सेवा करने वाले बेहतर व्यक्तित्त्व तैयार करने का कम, मुझे उनके क्रांतिकारी व्यक्तित्त्व होने का भ्रम नहीं है, लोगों के लिए कुछ कर देने का काम और उन्हें इसी व्यवस्था के भीतर झूठी उम्मीद का झुनझुना पकड़ा देने के काम को कोई क्रान्तिकारी काम नहीं कहा जा सकता. कम से कम मार्क्सवाद से तो इसका कोई लेना-देना नहीं है. उलटे यह किसी भी संभावना संपन्न व्यक्ति को मार्क्सवादी राजनीति से कोसों दूर ले जा कर खड़ा कर देती है और प्रायः उन्हें मानसिक अवसाद की तरफ धकेल देती है. व्यक्तित्त्व विकास परियोजना का काम का काम शुरू होने के कुछ ही समय पहले मैं आपसे जुड़ा था. इसकी पहली बैठक का ठीक ठीक समय बता पाने में मैं असमर्थ हूँ. आपके आलावा मेरे और कमोबेश मेरी ही उम्र के कुछ दूसरे नौजवानों के साथ व्यक्तित्त्व विकास परियोजना की शुरुआत हुई. अभी इसे एक संगठन भी नहीं कह सकते थे. हम नौजवानों में से कोई भी किसी विशेष राजनैतिक समझदारी से लैस नहीं था फिर भी हमने आपनी पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ इस काम को आगे बढ़ाया. क्योंकि एक सामान्य मध्यमवर्गीय चेतना के अनुसार यह एक ‘भला काम’ था जो क्रांतिकारी काम के छलावरण में लिपटा हुआ था. लेकिन आपने अपने इस “क्रांतिकारी प्रयोग” में जुटे किसी के भी राजनैतिक स्तरोन्नयन का काम नहीं किया. कुछ एक अध्ययन चक्रों को छोड़ दिया जाए तो उस दौर में हममें से अधिकतर ने अपनी समझदारी को उन्नत करने का प्रयास किताबी ज्ञान के जरिये ही किया. स्पष्ट था कि बिना किसी राजनैतिक चेतना के अलग अलग तरह के तत्वों को बांधे रखना सम्भव नहीं था. परिणामस्वरूप परियोजना के संचालन के लिए बनाई गई केन्द्रीय टीम के अलग अलग सदस्य समय पर अलग अलग समस्याओं से जूझते रहे और आपने अपनी स्थिति को सुरक्षित रखते हुए उनकी कम समझदारी का रोना रोते रहे. “पोलिटिक्स इन कमांड” का जाप करते हुए “मेन(men) इन कमांड” की घृणित कार्यप्रवृत्ति को व्यवहार में अपनाये रहना मुंह में राम बगल में छुरी जैसा ही था. “All my attempts and consequently my failures seem to be a shameless punishment of loving me for all those innocent and humble persons, who due to one or other reason came near at one or other turn of life and loved me selflessly.” अपने प्यार का हवाला देकर लोगों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने की लिजलिजी प्रवृत्ति से आपके करीब आने वाले हर आदमी को जूझना पडा है. बी.एससी. की पढाई पूरी होने के बाद से ही मैं व्यक्तित्त्व विकास परियोजना के कामों में कोई प्रत्यक्ष भूमिका न निभाने के बावजूद मैं इससे पूरी तरह से अलगाव की स्थिति में भी नहीं था. मगर पिछली बातचीत ने मुझे अपनी स्थिति का एक बार फिर से समग्र मूल्यांकन करने पर विवश कर दिया.
पिछली मुलाकात के बाद जो सूत्र आपने दिया, वह तो मार्क्सवाद-लेनिनवाद की पीठ में छुरा भोंकना ही था. वास्तव में मार्क्सवाद-लेनिनवाद का सैद्धांतिक विकास बहुत सारी प्रवृत्तियों के साथ संघर्षों के दौरान ही हुआ है. क्रांतिकारी आन्दोलन के ठहराव या क्रांति पर प्रतिक्रांति की लहर हावी होने के दौर में यह हमेशा होता रहा है कि क्रांतिकारी व्यवहार से कटे बुद्धिजीवी आन्दोलन के ठहराव का सम्यक और गहन विश्लेषण करने की बजाय मार्क्सवाद की उन शिक्षाओं पर ही हमला करने लगते हैं जिनके बगैर क्रांतिकारी आन्दोलन कभी खड़ा ही नहीं हो सकता. उदाहरण के लिये लेनिन के दौर में मेन्शेविक ऐसे ही निठल्ले बुद्धिजीवी थे जो लेनिन के पार्टी संबंधी सिद्धांतों को नकार कर दुअन्नी-चवन्नी छाप मेम्बरशिप वाली मॉस पार्टी की अवधारणा पेश कर रहे थे और यह भी ऐतिहासिक सत्य है कि लेनिन के नेतृत्त्व में जब बोल्शेविक पार्टी क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर बढ़ रही थी तब इन मेंशेविकों ने सत्ता के एजेंटों की भूमिका निभाई. इसी तरह रूस और चीन में संशोधनवादी सत्ता के अस्तित्त्व में आने और खास तौर पर सोवियत संघ के विघटन के बाद पूरी दुनिया के निठल्ले बुद्धिजीवियों में लेनिन के पार्टी विषयक सैद्धान्तिक अवदानों को नकार देने का फैशन बहुत चलन में है. हास्यास्पद बात तो ये है कि किसी भी तरह के क्रांतिकारी प्रयोग खड़ा करने या किसी भी तरह की सैद्धान्तिक व्याख्या करने में अक्षम टुटपूंजिये भी अपने क्रांतिकारी व्यक्तित्त्व हीनता को छिपाने के लिये फर्जी सिद्धांतों की आड़ लेने से बाज नहीं आते. क्रांतिकारी आन्दोलन के इतिहास में बार बार ऐसे मौके आते हैं जब लोग अपनी व्यावहारिक गड़बड़ियों के पीछे के सैद्धांतिक भटकावों की तलाश करने के बजाय सिद्धांत पर ही सवाल खड़े करने लगते हैं और प्रायः यह सामने आता है कि ये प्रवृत्तियाँ आन्दोलन के इतिहास में कई बार दुहराई जा चुकी होती हैं और उस ऐतिहासिक कथन पर सीधे सीधे खरा उतरती हैं जिसके अनुसार इतिहास की घटनाएँ जब दुहराई जाती हैं तो पहले तो वह त्रासदी और उसके बाद कॉमेडी के रूप में ही दुहराई जाती हैं. मार्क्सवाद-लेनिनवाद पर कीचड़ उछालने की यह प्रवृत्ति ऐसे लोगों को उसी सड़ांध मारते दलदल में पंहुचा देगी जिसे वे अपने खलिहरपन को दूर करने के लिए अपने चारों ओर तैयार करते है और जिससे वे लगातार कीचड़ बटोर बटोर कर मार्क्सवाद-लेनिनवाद के ऊपर फेंकते रहे हैं
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Anurag Pathak Apna new no de de
Girijesh Tiwari नमस्ते अमित, आपकी पोस्ट पढ़ी, बेहतर होता अगर हम आमने सामने बात करते. बात पोस्ट्स और कमेन्ट्स से कहीं अधिक है और कहीं अधिक महत्वपूर्ण भी हम दोनों के लिये ही.
Dhriti Pragya Singh अमित क्या यह उचित है कि हम बिना विचार विमर्श के अपने निजी विचार थोप दें किसी पर
अपनों का दुख सौ दुखों से भारी होता है बेटा
तुम एक बार बात तो करते
Bittu Singh Rathor bhaiya ji kaha par hai
--------------------
अमित पाठक की यह पोस्ट मेरे इस चित्र पर की गयी आत्मालोचना पर है.



30 comments:

  1. Girijesh Tiwari https://www.facebook.com/shivam.../posts/725572604222295...
    43 mins · Like

    Girijesh Tiwari thanks Navin K. Gaur
    25 mins · Like

    Girijesh Tiwari every one who is interested in this debate, please see this post as a continuation of this post give in the link and evaluate me and my experiments yourself.
    http://young-azamgarh.blogspot.in/.../kavita...

    YOUNG AZAMGARH: Kavita Krishnapallavi - कृश्‍न चंदर के गधे की नयी आत्‍मकथा
    YOUNG-AZAMGARH.BLOGSPOT.COM
    23 mins · Like · Remove Preview

    Girijesh Tiwari Shivam Aniket - "मैं अभी एक मित्र के हैसियत नहीं बल्कि “व्यक्तित्त्व विकास परियोजना” का पूर्व सदस्य के हैसियत से कहना चाहता हूँ, राजनैतिक समझ कम होने के बावजूद भी कहना चाहता हूँ कि- मुझे मेरे इनबॉक्स में एक संदेस के रूप में मेरे 'अज़ीज मित्र' की पोस्ट मिली है, उस पोस्ट में अज़ीज ने हकीकत और सिर्फ़ हकीकत बयाँ किया है.
    और कुछ लोग कयास लगा रहें है कि पोस्ट में जो बात बयाँ किया गया है वो 'इनकी भाषा और स्वर' नहीं बल्कि किसी और शख्स के है, ठीक हैं कुछ वक्त के लिए मैं मान लेता हूँ की ये भाषा और स्वर किसी और शख्स के है फिर भी मैं ये कैसे मान लूँ की ये बात व स्वर अज़ीज के नहीं है. अज़ीज उस बात से पूर्णतया सहमत है तभी तो उन्होंने इसे पोस्ट किया है. और पुनः मैं दोहराना चाहता हूँ कि- 'अज़ीज ने हकीकत और सिर्फ़ हकीकत बयाँ किया है'.
    अब एक मित्र के हैसियत से कहना चाहता हूँ ( भले ही इस बिच हम एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पा रहे हों ) कि- मैं हकीकत के साथ हूँ, अज़ीज के साथ हूँ. अज़ीज तुमने देर से ही बोला पर बोला तो सही, खैर.
    ( मैं भावनाओं का लिहाज करते हुए नाम नही ले पा रहा हूँ, जरूरत होगी तो जरूर लूँगा )
    अभी बात स्पष्ट करने के लिए ये काफ़ी है बाकि बात जरूरत पड़ने पर यही की जायेगी.
    Abhishek Pandit - mujhe bhi khusi ho rahi hai,halanki nakli vampanthiyo or lal salam k naam pr haram khori or malaee katne wale kabhi asli marxist nahi ho sakte,haqikat yah hai ki inhi dhokhebazo ki bazah se pura ka pura baam andolan asfal hua hai,vaishvik istar pr,yaha mai ek baat spashth kr du mai marxist nahi hu,pr aam aadmi k bhalayi k baare me ek aam jimmedar nagrik ki haisiyat se sochta rahta hu,waqat aane pr kuch karne ki kosis bhi karta hu,lekin desh me jo bhi baam aandolan chal rahe hai wo sabhi dhurth or avsarwadi logo k nritiva me ho rahe hai,isme koi do rai nahi,yahi karan hai ki comunisth viswashniy nahi hai

    Girijesh Tiwari - thanks. It will be better to attack with full energy than to wait for any chance. The person is not standing on mud, It is I and I am standing firmly on my position. Don't hide behind any curtain. The reality is bitter and the people know the facts of the movement and about the traitors.

    Shivam Aniket most welcome.

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  2. Navin K. Gaur प्रिय अमित आपके प्रति अनन्य स्नेह के साथ कुछ बातें मैं भी बोलने की अनुमति चाहूंगा। हम लोग साथ में तो नही रहे लेकिन मुझे आपकी ये पोस्ट देख कर लग रहा है की आप भी उसी बीमारी का शिकार हो गए हैं जिसकी वजह से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथ दम तोड़ रहा है और वो बीमारी है चीज़ों को उनके मूल रूप से हट कर उस रूप में देखने की कोशिश करना जिसमे न तो वो हैं न ही कभी होंगी,,,, और अपने ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए शब्दों का जाल बुनना जो कतई सामान्य इंसान की समझ के परे है.... आपके पास मार्क्सवाद पर मुझसे बेहतर साहित्यिक ज्ञान है। .... मुझे तो एक लम्बा अरसा हो गया है क्लासिकल मार्क्सवाद लेनिनवाद को पढ़े तो इस मुद्दे पर मैं आपसे कुछ नही कहूँगा लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय में आप भी एक रूमानी कम्युनिस्ट ही हैं जो जे एन यू के होस्टल्स में पाये जाते हैं.... न तो यहाँ पे विचारधारा का कोई प्रश्न है न ही काइंयापने का... सवाल है की अगर कोई पब्लिकली अपनी कमियों को या अपनी असफलताओं को मान रहा है तो उसकी प्रशंसा होनी चहोये… और अनुशंसा तो कतई नही.... तिवारी सर के साथ मैंने अपनी ज़िंदगी का एक बहुत लम्बा समय गुज़ारा है… शायद आप सभी में सबसे ज्यादा। । मेरे उनसे विवाद भी रहे हैं कई मुद्दों पर पर उनकी नीयत पर, उनकी प्रतिबद्धता पर प्रश्न करने की किसी की हिम्मत नही हुइ…… और एक बात की अगर आपको कोई समस्या है या कोई विवाद का विषय है तो भी आपको भाषा की मर्यादा बनाये रहनी चहिये… मत भूलिए आप उस इंसान से बात कर रहे हैं जिसकी वजह से ही आप ये सब बोलने के काबिल बने हैं........ हम सब बने है…… मेरा ख़याल है की जिस इंसान ने आपको या मुझे इतना कुछ दिया है वो इतना हक़ तो रखता ही है। …।

    आभार सहित… नवीन
    33 mins · Unlike · 1

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  3. Abhishek Pandit grijesh tiwari aap kitne dhurath hai iska andaza tou mujhe ho gaya thha lekin ab jo aapne mere likhe ko shivam k bahane share kr khud ko defend karne ki kosis ki hai yah aapk uss dhurtata ko or bhi spashth kr raha hai, jiska ilzam amit ne apni baat me ishare ishare me likha hai,halanki aapse samwad khatam krne k baad bhi maine aapko fb se unfriend nahi kiya tha,pr kl aapke post k baad maine aapko unfriend kr diya,uski wajh ye thhi,ki mai aapk jhuthe vyavhar or lekhan ko ab nahi sah sakta hu,pr uske bavjud aapne mere comment ko like kiya,or mujhe uksaane ki kosis kiya hai,tou mai aapko bata du ki mai aapka padosi hone k naate kisi dusre se jyada behtar aapko janta hu,logo ko chutiya banao mujhe koi iatraz nahi,mujhe mat chhedo warana kahi k nahi rahoge,ye dhamki nahi tumhre jaise dhurth aadmi ko ek dayalu aadmi ki salah hai
    2 hrs · Unlike · 1

    Girijesh Tiwari jo aapne thok bhav se deen, un sabhi gaaliyon ke sath hi is tippani ke liye bhi thanks bolta hoon. aur har dhamkee ka mukabla karne ka man bana kar hi dhartee par aaj tak tahal raha hoon, jo bhi armaan hon, aap bhi poore kar len, varna afsos rah jaayega.
    2 hrs · Edited · Like

    Abhishek Pandit ha ha ha grijesh tiwari tum samjte ho ki tum mujhe badka k mujse uttejana me kuch kahlwa loge jisse ki log mujhe galat or tumhe sahi samjhe,tumhari vinmrta ek ghatiya or jhute aadmi ka hathiyaar hai,jiski aad me tum apna bachav kr rahe ho,pr ghabrao at ek sima k baad mujhe kisi baat or chiz ki parwah nahi hoti,bus kahi mera dhairya na chunk jaye isse mai khud hi dar raha hu,tumhre jaise logo ne hi samaj me viswash ka sankat paida kiya hai,logo ko chala hai

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  4. 3 hrs · Like · 1

    Shivam Aniket सर, हिंदी में बोलते तो में बेहतर तरीके समझ पाता मेरी अंग्रेजी कमजोर हैं, आप भलिभाँति जानते हैं।
    2 hrs · Like · 1

    Abhishek Pandit isi liye tou angreji baghar raha hai ye aadmi,hindi me kahi gayi baat ko angrezi me jawab dena bhi ek tarah ki chalanki hi hai,
    2 hrs · Like · 1

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  5. March 27 at 7:30pm · Unlike · 3

    Girijesh Tiwari thanks Navin K. Gaur
    March 27 at 7:38pm · Like · 1

    Girijesh Tiwari every one who is interested in this debate, please see this post as a continuation of the post give in the link and evaluate me and my experiments yourself.
    http://young-azamgarh.blogspot.in/.../kavita...

    YOUNG AZAMGARH: Kavita Krishnapallavi - कृश्‍न चंदर के गधे की नयी...
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    March 27 at 7:44pm · Edited · Like · 1 · Remove Preview

    Girijesh Tiwari Shivam Aniket - "मैं अभी एक मित्र के हैसियत नहीं बल्कि “व्यक्तित्त्व विकास परियोजना” का पूर्व सदस्य के हैसियत से कहना चाहता हूँ, राजनैतिक समझ कम होने के बावजूद भी कहना चाहता हूँ कि- मुझे मेरे इनबॉक्स में एक संदेस के रूप में मेरे 'अज़ीज मित्र' की पोस्ट मिली है, उस पोस्ट में अज़ीज ने हकीकत और सिर्फ़ हकीकत बयाँ किया है.
    और कुछ लोग कयास लगा रहें है कि पोस्ट में जो बात बयाँ किया गया है वो 'इनकी भाषा और स्वर' नहीं बल्कि किसी और शख्स के है, ठीक हैं कुछ वक्त के लिए मैं मान लेता हूँ की ये भाषा और स्वर किसी और शख्स के है फिर भी मैं ये कैसे मान लूँ की ये बात व स्वर अज़ीज के नहीं है. अज़ीज उस बात से पूर्णतया सहमत है तभी तो उन्होंने इसे पोस्ट किया है. और पुनः मैं दोहराना चाहता हूँ कि- 'अज़ीज ने हकीकत और सिर्फ़ हकीकत बयाँ किया है'.
    अब एक मित्र के हैसियत से कहना चाहता हूँ ( भले ही इस बिच हम एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पा रहे हों ) कि- मैं हकीकत के साथ हूँ, अज़ीज के साथ हूँ. अज़ीज तुमने देर से ही बोला पर बोला तो सही, खैर.
    ( मैं भावनाओं का लिहाज करते हुए नाम नही ले पा रहा हूँ, जरूरत होगी तो जरूर लूँगा )
    अभी बात स्पष्ट करने के लिए ये काफ़ी है बाकि बात जरूरत पड़ने पर यही की जायेगी.
    Abhishek Pandit - mujhe bhi khusi ho rahi hai,halanki nakli vampanthiyo or lal salam k naam pr haram khori or malaee katne wale kabhi asli marxist nahi ho sakte,haqikat yah hai ki inhi dhokhebazo ki bazah se pura ka pura baam andolan asfal hua hai,vaishvik istar pr,yaha mai ek baat spashth kr du mai marxist nahi hu,pr aam aadmi k bhalayi k baare me ek aam jimmedar nagrik ki haisiyat se sochta rahta hu,waqat aane pr kuch karne ki kosis bhi karta hu,lekin desh me jo bhi baam aandolan chal rahe hai wo sabhi dhurth or avsarwadi logo k nritiva me ho rahe hai,isme koi do rai nahi,yahi karan hai ki comunisth viswashniy nahi hai

    Girijesh Tiwari - thanks. It will be better to attack with full energy than to wait for any chance. The person is not standing on mud, It is I and I am standing firmly on my position. Don't hide behind any curtain. The reality is bitter and the people know the facts of the movement and about the traitors.

    Shivam Aniket most welcome.
    March 27 at 7:48pm · Edited · Like

    Abhishek Pandit grijesh tiwari aap kitne dhurath hai iska andaza tou mujhe ho gaya thha lekin ab jo aapne mere likhe ko shivam k bahane share kr khud ko defend karne ki kosis ki hai yah aapk uss dhurtata ko or bhi spashth kr raha hai, jiska ilzam amit ne apni baat me ishare ishare me likha hai,halanki aapse samwad khatam krne k baad bhi maine aapko fb se unfriend nahi kiya tha,pr kl aapke post k baad maine aapko unfriend kr diya,uski wajh ye thhi,ki mai aapk jhuthe vyavhar or lekhan ko ab nahi sah sakta hu,pr uske bavjud aapne mere comment ko like kiya,or mujhe uksaane ki kosis kiya hai,tou mai aapko bata du ki mai aapka padosi hone k naate kisi dusre se jyada behtar aapko janta hu,logo ko chutiya banao mujhe koi iatraz nahi,mujhe mat chhedo warana kahi k nahi rahoge,ye dhamki nahi tumhre jaise dhurth aadmi ko ek dayalu aadmi ki salah hai

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  6. March 27 at 8:11pm · Unlike · 1

    Girijesh Tiwari jo aapne thok bhav se deen, un sabhi gaaliyon ke sath hi is tippani ke liye bhi thanks bolta hoon. aur har dhamkee ka mukabla karne ka man bana kar hi dhartee par aaj tak tahal raha hoon, jo bhi armaan hon, aap bhi poore kar len, varna afsos rah jaayega.
    March 27 at 8:17pm · Edited · Like

    Abhishek Pandit ha ha ha grijesh tiwari tum samjte ho ki tum mujhe badka k mujse uttejana me kuch kahlwa loge jisse ki log mujhe galat or tumhe sahi samjhe,tumhari vinmrta ek ghatiya or jhute aadmi ka hathiyaar hai,jiski aad me tum apna bachav kr rahe ho,pr ghabrao at ek sima k baad mujhe kisi baat or chiz ki parwah nahi hoti,bus kahi mera dhairya na chunk jaye isse mai khud hi dar raha hu,tumhre jaise logo ne hi samaj me viswash ka sankat paida kiya hai,logo ko chala hai
    March 27 at 8:21pm · Like

    Amit Azamgarh पहली बात तो यह है कि इस पोस्ट को मैंने एक बार और आपके वाल पर चस्पा किया था. तब न जाने किस जनवादी कार्यप्रणाली का शिकार होकर यह पोस्ट गायब हो गयी. फिर अगली सुबह दुबारा यह पोस्ट मुझे इस रूप में डालनी पड़ी. दूसरे जहाँ तक रही बात मिलकर बात करने की, यहाँ भी आपको लोगों के बीच यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि इस विषय पर आपसे मिलकर 3-4 दिन बात कर चुका हूँ. लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला. हाँ इतना जरूर है मैं सही नतीजे पर पहुँच गया. क्रांतिकारी पार्टी के मार्क्सवादी-लेनिनवादी ढाँचे की अवधारणा की जगह सत्ता के ढाँचे में अपने लोगों को पहुंचा कर क्रांति कर देने की संशोधनवादियों से भी ज्यादा मूर्खतापूर्ण प्रलाप सुनने के बाद मैं ये समझ पाया कि व्यक्तित्त्व विकास परियोजना क्रांति के नाम पर धूर्तता से ज्यादा कुछ नहीं है. बात पोस्ट और कमेन्ट से कहीं ज्यादा थी जो हम कर चुके हैं. और अब इस पर कोई भी बात करने में समय बर्बाद करने की मैं कोई जरुरत नहीं समझता. प्लेखानोव ने कहा था कि “जिंदा लोग जिंदा सवालों पर सोचते हैं”
    जहाँ तक रही बात दम तोड़ते वामपंथी आन्दोलन पर आंसू बहाने वालों की, तो स्पष्ट कर दूं कि फिलहाल तो मैं उस रूमानियत से कोसों दूर हूँ. जहाँ इस तरह की फेसबुकिया बहसों के नेट भी कायदे से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. मगर जेएनयू की रूमानियत बस जेएनयू कैंपस में नहीं दिखाई पड़ती, वह लोगों की निजी ज़िन्दगी में भी दिखाई देती है. कमरे के भीतर बैठकर मार्क्सवाद की विद्वत्ता हासिल करने वालों और ज़मीन पर कुछ करने की बजाय कमरे में बैठकर वामपंथी आन्दोलन के दम तोड़ने का मातम मनाने वालों को कोई अतिरिक्त जवाब देने की मैं जरुरत नहीं समझता. तो बेहतर होगा की दूसरों को सलाह देने में वक़्त जाया करने की बजाय अपने करियर पर ध्यान दें.
    12 hrs · Like · 1

    Mrityunjay Singh contradiction between contradiction!
    11 hrs · Like

    Mrityunjay Singh apne mujhe ...isse milne ko khan tha... dudh ke dant tute ni ...marx..marxism ka jap shuru...
    11 hrs · Like

    Amit Azamgarh hahaha... hamane gurumantra to liya nahi tha. isliye jaap kaa to koi sawaal hee nahi uthata. haan, aapke itihas bhugol se to mai parichit hee hu.ab aap ko bhi alag se daant kitkitane se kya fayda.?
    9 hrs · Like · 1

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  7. 9 hrs · Like · 1

    Abhishek Pandit amit mujhe bahut khusihai ki tumne apne vichar spasht prakat kr diye.mai tou jayad school padhaee kiya nahi or apne mul pesa threatre ki bhi koi training nahi ki,fir chacha marx ko bhi seminaro me sun kr vampanthi rachanye padh sun kr,yah tathakathit marxistho k sangat me rah kr dekha jana samjha hai,ab jb ki tumhari baato se spashth ho chuka hai ki tum iss vichardhara se gahre jud gaye ho,tou mai tumhe kuch nahi kahunga.aap balig hai or tis pr se honhar or samjhdar bhi,or mai ek lotantrik soch ka aadmi hu so tumhare vicharo ka qadra bhi karta hu,lekin amit yah waqt tumhare cairier banane ka hai,iss waqt ka istemal agar tum apni padhee likhai me karte tou achha hota(bus ek kamzor si guzaris hai ye)lekin ek baat or kahna chahta hu,ki iss aadmi ko pahchanne me tumhe itne din lag gaye,ho sakta hai ki aaj jin logo k saath ho unhe bhi jb pahchan pao tb tk kafi der ho chuki ho,khair mera jitno se bhi sabka pada hai sab k sab dhurth or laffaz hai kewal likh bol kr kaam chala lene wale log hai,marx k naam pr apni dukaan chalate hai kisano or garibo ko uss karte hai,khud doctor hai profesar hai,dusro ko hol timmer banate hai,waise maine shayad ab tumhe masvira dene ka haq kho diya hai,pr fir bhi ek baar mil lo. plz
    8 hrs · Like

    Abhishek Pandit or grijesh ne tumhare iss post pr kai logo k massage box me likha.jisme se ek mai tumhare baare me shaq kr rahe hai ki yum ya tou murkh ho ya swarthi? saath hi yah afwah bhi faila rahe hai ki yah lekh tumne nahi kisi or ne likha hai jo unke khilaaf tumhara istemal kr raha hai,
    8 hrs · Edited · Like

    Mrityunjay Singh achha h itihas bhugol ki jankari rakho ... suna h ajkal selection inhi vishyo se hota h... hahaha
    7 hrs · Like

    Mrityunjay Singh aur tant wo kitkitate h jo -vadi- hote h mai koi vadi ni ki meri ...dhara ..par prashan karoge aur mai chidh jaunga...
    7 hrs · Like

    Mrityunjay Singh aur ek chhoti si bat ...mere dada pardada itna chhod gye h ki...mujhe marx ke nakshe kadam pe chalne ki jarurat ni... aur na hi kisi gurumantra ke vakat mujhse kisi guru ne marx ki baat ki... afsos tumhare sath ulta ho gya..
    7 hrs · Like

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  8. मलंग आदम मैं चाहता हूँ की यह कॉमेंट इतने लोग जरूर पढ़ें......
    Abhishek Pandit Shivam Aniket Amit Azamgarh Navin K. Gaur Girijesh Tiwari Dhriti Pragya Singh
    अभिषेक जी! ज़रा अपने धैर्य से कहिये की मेरे विरुद्ध चुक कर दिखाए.......
    विनम्रता अगर कुटिल आड़ है आपकी नजर में तो आपकी यह कायराना धमकी मेरे लिए किसी वेश्या की गाली जैसी है जो कर कुछ नहीं पाती तो खुद को बेइज्जत कर के ही दूसरे पर कीचड़ उछालती है।
    और हाँ! जब मैं नंगा करना शुरू करता हूँ न तो कपडे नहीं उतरते चमड़ी उतर जाती है।
    अमित! कभी एक आत्मिक लगाव महसूस किया था तुम्हारे किये मैंने, इसलिए अपनी ओर से तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ मित्र........
    किसी भी व्यवस्था में बदलाव बहुत व्यापक प्रक्रिया होती है इसमें हजारो लाखों काम होते हैं जिन्हें मानसिक और शारीरिक स्तर पर लोगों में बांटा जाता है। लेनिन मार्क्स और माओ जैसे लोग अगर वैचारिक और राजनैतिक स्तर पर लड़ते हैं तो हजारो लाखों अपने अपने स्तर पर नाटक कहानियां हथियार वगैरह से विचारधारा के प्रति अपना समर्पण दिखाते हैं लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है की किसी की भूमिका या उपयोगिता छोटी है।
    यह विषय मैं तब से देख रहा हूँ जब शायद आपने क्रान्ति शब्द भी नहीं सूना होगा.....
    हजारों लाखों होलटाइमर्स जो पूरी जिंदगी सभाओं में कुर्सियां ढोते रहे या गावों में चप्पले चटकाते रहे मानसिक रूप से ज्यादा सक्षम होने के बाद भी अपनी बुढ़ौती में दवा के अभाव में मरने के लिए शापित हैं और वाम्पन्ति गुटों में केवल मजाक के पात्र जब की क्रान्तिकारिता की दूकान चलाने वाले वामपंथी रहनुमा बिना दारु के खाना भी नहीं पचा पाते और यह स्थिति दिल्ली से लेकर बंगाल तक हर जगह है। तुम्हारी वैचारिक और मानसिक क्षमता प्रभावी है, किसी के साथ रहना या जाना तुम्हारी इच्छा और स्वतन्त्रता है लेकिन जिस आदमी ने तुम्हें इतना कुछ पढ़ना लिखना बोलना सिखाया उसके लिए कम से कम औपचारिक सम्मान का ध्यान तो तुम्हे रखना ही चाहिए, मैं अभी भी यही मान रहा हूँ की ऊपर पोस्ट मे जो भाषा है वो तुम्हारी हो ही नहीं सकती।
    गिरिजेश सर! ये पहली बार नहीं है जब लोगों ने अपना रंग बदला है और न ही आखिरी बार। आपको क्यों फर्क पड़ रहा है ........आपको तो आदत हो जानी चाहिए इस सब की।
    सर रास्ता अंधों को दिखाया जाता है, खपच्ची कमजोर पौधे में बांधनी चाहिए....
    ये सब तो आँख वाले हो गए हैं,मजबूत युवा वृक्ष.....
    बहुतेरे भटके गिरे ......
    कुछ वापस भी आये मेरे जैसे....
    आप निश्चिन्त रहिये जो जा रहा है आशीर्वचनों के साथ विदा करिये।
    एक बात उन सबसे जो इस कॉमेंट को पढ़ रहे हैं-
    संवाद की न्यूनतम औपचारिकता बनाये रखें। सब कुछ के बाद इस आदमी में मुझे और मेरी सामर्थ्य से हजार गुना अधिक सामर्थ्य वाले हजारों व्यक्तित्व गढ़े हैं......
    तुम्हारे मानने या न मानने के बाद भी कई मामलों में तुम्हारा भी अमित
    तो गाली गलौज और शक्ति प्रदर्शन किसी भी स्तर पर जिसे जो भी करना हो मुझसे करे मेरा नंबर है-7844048304
    5 hrs · Unlike · 3

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  9. Dhriti Pragya Singh आदम इस मुद्दे ने मुझे भी बहुत परेशान किया
    तुम शायद समझ सको कि एक बेटी के लिये उसके बाप के आंसू से ज्यादा पीङादायक कुछ नहीं हो सकता
    सर ने अपने जीवन की सारी लङाईयां बिना मेरे जैसे लोगो के मदद के लङी हैं
    और ये तो खैर लङाई भी नहीं
    5 hrs · Unlike · 2

    मलंग आदम Dhriti मैम! मैं अचंभित रहता हूँ इस आदमी के जुनून से हर बार जब कोई व्यक्तित्व गढ़ता है यह अपनी अंगुलियां लहूलुहान करता है रातों कीनींद हराम करता है और हर बार जब बेडौल पत्थरों की मूरत तैयार होती है भाग कर बाजार में अपना मूल्य लगाने निकल पड़ती है।
    मैं परेशान नहीं हूँ मेरे कान तक लाल हो गए ऊपर की टिप्पणियॉ पढ़ कर........
    घृणा और क्रोध की लहर दौड़ पड़ी लेकिन कुछ नहीं कर सकता।
    5 hrs · Unlike · 2

    Dhriti Pragya Singh अमित तुम स्पष्ट करो कि तुम्हें वामपंथ से नफरत है या वामपंथियों से
    हम दोनो मुद्दों पर बात करेंगे
    तुमने मुझे क्यों टैग किया ये भी बताओ
    5 hrs · Unlike · 1

    Dhriti Pragya Singh तुम्हें बहस करने का सलीका भी तिवारी सर ने सिखाया होगा
    या तुम युवा हो नया तरीका भी तुमने विकसित किया होगा
    आओ और बहस करो
    5 hrs · Unlike · 1

    Mrityunjay Singh maine har sang tarasa magar afsos but parsto ne kabhi kisi but ko puja ni ....!
    4 hrs · Unlike · 1

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  10. Girijesh Tiwari 1. Shivam Aniket से Inbox बातें तथ्यों के तौर पर सन्दर्भ के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ. तथ्यों में तोड़-मरोड़ अनुचित है. शातिर दिमाग अपनी औकात दिखाये बिना रह नहीं पाते. उनके लिये केवल अफ़सोस किया जा सकता है.
    Thursday
    Shivam Aniket
    3/26, 7:13pm
    Shivam Aniket
    सर, अमित कहाँ है आपको कोई खबर है क्या?
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:29pm
    Girijesh Tiwari
    nmaste shivam, n koi sampark aur n hi koi pataa.
    Shivam Aniket
    3/26, 7:31pm
    Shivam Aniket
    ok
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:31pm
    Girijesh Tiwari
    maine ek chat message bhi bheja tha. phone bhi switch off tha.
    aap ka kya samachar hai...
    Shivam Aniket
    3/26, 7:38pm
    Shivam Aniket
    दरअसल कल का दिल्ली में लाठीचार्ज हुआ है कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। और उस सूची में 'अमित' नाम का भी जिक्र है, मै बस जानना चाहता था कि कहीं अपने अमित तो नहीं है। और अभी तक पता नहीं चल पाया है, इसी बात को लेकर कल से थोड़ा चिंतित हूँ।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:39pm
    Girijesh Tiwari
    agar koi jankari mile to mujhe bhi bataiyega
    Shivam Aniket
    3/26, 7:40pm
    Shivam Aniket
    thik hai.
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:41pm
    Girijesh Tiwari
    aap ka kya samachar hai..
    Shivam Aniket
    3/26, 7:43pm
    Shivam Aniket
    मै ठीक हूँ, बस थोड़ी सी बेचैनी है।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:44pm
    Girijesh Tiwari
    kaam dhaam
    Shivam Aniket
    3/26, 7:46pm
    Shivam Aniket
    नहीं कोई काम नहीं कर रहा हूँ, हो सके तो जल्द ही वापस आज़मगढ़ आऊं।
    अर्थव्यवस्था अब यहाँ रहने की इजाजत नहीं देती है।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:49pm
    Girijesh Tiwari
    beta, man lagaa kar koi ek jagah chun lo, jahaan bhi uchit samjho tik kar achchha bura jo bhi samne aaye uske liye khud ko taiyar kar ke jo bhi karna chaho, kar sako vah karne se santosh milega varana vaqt barbad hone par keval afsos hoga. azamagarh bhi koi bura nahi hai. maine apne liye agar azamgarh ka chayan kiya hai, to soch samajh kar ke hi kiya hai aur abhi bhi main apne chayan se santusht hee hoon.

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  11. Girijesh Tiwari
    3/26, 7:50pm
    Girijesh Tiwari
    dillee mahnga shahar hai. azamgarh uske tulna me sasta bhi hai aur logon ke pas dillee ki tulna me meri bat sunne ke liye samay bhi hai.
    dillee se sampark banaa rahe aur agar koi bada offer mile to touch kiya ja sake, itna zaroori hai.
    bas. mera mat hai ki abhi bhi tumko bhi apnee aage ki padhai jaari rakhnee chahiye aur azamgarh me do teen tyooshan se yah aasaanee se sambhav hai aur tum ise kar bhi chuke ho. azamgarh me ham fir bhi koi doston ka ghera bana sakte hain.
    dillee me vah bhi mumkin nahi hai.
    jo oopar chadh chuke hain, ve hee dillee me rah kar bhi samay par sath nahi de paate aur jo struggler hain, unka mera prayog vifal ho chuka hai.
    Shivam Aniket
    3/26, 7:55pm
    Shivam Aniket
    यहाँ काम करना मेरे लिए मुश्किल बहुत मुश्किल है। वैसे यहाँ मैने जे एन यू का फॉर्म भरा है। जिसकी वहाँ वो दो महीने की तैयारी भी करवाते है। पर मेरे पास पैसे नहीं है की मै दो महीने रुक सकूँ।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 7:56pm
    Girijesh Tiwari
    aur j.n.u. ka form amit aur awadhesh bhar chuke hain aur dono ka nahi nikla hai.unkee tulna me yahaan main taiyar i karva sakta hoon.
    ve azamgarh me ladkon kee shiksha ka star nahi samajh sakte main samajh sakta hoon. paise ka kuch kiya ja sakta hai magar kshmta ka to mehanat hi karna hoga
    agar j.n.u me hi padhne ka irada ho to bhi meree salaah hai ki aap azagarh aa jaaiye aur yahaan rah kar hi taiyari keejiye. chahiye to awadhesh se baat agar kar saken to kar lijiye aur tab faisala keejiye abhi bhi mujhe apnee taakat par bharosa hai.
    Shivam Aniket
    3/26, 8:01pm
    Shivam Aniket
    हाँ मै काफी सोच के भरा हूँ, और जब भरा हूँ तो मेहनत करना ही है।
    देखता हूँ।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 8:03pm
    Girijesh Tiwari
    abhi bhi bahut nuksan nahi hua hai. abhi bhi main zinda hoon aur abhi bhi ham naye sire se nayee koshish kar sakte hain. shuruvaat kabhi bhi ho, ummeed jagati hai aur shuruvaat karne ke liye kabhi bhi der nahi hoti. mera anurodh hai ki abhi bhi meree salaah ko laagoo keejiye aur shayad aapke roop me hi main bhi safal ho sakoon.
    Shivam Aniket
    3/26, 8:08pm
    Shivam Aniket
    आप निश्चित रहें, मै पूँजीवादी व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनूँगा।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 8:09pm
    Girijesh Tiwari
    so to hai magar jitnee taakat rahegee utnaa hee oonchaai tak pahunch sakenge.
    Shivam Aniket
    3/26, 8:10pm
    Shivam Aniket
    और यहाँ दिल्ली में समय भी बर्बाद नहीं कर रहा हूँ। बल्कि बहुत कुछ सीख रहा हूँ।
    Girijesh Tiwari
    3/26, 8:11pm
    Girijesh Tiwari
    tab theek ha
    Shivam Aniket
    3/26, 8:14pm
    Shivam Aniket
    ok.
    4 hrs · Like

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  12. Girijesh Tiwari 2. Shivam Aniket से Inbox बातें तथ्यों के तौर पर सन्दर्भ के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ. तथ्यों में तोड़-मरोड़ अनुचित है. शातिर दिमाग अपनी औकात दिखाये बिना रह नहीं पाते. उनके लिये केवल अफ़सोस किया जा सकता है.
    Friday
    Girijesh Tiwari
    3/27, 8:54am
    Girijesh Tiwari
    नमस्ते , क्या समाचार है
    मैं इधर लगातार डिस्टर्ब चल रहा हूँ. या तो मूर्ख हैं, या स्वार्थी - अभी भी उनके घेरे में ही फंसा हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि और बेहतर लोगों को कैसे जोड़ सकता हूँ.
    अभी अमित पाठक ने शशि प्रकाश की टीम के स्वर में पोस्ट किया. मेरी वाल पर देखिए. इनकी भाषा और स्वर समझ में आ जाएगा.क्या सलाह है आपकी !
    Shivam Aniket
    3/27, 9:23am
    Shivam Aniket
    ok
    amit ne hame abhi block kar rakha hai mujhe post nhi mil rhi hai.
    Girijesh Tiwari
    3/27, 10:09am
    Girijesh Tiwari
    पोस्ट यह है
    Amit Azamgarh shared a photo to your timeline.
    9 hrs ·
    पिछले दिनों जो पोस्ट आपने मुझे टैग की थी उस पर मेरा जवाब कमेंट के रूप में जा नहीं पा रहा था. सो उसे यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
    _____A SELF-CRITICAL CONFESSION…_____
    .......
    Shivam Aniket
    3/27, 10:47am
    Shivam Aniket
    मैं भला क्या सलाह दे सकता हूँ? आप अमित को मुझ से भी ज्यादा बेहतर तरीके से जानते है. अमित और आप के बिच क्या हुआ? आपने अमित को कौन सा सूत्र दिया? ये तो आप और अमित ही जानते होंगें. मुझे इस मामले में जोड़ने का औचित्य क्या है मैं समझ नही पा रहा हूँ जबकी मैं परियोजना से दूर हूँ.आपकी जब बातचीत हो रही थी तो हमारा बैठना आपको अनुचित लगा था तो अब मेरा बोलना उचित नही है.
    आप खुद अपना पक्ष रख चुके है कि 'या तो मूर्ख हैं, या स्वार्थी - अभी भी उनके घेरे में ही फंसा हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि और बेहतर लोगों को कैसे जोड़ सकता हूँ'.
    Shivam Aniket
    3/27, 10:49am
    Shivam Aniket
    रही बात अमित के पोस्ट की उसने हकीकत बयाँ किया है.
    Girijesh Tiwari
    3/27, 12:12pm
    Girijesh Tiwari
    kal aapne amit ke baare me poochha tha. vah maine tab jitna janta tha bataya tha. aaj subah jo jaanaa vah bhi bata diya. isme jodna ya ghatana nahi hai. yah soochnatmak hai.
    Girijesh Tiwari
    3/27, 12:17pm
    Girijesh Tiwari
    aur abhi yah prayog naye tatvon ke sath chal raha hai, jin ko abhi koi anushasan tak nahi samajh me aa raha hai. aur itne svarthi hain ki kitab muft me doon to theek hai varna khareed kar mangavaa doon to khareed kar seekhne ke liye taiyar nahi hai. yah sandarbh gat hai. yah mere hisse ka mamla hai. kisee ko poora samajhna hota hai .varna galat samajh aur kah deta hai. rahee amit ke sahi kahne kee baat to us par alag se baat karne kee zaroorat hai aur vah bhi usase jo isme dilchaspee le.
    Shivam Aniket
    3/27, 12:21pm
    Shivam Aniket
    मैंने अमित के पोस्ट के बारे में नहीं बल्कि अमित कहाँ है इसके बारे में पूछा था
    Shivam Aniket
    3/27, 12:28pm
    Shivam Aniket
    अमित कहाँ है ? ये सूचना तो आपने नही दी.
    Girijesh Tiwari
    3/27, 12:36pm
    Girijesh Tiwari
    yahee to dee, jitna milee turant dee. isase adhik kahaan se doon, jo jaantaa hee nahi.
    Shivam Aniket
    3/27, 12:36pm
    Shivam Aniket
    ओके
    Girijesh Tiwari
    3/27, 12:41pm
    Girijesh Tiwari
    jaise hi koi jaankari milee main aap tak pahunchane kee koshsish karoonga.
    Shivam Aniket
    3/27, 12:41pm
    Shivam Aniket
    मैं इधर लगातार डिस्टर्ब चल रहा हूँ. या तो मूर्ख हैं, या स्वार्थी - अभी भी उनके घेरे में ही फंसा हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि और बेहतर लोगों को कैसे जोड़ सकता हूँ.
    अभी अमित पाठक ने शशि प्रकाश की टीम के स्वर में पोस्ट किया. मेरी वाल पर देखिए. इनकी भाषा और स्वर समझ में आ जाएगा. इसे मैं किस संदर्भ में लूँ.
    Girijesh Tiwari
    3/27, 12:43pm
    Girijesh Tiwari
    is baat me aage vaalee baat jodenge, tabhi nyaay kar sakenge.
    Shivam Aniket
    3/27, 12:48pm
    Shivam Aniket
    ठीक है मुझे एक बार फिर देखना होगा.
    4 hrs · Like

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  13. Girijesh Tiwari रही अमित की बात, तो अमित पाठक ने मेरे सामने पहली बार अपने पिताजी की उपस्थिति में बात की थी, तब भी वह आगे पढाई जारी रखने पर मुझसे सहमत हो गये थे और उनके पिताजी ने कहा था कि मैंने आपको जो भी बुरा-भला कहा, उसके लिये क्षमा माँग रहा हूँ.

    दूसरी बार जब Alam Khan और Awadhesh Yadav की उपस्थिति में बात किया था, तब भी वह इसके पक्ष में थे और उनको तैयारी में मदद करने के लिये मलंग आदम से सम्पर्क करने की बात तय हुई थी और उन्होंने कहा था कि उनके पास सम्पर्क है. फिर भी मलंग को बुलाकर मैंने उनसे अनुरोध किया था और उन्होंने मदद का आश्वासन दिया था. उनका फोन स्विच ऑफ रहने पर अवधेश से उनसे उनके घर पर मुलाकात करने का अनुरोध किया था. अवधेश ने बताया कि परेशान तो हैं, मगर ठीक हो जायेंगे.

    फिर भी दो बार इनबॉक्स मेसेज करने के बाद अमित ने जब मेरी आत्मालोचना वाले चित्र पर अपनी पोस्ट लगाईं तो मैंने उस चित्र को ही हटा लिया, क्योंकि उस पर टैग हुए लोगों में से अधिकतर उस राजनीतिक शब्दावली से अपरिचित थे, जिसका प्रयोग अमित की पोस्ट में था. फिर भी मैंने उनकी पोस्ट को अपने ब्लॉग में उसी जगह सुरक्षित कर लिया था, जहाँ जनचेतना के लोगों की पोस्ट और टिप्पणी है. और उसका ऊपर इसी पोस्ट के कमेन्ट में लिंक है.

    अब चूँकि अमित अपनी अवस्थिति निर्धारित कर चुके हैं. मैं उनके निर्णय को मान तो रहा हूँ. मगर मैं अपनी अवस्थिति पर मजबूती के साथ खड़ा हूँ.

    मेरी अवस्थिति है कि हमारे सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को अपनी क्षमता का अधिकतम सम्भव विकास करना चाहिए और फिर अपने लिये सर्वोत्तम स्थान चुन कर और वहाँ पहुँच कर जो भी करना हो, उसे करना चाहिए.

    और इस बात से मेरे साथियों में से कोई भी असहमत नहीं है. तीन महीने में होल-टाइमर बना कर उसे उस स्थान पर नहीं पहुँचाया जा सकता कि वह किसी भी क्षेत्र के समर्थ और अनुभवी साथियों का नेतृत्व करने में सक्षम हो जाये. whole-timer बनाने के लिये किसी भी साथी को सही समय, workload, परिपक्वता और आवश्यकता के हिसाब से टोली स्वयं ही निर्णय लेती है.

    शेष लोगों के बड़बड़ाने को मैं गम्भीरता से नहीं ले पा रहा, क्योंकि उनको बार-बार रंग बदलते अपनी आँखों से देख चुका हूँ. इस विषय के अनावश्यक विस्तार में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर कोई स्पष्टीकरण अभी भी शेष हो, तो दे दूँगा.
    3 hrs · Like · 1

    Girijesh Tiwari यही नहीं, अमित ने मुझसे संगठन के एक भगोड़े के भागने के बारे में जानना चाहा था, तो मैंने उस विषय पर साथी Digamber Digamber को सन्दर्भित करके उनसे वार्ता की थी और उन्होंने भी सहायता करने का आश्वासन दिया था.
    3 hrs · Like · 1

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  14. 3 hrs · Like · 1

    Digamber Digamber आपने व्यक्तित्व विकास कर दिया न? अब वे किसी ठग के गिरोह में चले गए तो शोक संवेदना व्यक्त कीजिए और नए लोगों का व्यक्तित्व उभारिए, कबीर को तो आप जी रहे हैं न.... कबिरा आप ठगाइये, आप ठगे सुख होय.....
    मेरी रूचि उस गिरोह से उलझने में बिलकुल नहीं जो आदिम पूँजी संचय के लिए जवानों की जवानी निचोड़ता है और मतभेद होने पर बुर्जुआ कोट में उनके ऊपर लाखों के दावे ठोकता है....
    2 hrs · Edited · Unlike · 2

    पंकज कुमार अमित भाई माफ़ी एडवांस में लेकिन क्रान्ति ना तो भूतकाल के भूत लाते हैं ना भविष्य के दूत। दुःख होता है जब हम युवा मार्क्स और लेनिन से आगे नहीं बढ़ पाते जबकि समय सैकड़ों साल आगे चला गया है। Girijesh सर आप जो कर रहे हैं सच्चे मायने में क्रान्ति वही है। मशालों के इंतज़ार करने से अच्छा पत्थर रगड़ चिंगारी उत्पन्न करना होता है। फेसबुक पर बहुत कम लोगों का प्रयास सराहनीय है , कम से कम मुझे आपने एक दिशा दी है , धन्यवाद
    अमित भाई , किताबी क्रान्ति कईयों से बस इंतज़ार करवा रही है , कम से कम भारत में मार्क्सवादियों ने किसी क्रान्ति में अपना विशेष योगदान शायद ही दिया हो। भगत सिंह के बाद हम बस चिंतन किये जा रहे हैं , और इन्ही चिंतन के क्रम में गरीबों के नेता तेजी से अमीर हो किताबों को रद्दी में बेच देते हैं।
    2 hrs · Unlike · 2

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  15. 2 hrs · Unlike · 2

    Abhishek Pandit malang aadam ji jaha tk mujhe yaad hai fb pr iss samwad se purv hum logo ki ek mulaqat grijesh tiwari k mere pados isthit ghar pr huee hai or nischit tour pr wo mulaqat achhe or khusnuma mahoul me huee thi,aaj iss post pr jo tippadi aapki aayi hai vishesh tour pr mujhe sambodhit karte huye wo sahaj hi hai kyunki aapka judav girijesh tiwari se kafi gahara hoga nischay hi aap mujhe utna hi jante honge jitna mai aapko,mai sirf itna kahana chahta hu ki mere bhi sambandh unse bahut hi kareeb k rahe hai,mai bhi unke samrthako me raha hu,mujse meri kchamat or samrthay bhar jitna bhi ho saka unke saath khade hone ki kosis ki or unka sneh bhi mere prati samay samay pr prdarshit hota raha hai,amit mere sage bhatije hai or iss program k founder membar bhi,unka or girijesh ji ka saath sambandh mujse jyada aap log jante honge uss pr mujhe kuch nahi kahna hai vigat 10-12 din pahle mere or girijesh tiwari k madhay amit ko le kr kuch vivad hua thha jiske gawah shivam aniket, aadi log hai. jo chhanik tha, pr hum dono ne uss din se parspar samwad band kr diya sab kuch yatha vat samanay tarike se chalta raha,iss bich humne fb pr bhi kisi tarah ka samvad nahi kiye,kul mila krmeri or se mere unke bich isthiti samanay ho gayi, uss din se amit girijesh tiwari k yaha 2-3 din lagatar aaye pr mujse unhone koi samwad sthapit krne ki kosis nahi ki,halanki jb maine swayam unse baat krne ki kosis ki tou unhone ek lafaz me narazgi se sidhe kaha ki aapko sir ko gali nahi dena chahiye thha,maine apni galti maan bhi li, ab jb idhar unka aatam vishleshan wala post aaya tou maine uss pr koi tippadi nahi ki,amit ka post padh kr bhi maine koi tippadi nahi ki,pr shivam aniket se charcha jarur ki hai pr girijesh tiwari ne bade hi chalaki k tahat shivam k post pr mere comment ko bhi share kiya jbki mai girijesh or amit k iss bahs me apna koi comment nahi de raha thha,balki mai shivam se baat kr raha thha,girijesh ki iss dhurtata pr mujhe aapatti hai kyunki girijesh achhi tarah jante hai ki mai short temperd hu,or iasa unhone jaan bhujh kr mujhe uksaane k liye kiya,uske baad ki isthiti aapke samne hai,ek baat jo mujhe kahni hai wo ye ki mai koi pagal nahi jo kisi se bhi bhid jao mai bhi ek samajik aadmi hu,or jb se girijesh tiwari k iss program ko roj apni aakho k samne chalte dekha raha hu,mujhe bahut hi dukh ho raha hai ki masum bachho ka bhavishay kaise padhaee k naam pr din bhar sirf jamawwada lagwa kr barbad kiya ja raha hai(iss pr aapse ya tou phone pr baat karunga ya mil kr) rahi baat aapk ladne k andaz ki tou wo kabile tarif hai pr mai itni baate kisi daar ya safaee me nahi kh raha hu,ye bas mera pakch hai,ab rahi baat girijesh tiwari or mere vivad ki tou dhayan dene yogay baat yah hai ki uss din k baad se meri tarf se koi vivad ya kisi bhi prakar ka koi disturbment kiya gaya mai tou ab udhar dekhta bhi nahi, ha unhone jaan bhuj kr shajish k tahat mere or shivam k baat ko ek saath share kiya kyunki wo achhi tarah jante thhe ki isse mai gussa ho jaunga,kyunki itne din padosi rah kr hum dono ek dusre k gun dosh bhalibhati jan chuke hai,ab aap thoda tathshta ho kr meri pakch pr gour kre fir nidnay kre mere kapde farane hai ya chamdi udharni hai,mai bhi kisi paristhithi me piche hatne wala shaksh nahi hu,jb jaha jaise jahenge aapk samne rahunga, agar iss bahs me jarurat padi tou mai fir shamil hounga,warana mujhe apni tarf se kuch nahi kahna,
    2 hrs · Unlike · 1

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  16. 2 hrs · Unlike · 1

    मलंग आदम पहली बात, आप मुझे नहीं जानते लेकिन आज से चार पांच साल पहले स्पंदन नामक प्रोग्राम के समय से ही मैं आपको अच्छी तरह जानता हूँ क्योंकि आजमगढ़ ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां सामान्य तौर पर रंगमंच या साहित्यिक गोष्ठियों में सामान्य लोग रूचि लें और टिकट आदि से ऐसे आयोजनों की व्यवस्था होती हो तो मैंने इसकी कभी गहरी पड़ताल की थी।
    दूसरे, आप ऐसा कुछ बोल ही नहीं सकते जो पहले न बोल चुके हों,अपनी ऊपर की टिप्पणियों को पढ़ें और सोचें की क्या यह एक कलाकार और समाजिक व्यक्ति का संवाद है वो भी उस व्यक्ति के लिए जो लंबे समय से आपका आत्मीय रहा हो.....
    सर ने वह शिवम् की पोस्ट और आपकी कॉमेंट अक्षरशः कॉपी पेस्ट किया है बिना किसी बदलाव के और पोस्ट का लिंक भी दिया है इसमें क्या साजिश हो सकती है यह मेरी समझ से बाहर की बात है। इसके अतिरिक्त आप ने बार बार कहा है की आपको उकसा कर कुछ कहलवाने की कोशिश की जा रही है तो मैं यह भी नहीं समझ पा रहा की आप ऐसा कौन सा ब्रह्मवाक्य बोल सकते हैं जिसका इतना व्यापक असर हो सकता है......
    (उस स्थिति में जब आप गालियां देने का पुनीत कार्य पहले ही कर चुके)
    और जिन्हें आप जानने के बात कर रहे हैं न उन्हें आप पहचान ही नहीं पाये आज तक......
    वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, होते हैं, लेकिन उनका सम्मान और स्वस्थ विमर्श बहुत जरूरी होता है मित्र।
    अमित या अनिकेत दोनों को मैं इतना नहीं जानता लेकिन इतना जरूर जानता हूँ की इनकी भाषा से लेकर इनके स्वाध्याय की गंभीरता तक (अगर कृतघ्न नहीं है तो) हमेशा गिरिजेश तिवारी की ऋणी रहेगी।
    मुझे आपसे कोई समस्या नहीं है लेकिन जिस माहौल में हम मिले थे अभी कुछ दिन पहले मैंने तब भी आपसे कोई विशेष बात नहीं की थी क्योंकि इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी।
    बहस नहीं करता मैं लेकिन इतना जरूर जानता हूँ अगर मैं किसी सार्वजनिक मंच पर अपनी बात रख रहा हूँ तो कोई भी इसका इस्तेमाल किसी भी स्थिति में एक लिंक या उद्धरण के तौर पर अपने लिए कर सकता है।
    Abhishek Pandit जी।
    1 hr · Unlike · 5

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  17. 1 hr · Unlike · 5

    Girijesh Tiwari मित्र गण, आप सब का मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ. अमित और अभिषेक पण्डित ने मेरे ऊपर एहसान किये हैं, मैं आमरण उन दोनों का कृतज्ञ हूँ. अब इस प्रकरण का पटाक्षेप करने का अनुरोध कर रहा हूँ. शब्दों के बजाय कृत्यों को बोलने का अवसर तभी मिल सकेगा, जब हम सब शान्त-चित्त से काम में लगें और अपने-अपने अभियान को यथा-सामर्थ्य आगे बढायें. अभिषेक पण्डित को मैं 'आज़मगढ़ का नटराज' यूँ ही नहीं कहता. वह सर्वथा इस उपाधि के पात्र हैं. अमित ने ही अपने पौरुष का प्रदर्शन किया और 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' को रूपायित किया. उनका ऋण अनन्य है. अब तक मैं अमित को भी अपने दूसरे बच्चों की तरह अपना 'मानस-पुत्र' मानता था. अब इस अवस्थिति के बाद वह मेरे सम्मानित साथी हैं - कामरेड अमित !
    मैं अपने सभी मित्रों की अगली उपलब्धि की धैर्य के साथ प्रतीक्षा कर रहा हूँ.
    20 mins · Like · 2

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  18. Abhishek Pandit MALANG AADAM ji pahli baat ki mai spandan program se samanay darsak ki haisiyat se juda thha,ho sakta hai waha meri aapki bhent huyi ho,pr mai abhi yaad nahi kr pa raha hu. kchama prarthi hu. dusri baat ki uss din mere dwara kiya gaya vayvhar girijesh tiwari k charitra k doharepan se kam aapne gharelu tanav (uss din amit ko unke pita jo ki mere sage bade bhai hai samjhane k liye mere pass laye thhe) ki wajah se jyada thhi, mujhe yah swikarne me koi harj nahi hai ki mera vyavhar kataee kisi bhi drishti se meri pahchan k hissab se bhi uchit nahi hai,jiska mujhe tatkal dusre hi din vodh ho gaya wo galiya bhavesh me nikli thhi,pr uski ek wajh girijesh k dwara amit ko le kr mujse kahi gayi baato se saaf palat jana bhi tha, khair, agar aap mere or shivam k bich k varata ko or meri uss baat ko jisme maine aap se kaha hai ki gali wale din k baad se maine unse koi sambandh sthapit nahi kiya hai or na disturebed kiya darasal shivam k saath mera comment unko ek mouka de diya,jbki amit k ya girijesh k post ko maine avoid kiya tha, aapne dhayan diya hoga ki maine abhi tk uss post pr kisi or k comment ka koi jawab nahi diya hai yaha tk ki pragya ji k comment pr bhi maine kuch nahi kaha hai,isse aap samjh sakte hai ki mai iss bahas me padna hi nahi chahta hu,iss baat koi girijesh bhi achhe se samjhte hai iss liye unhone jaan bujh kr mujhe bhi bahas me ghasita or jaisa ki maine aapko bataya ki hum dono ek dusre ki kamiya or achhaiya bhali bhati jante hai, takki mai uttejit ho gali galoch dene lagu uss post pr,jab ki mai mul post se itar shivam k post pr comment de raha thha,usme maine kattae girijesh se bhi koi sambodhan nahi kiya hai, girijesh ki shajish ko mai samjh gaya iss liye hi maine likha ki--AAP CHAHTE HAI KI UTTEJIT HO KR KUCH KH DU, kyunki mujhe pata tha yah aadmi kewal un bachho ko padhane k liye yah post likh raha hai jinke samne iski chhavi kharab huee hai(kyunki unme se adhikanas iss prakran se dare shahme ya khush hai) rahi baat amit or shivam ki tou in dono ka tiwari se kya mamla hai mai ab tk nahi samjh pa raha hu,waise yaha do baate batana chahta hu,ki mere ghar wale amit k girijesh k pass aane k shakht khilaaf thhe tb maine hi unhe samjhaya thha or amit unke saath kandha se kandha mila kr din raat lage rahte thhe,dusra ki shivam se amit ki dosti tiwari ko akharti thhi(uski wajh tiwari ya shivam hi bata payenge), ab ek aakhiri baat ki yah bahas koi khel nahi gambhir ilzamo ka pulinda hai jo unke sabse priya shishay or ek purv dost ne lagaee hai,jisme dost se sambandh gali galoch tk kharab ho chuke hai tou unhe uske istemal krne ki jagah (waise bhi iasa krk unhone aag me ghi hi dalane ka kaam kiya jo ki shajisan kiya hai) koi mazbut tark lana chahiye tha,kahne ko bahut kuch hai lekin kabhi kabhi galiya un kaee sabdo ki bhavnatmak prayayvachi ban jati hai jo koi bhi bhala aadmi nahi kh sakta bhale hi wo bhala admi krodh me galiya hi kyu na bakta ho
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  19. https://www.facebook.com/amit.pathak.106/posts/822545047826833?comment_id=824497347631603&offset=0&total_comments=35&ref=notif&notif_t=mentions_comment

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  20. Digamber Digamber आग का अविष्कार हजारों साल पहले हुआ था गिरिजेश.... उसके गुण-अवगुण जग जाहिर हैं, फिर भी नौजवानों को उसकी तासीर समझने दीजिए.....
    10 hrs · Unlike · 3

    Basant Jaitly जिस जे एन यू का हवाला है वहाँ के अनेक घोषित / स्वघोषित लोगों के जीवन में भी कितना मार्क्सवाद है इससे अपरिचित नहीं हूँ मैं. मैं कोई.मार्क्सवादी नहीं हूँ लेकिन जानता बहुतों को बहुत करीब से हूँ. पढ़ा / समझा भी काफी कुछ है.ऊपर जो अवधारणाएं बखानी गयी हैं वे भी एकान्तिक नहीं हैं. मुझे फेसबुक जैसे फ़ोरम पर ऐसी किसी बहस का कोई औचित्य नहीं दिखाई देता. एक - दूसरे का चरित्र हनन मेरा रुचिकर विषय नहीं है.
    9 hrs · Unlike · 2

    Prasen Spark कुत्ते की पूँछ दिग-दिगंत तक तमाचा खाने के बाद भी सीधी नहीं होती
    7 hrs · Edited · Like · 1

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  21. Amit Azamgarh यह धूर्तता के अतिरिक्ति और हो ही क्या सकता है कि उस पोस्ट को हटा दिया गया और कुतर्क यह कि जो राजनीतिक शब्दावली उसमें इस्तेमाल की गयी थी, उस पोस्ट में टैग किये गए ज्यादातर लोग उससे अपरिचित थे. फिर तो यह बात साफ़ हो जाती है कि ऐसे कम समझदार लोगों के बीच अपनी आत्मालोचना प्रस्तुत करना तो सिर्फ दिखावा है. और जिनको आपने पोस्ट मेसेज के रूप में भेजी उनकी समझदारी का स्तर पर आप कैसे भरोसा कर सकते हैं? फिर उसके बाद जब मैंने इस पोस्ट को लगाया तो सिर्फ 5 लोगों को टैग किया था, जिनमे से कुछ राजनीतिक रूप से कम समझदार उन लोगों में से ही थे जिनको आपने अपनी फोटो में टैग किया था. फिर जब आपकी राजनैतिक अवस्थिति पर सवाल उठाया जा रहा है तो आप मेरे और आपके सम्बन्धों, अपनी असफलता का विलाप क्यों शुरू कर दे रहे हैं?उस सैद्धांतिक पक्ष पर अपना मत क्यों स्पष्ट नहीं करते जो मतभेद की जड़ में है? मूर्तियाँ गढ़ने और व्यक्तित्त्व गढ़ने का आत्ममुग्धातापूर्ण प्रलाप घृणित है. और बेहद आत्मकेंद्रित व्यक्ति ही राजनीतिक मुद्दों पर बहस करने की बजाय आँसू बहाने, पुराने दिनों की चर्चा करने, आत्मपीडा का नकाब ओढ़कर आशीर्वाद देने का काम कर सकता है. कुछ ऐसा प्रदर्शित करना कि जैसे कि वह कितना भला है लेकिन दुनिया द्वारा छला जा रहा है, ठगा जा रहा है, लेकिन हिम्मत तो देखिये फिर भी दुनियादार व्यक्तित्त्व गढ़ने में लगा हुआ है जो अपने लिए व्यवस्था के भीतर सर्वोत्तम स्थान भी चुन सके और इंक़लाब भी कर सके. (ऊपर टिपण्णी करने वालों में भी ऐसे उदाहरण मौजूद हैं बस इतना ज़रूर है कि सर्वोत्तम स्थान पर पहुँचने ज़द्दोजहद में इंक़लाब उनकी ज़रूरत ही नहीं रह गयी). इलाहाबाद आने के बाद मैंने aisa के साथ भी कुछ दिनों तक आपकी जानकारी में काम किया और खुद ही उनकी पूरी राजनीति को देखने के बाद उनसे अलग हुआ, लिबरेशन वालों की संशोधनवादी, गई-गुजरी राजनीति से परिचित होने के बावजूद आपने किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं की. इसका क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है? और इस बात को कहने में मुझे कोई झिझक नही है कि पिछली मुलाकान त से लेकर अब तक की पूरी बातचीत का एक ही निचोड़ है, और वह है अपनी निजी दुश्मनी साधना. इसीलिए बात कहीं से शुरू होती है तो जनचेतना आदि तक ही पहुँचती है. और फिर जनवाद की स्पिरिट तो राजनैतिक रूप से परस्पर असहमत दो व्यक्तियों, संगठनों के मुद्दों पर आधारित स्वस्थ बहस को जन्म देती है न कि राजनातिक मुद्दों को किनारे कर कुत्साप्रचार की मुहीम को. बाकी जनवाद की भावना का और दिवाला तो आपने तब पीटा जब ढेर सारा कीचड़ आंसुओं, आशीर्वचनों और आहों में लपेट कर फेसबुक पर ला पटका.
    4 mins · Like

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  22. Amit Azamgarh फिर उन लोगों के लिए जिनका ये मानना है कि मुझे आजीवन व्यक्तित्त्व के उस पक्ष के लिए, जो व्यक्तित्त्व विकास परियोजना में रहने के दौरान बना, कृतज्ञ होना होना चाहिए. उनको यह समझ जाना चाहिए कि व्यक्तित्त्व विकास परियोजना की शुरुआत किसी मठ के रूप में नहीं हुई थी कि उसकी माला जपते हुए सन्यास आश्रम तक की यात्रा पूरी की जाए. कम से कम हमारी ओर से इस भावना (भावना इसलिए कि मुझे यह भ्रम नहीं है कि शुरुआत किसी राजनैतिक समझदारी के साथ हुई थी) के साथ इसकी शुरुआत कतई नहीं हुई थी. हाँ, अगर किसी के इरादे मठाधीशी करने के रहे हों, तो मैं इसपर कुछ नहीं कह सकता. फिर विचारधारा के प्रति कितना समर्पण है यह तो आपके पूरे व्यवहार में दिख जाती है. लेकिन विचारधारा के प्रति समर्पण का दिखावा करते हुए लोगों को भ्रम में डालना खतरनाक है. फिर संशोधनवादी जमातों में ऐसे लोग बिलकुल मिल सकते हैं जो कुर्सियां ढोते और चप्पल फटकारते हुए अपनी पूरी उम्र निकाल देते हों. लेकिन किसी क्रांतिकारी संगठन को इसी कसौटी पर कसा जाना उसके लिए अपमानजनक है. और ऊपर मैंने लिख दिया है कि जब मैं ऐसे ही एक संशोधनवादी ग्रुप के करीब था, और यह बात भी आपकी पूरी जानकारी में थी और उस संगठन कि पूरी कार्यप्रणाली बहुत ही लचर है तब तो आपने मुझे कभी समझाने की कोशिश नहीं की. फिर मैंने अपनी पूरी बात कह दी है तो फिर तर्कों के आधार पर बातचीत होनी चाहिए, ऐसे में घटिया पितृसत्तात्मक संबंधों की ही तरह के हा पुत्र! हा पुत्र! का विलाप क्यों? और फिर यह तो निहायत ही अपमानजनक है कि एक तरफ तो आप मुझे सम्मानित साथी का दर्जा दे रहे हैं और दूसरी तरफ आप कह रहे हैं कि मेरा स्वर किसी व्यक्ति विशेष की टीम का स्वर है, जैसे मेरा अपना कोई स्वर है ही नहीं. फिर तो मुझे अपनी बची हुयी पूरी ज़िंदगी आधी व्यक्तित्त्व विकास परियोजना के और बाकी आधी उन दूसरों के जिनके स्वर में मैं बोल रहा हूँ, का एहसान चुकाने में ही बिता देना चाहिए.
    एक और चीज़ कि जिनको अपने दादा-परदादा की संपत्ति पर अपनी ज़िंदगी गुजरने से बढ़िया कोई काम नहीं है और जिनकी समझदारी का स्तर अभी इतना भी ऊपर नहीं उठ पाया है कि यह पोस्ट पढ़कर भी वो इस नतीजे पर न पहुँच पाए कि मैं वामपंथ समर्थक हूँ या विरोधी उनसे मेरा यही कहना है कि वह दुबारा इस पोस्ट पर टिप्पणी करने न ही आयें तो बेहतर होगा.
    बाकी बिन बुलाये बहस में कूद पड़ने वाले दिगंबर जैसे मूर्खों के बारे में क्या कहा जाय. फेसबुक पर इनकी पोस्ट पढ़कर ही इनकी राजनीतिक समझदारी का अनुमान लगाया जा सकता है. जो यथार्थ में और सिद्धान्तों में, दोनों ही जगह दिवालिया हो चुका है, जिसे कोई जमीनी काम नहीं करना है वो वास्तव में गंभीरता से करने वाले संगठनों को ठग और गिरोह जैसे घटिया शब्दों से नवाज रहा है और व्यक्तित्त्व विकास की क्रांतिविरोधी गतिविधि के झंडाबरदार इसे कबीर नज़र आते हैं. और जो यह भी नहीं देख पा रहे हैं उनको अपनी गुहा से बाहर आने की ज़रूरत है. अपनी निजी दुश्मनी और क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस पोस्ट पर उछल कूद मचाने की कोई जरुरत नहीं है. “आपने व्यक्तित्व विकास कर दिया न?” वाला उलाहना अगर आपको समझ में आ जाता है तो वाकई तमाम लोगों का भला हो जायेगा.
    और यह मेरा ही स्वर है.
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  23. अभिषेक पण्डित -
    amit tum turant mujhe caal kro mai bahut paresaan hu,mujhe abhi tum se baat krni hai plz,shivam ko bhi apni baat rakhni hai pr tumne unhe unfriend kr rakha hai plz tum usse mouka do,pani ab sir se upar ja raha hai ,iss aadmi k dogle charitar ko sabke samne lana hi ho,iski vinmrata k piche ek iasi shaitaniyat chhupi hai jo apne manas putra ko bhi bazar me nilaam krne se baaz nahi aarahi mai computer ka jyada istemal nahi kr pata matalab cut and peste ya hindi typing warna mai iss abhi nanga kr deta yah aadmi jin jin ko gawahi dilwa raha hai un sab se alg alag huee baat chit hai mere paas pr mai yaha daal nahi pa raha abhi sab dudh ka dudh or pani ka pani ho jayega

    बहुत सही Amit Azamgarh.......
    अब सुन हमारी बात
    ई क्रान्ति और जनवाद की पीपड़ी बजाते भारत में 1914 से एम् इन राय से लेकर आज कल के चूतियों तक एक गो कीड़ा भी मसलने की औकात नहीं है किसी की.......
    और न ही ये कोई ऐसा मुद्दा है जिस पर मुझे तुमसे कुछ सीखने समझने की जरूरत है।
    और तुम्हारी औकात नहीं है इतनी की यहाँ उपस्थित कोई भी व्यक्ति तुमसे दुश्मनी करे या निकाले.....
    शालीनता की बात को धूर्तता समझने वाले तुम जो ये बकचोदी हांक रहे हो यहां पर कितनी बड़ी क्रांति मचओगे और कितने बड़े नेता बनोगे इसका एहसास अतीत के ढेरो अमितों को देखने के बाद है मुझे।
    एक शुभचिंतक के तौर पर तुम्हारे करियर और भविष्य को लेकर चिंतित होने वाले व्यक्ति की तुलना तुम आइसा के उन मक्कारों से कर रहे हो जो साले किसी भी होस्टल के कमरे में दारु पार्टी और साम्यवाद के नाम पर नौजवानो को भ्रमित कर के अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते हैं।
    खैर अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हो तुम लेकिन तुम्हारी भाषा तुम्हारी नीचता का प्रमाण है और मुझे तकलीफ है की कभी तुम्हारे जैसे सतही व्यक्ति से किसी किस्म का लगाव महसूसा था मैंने।
    यह आभासी दुनिया है शब्दों से ज्यादा कुछ नहीं चल सकता यहाँ लेकिन तुम्हारे शब्दों ने जब मुझे इतनी तकलीफ पहुंचाई तो बाकी सब की क्या स्थिति होगी मैं केवल अंदाजा लगा सकता हूँ।
    जाओ और क्रान्ति करो......
    मैं बहुत जियूँगा अभी और भविष्य में प्रश्न जरूर करूँगा तुमसे तुम्हारे जनवाद और क्रान्ति को लेकर।

    malang aadam mai aap se yah ummdi krta hu ki iss pure bahas jo ki mul me girijesh k atam prabanchan se suru huee thi ko bhali bhati tathast ho kr padh le or fir samjhne ki kosisi kre ki kyu koi ek dasak purana atmiya saathi kyu koi maanas putr jo paanch saal noukar ki tarah khatne k baad aaj iss tarah ki baat kr rahe hai , fir jara aap giri jesh k un paitro pr dhayan de jo wah iss pure bahas me baar baar badal rahe hai pahle amit ko akele me baat karne ko kahte hai jbki amit ne 2-3 din tk inse akele me baat 5-7 ghante tk ki hai or unhone apna mat tb share kiya jb girijesh ne apne english wala aatm pravanchana me kuch bate uttahee agar unki niyat saaf hoti tou wo hindi me hi likhte,fir baar mere thikhe or apmanit post ko ativinmrata se swikarte hai or jb aap or pragya ji ugra hote hai tou unki bhasha badal jati hai usme SHATIR DIMAGA, BADBADANE WALE or jane kya kya likh dalte hai,fir jb mai or aap paraspr saha baate karne lagte hai tou wo fir apni khol me jaate huye vinmrata odh kah rahe hai ki amit unke mansh putr rahe ab saathi hai abhishek pandit hi natak samrat kah bahas ko achanak kyu khatm karna chate hai,jbki khuli bahs me sabhi ko unhone aamantrit kiya hai or mujhe jabrdasti khicha hai or yaha mai ek baat or kah dena chahta hu jo pragya ji k liye hai ki baap k ansu se beti paresaan ho rahi hai tou aakar dekhe yaha kitne baapo k betiya kharab ho rahi hai, or jaise girijesh unke baap lagte honge pr amit jb pida huye tou meri hi hatheli pr rakhe gaye halanki wo thakathit wam k nashe me choor hai unhe in bhawnao se kya matalab lekin mera pass kafi kuch hai jisse mai shalinta se hi share karunga thoda or samay dijiye baar baar rang badlte iss aadmi ko mai nanga krk hi dum lunga bas aapse anurodha hai ki aap swvivek ka prayog kre or puri bash ko padh kr chintan kr uss pr nirnay le

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  24. Masaud Akhtar इस पोस्ट और इसपर बहस निरर्थक है...बंद करिए ये सब.. अब उनको छोडिये और उन्हें क्रांति करने दीजिये....बेचारे अपना अमूल्य समय इस बहस में नष्ट कर देंगे और फिर क्रान्ति पीछे छूट जायेगी जिसके जिम्मेदार फिर आप ही होंगे.
    9 hrs · Edited · Like · 2
    Alam Khan Dhriti Pragya Singh जी इस संसार मे कोई किसी का गुरू नही हैं मनुष्य अपने अंतरविरोध और अपनी प्राथमिकता से सिखता हैं sir और उनके यहा अध्यनरत स्टुडेंट अपने प्राथमिकता से ही मार्क्सलाइन का चयन करते है किसी से सिखाने से यदि कोई सिख जाता तो आप अपने ज़िंदगी मे कितनी Philosopher बना सकी हैं रही बात Girijesh Tiwari की respect ki तो अमित चारसाल तक तो रेस्पेक्ट किया और अब टाइम हैं अपना राजनीति स्टैंड लेने की तो उसमे तो आदमी की स्वतन्त्रा तो होनी ही चाहियेजिसे Girijesh Tiwari जी ने बाखुबी छुट दी हुई हैं कभी girijesh जी ने तो गुरू चेला का तोरिश्ता रखा ही नही तोअमितको भाषा निर्यन्त्रण का उपदेश देना कहा तक उचित हैंअमित की इस आलोचना को राजनिति मुद्दा बनाकर आप लोग क्या साबित करना चाह रहे हैं मार्क्सलाइन को बदनाम करने के लिये याफिर गिरिजिश ji का हितैशी ?
    7 hrs · Like · 2
    Abhishek Pandit aalam tumne bahut hi sahi vkatavy diya hai,bahas me tathastata jaruri hai
    7 hrs · Like
    Abhishek Pandit kya girijesh ne apne saare comment delete kr diya hai?kyunki mere wall pr uska comment show nahi kr raha hai. hr baar yah dawa krne wale ki--mai apne stand pr khada hu abhi tk iss bahs se apne comment kyu hata liye,kya bhag gaye
    7 hrs · Like
    Dhriti Pragya Singh कृप्या इस बहस में मेरे नाम का प्रयोग न करें
    मैं अमित से बात करना चाहती थी पर अब वह रास्ता भी बंद हो चुका है
    मलंग आदम से मैं ने केवल अपनी बात कही है
    मेरा किसी से कोई विवाद नहींहै मैं ने भारतीय दर्शन पढा है मैं दार्शनिक नहीं हूं मै अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता पर जीवन की अंतिम सांस तक कायम रहुंगी
    7 hrs · Like · 1
    Shivam Aniket " Shivam Aniket से Inbox बातें तथ्यों के तौर पर सन्दर्भ के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ. तथ्यों में तोड़-मरोड़ अनुचित है. शातिर दिमाग अपनी औकात दिखाये बिना रह नहीं पाते. उनके लिये केवल अफ़सोस किया जा सकता है." हाँ ये बात भी इन्हें तब कहना पड़ा जब मैंने Awadhesh Yadav जी से फ़ोन पर कहाँ की मैं उनकी बातचीत को सार्वजनिक करूँगा. खैर मैं इसमें तोड़-मोड़ तो नहीं करूँगा पर यहाँ से कुछ सवाल तो ज़रूर उठाऊंगा.
    1 hr · Edited · Like

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  25. Girijesh Tiwari
    19 hrs · Edited ·
    वे जो नासमझ नहीं हैं, केवल अपने पक्ष को ही समझते हैं और विनम्रता से समझाने और शान्त हो जाने का अनुरोध करने पर भी अनावश्यक तौर पर लगातार केवल बड़बड़ाते रहते हैं. उनको ससम्मान प्रणाम के साथ विदा कर रहा हूँ. अतिशय सहज हो कर ही रचना-कर्म सम्भव है. इसमें कोई व्यवधान असह्य है. सादर...
    न जाने कितने बुने थे सपने, जिन्हें दफ़न कर के मैं खड़ा हूँ;
    न जाने कितने गढे थे अपने, जिन्हें विदा कर के मैं अड़ा हूँ:
    मैं फिर परिन्दों के रू-ब-रू हूँ, नयी उड़ानें सिखा रहा हूँ;
    मैं इस ज़माने को मोड़ दूँगा, नये तराने बना रहा हूँ. – गिरिजेश

    Vivek Kumar Upadhyay Kahan hai aap
    17 hrs · Unlike · 2

    Om Prakash Bahut sundar
    16 hrs · Unlike · 1

    Rashmi Bhardwaj khoob baba ...bilkul sahi
    15 hrs · Unlike · 1

    Neelam Prinja ati sunder
    15 hrs · Unlike · 1

    Rajeev Pandey aapko BRD KA SALAM
    14 hrs · Unlike · 1

    Alam Khan · Friends with Shahbaz Ali Khan and 10 others
    आपकी एक कृती Amit Azamgarh भी हैंजिनका राजनिति स्टैंड फकेबूकिया बहस सा जरिया बन गया हैं लोगो ने आपको को टिलि-लिली---टिलि --लिलि पो ---हमेशा कहा हैं.
    13 hrs · Unlike · 1

    Salman Arshad Sab kerke mauz se gubbara fula RHA hun
    8 hrs · Unlike · 1

    Aditya Suman टिलि लिलि पो......
    8 hrs · Unlike · 1

    Pyarelal Bhamboo गजब का जीवट!
    8 hrs · Unlike · 1

    Girijesh Tiwari साथी Alam Khan जी, किसी का भी राजनीतिक स्टैंड बहस का मुद्दा बन सकता है और बनना उचित भी है. परन्तु राजनीतिक गालियों, भाषा की मर्यादा के उल्लंघन, अहंकार, असभ्यता और अनुचित आरोपों को एक सीमा तक ही सहन किया जा सकता है. उस सीमा के उल्लंघन केे बाद तो साथी-दोस्त के रूप में एक साथ तब तक हो सकना असम्भव हो जाता है, जब तक सम्वाद का माहौल दुबारा न बन जाये.
    वर्तमान हालत में उद्दण्ड व्यक्तियों से शालीनता की उम्मीद करना अव्यावहारिकता और मूर्खता ही होती. हर समझदार इन्सान के अनुरोध को ठुकराते जाने वाले कितने दम्भ के शिकार हैं, उसे उनके हर शब्द से टपकते देख कर ही सब ने उनसे बार-बार शालीनता का अनुरोध किया था. आख़िरी हद तक प्रतीक्षा की. परन्तु "विनय न मानत जलधि जड़..." के बाद तो केवल अलविदा ही कहना उचित है.
    'अलविदा' का निर्णय दुखद है मेरे लिये, आपके लिये स्तब्धकारी है और सभी साथी-दोस्तों के लिये यन्त्रणादायी है. परन्तु ख़ुद अपनी विनम्रता और दृढ़ता को बनाये रखने के लिये इस निर्णय तक जाने की बाध्यता है. और फिर आगे काम करने के लिये मस्त हो कर केवल "टिलि-लिली...टिली-लिली....पो...!" करने का विकल्प शेष होता है. तभी ऐसे प्रकरण का पटाक्षेप हो पाता है और उसके बाद ही शान्त मन से अपने काम में लग जाना मुमकिन होता है.
    रहीम ने भी यही किया था -
    "रहिमन उतरे पार, भार झोंकि सब भार मंह !"

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  26. 1 Shivam Aniket वैसे ये अपना रंग बदलने में माहिर ही है और न ही यहाँ ये आखिरी बार है। अभी इसी कमेंट में साबित करने की कोशिश करता हूँ, खैर इनको क्या फर्क पड़ता है....... ये तो इनकी आदत में शुमार हैं
    नोट: कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े! मैं (कोष्ठक) में अपनी बात या सवाल लिख रहाँ हूँ.

    Girijesh Tiwari - beta, man lagaa kar koi ek jagah chun lo, jahaan bhi uchit samjho tik kar achchha bura jo bhi samne aaye uske liye khud ko taiyar kar ke jo bhi karna chaho, kar sako vah karne se santosh milega varana vaqt barbad hone par keval afsos hoga. ( अभी ये यहाँ दिल्ली में ही मन लगा कर काम करने को कह रहें हैं. इन्हें भी तो पता होगा ही कि – पूँजीपति आपको उतना ही देंगें, जितने में आप अगले दिन उनके यहाँ पहुँच सकें. ) azamagarh bhi koi bura nahi hai. maine apne liye agar azamgarh ka chayan kiya hai, to soch samajh kar ke hi kiya hai aur abhi bhi main apne chayan se santusht hee hoon. (अब यहाँ आजमगढ़ के चयन के बारे में )

    dillee mahnga shahar hai. azamgarh uske tulna me sasta bhi hai (मुझे भी पता हैं दिल्ली महंगा शहर हैं.) aur logon ke pas dillee ki tulna me meri bat sunne ke liye samay bhi hai.( ये बात कहने का आशय क्या हैं? )

    dillee se sampark banaa rahe aur agar koi bada offer mile to touch kiya ja sake, itna zaroori hai.

    bas. mera mat hai ki abhi bhi tumko bhi apnee aage ki padhai jaari rakhnee chahiye ( यहाँ इनका मत हैं की मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहिए.) aur azamgarh me do teen tyooshan se yah aasaanee se sambhav hai aur tum ise kar bhi chuke ho. azamgarh me ham fir bhi koi doston ka ghera bana sakte hain.(अब आजमगढ़ आने की बात हैं व मत के पीछे की नियत उजागर हैं. )

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  27. 2 dillee me vah bhi mumkin nahi hai. ( आपको कैसे पता हैं की दिल्ली में दोस्तों का घेरा बना पाना मुमकिन नहीं हैं? दरअसल नामुमकिन उसके लिए हो सकता जो रूम से बाहर नहीं निकलते हैं. यहाँ मेरे बहुत से दोस्त हैं .)

    jo oopar chadh chuke hain, ve hee dillee me rah kar bhi samay par sath nahi de paate ( दिल्ली में रहने वालों का आपने समय पर साथ दिया हैं ? ) aur jo struggler hain, unka mera prayog vifal ho chuka hai.
    aur j.n.u. ka form amit aur awadhesh bhar chuke hain aur dono ka nahi nikla hai.unkee tulna me yahaan main taiyar i karva sakta hoon. ( जब अमित और अवधेश ने जे एन यू के फॉर्म भरें थे तो ये आपके पास थे और तब आपने इनकी तैयारी क्यों नही करायी? अगर करायी तो इनका निकला क्यों नही.)
    ve azamgarh me ladkon kee shiksha ka star nahi samajh sakte main samajh sakta hoon. ( हाँ आप ही तो इकलौते समझदार हैं दुनिया में बाकि सब मुर्ख और स्वार्थी है.) paise ka kuch kiya ja sakta hai magar kshmta ka to mehanat hi karna hoga

    agar j.n.u me hi padhne ka irada ho to bhi meree salaah hai ki aap azagarh aa jaaiye aur yahaan rah kar hi taiyari keejiye.(यहाँ इनकी सलाह देखिये निचे सलाह के पीछे की नियत भी दिख जाएगी. ) chahiye to awadhesh se baat agar kar saken to kar lijiye aur tab faisala keejiye abhi bhi mujhe apnee taakat par bharosa hai. ( उस वक्त आपकी ताकत कहाँ थी? जब अमित और अवधेश ने फॉर्म भरें थे? अबकी बार अवधेश जी ने फिर फॉर्म भरा हैं और इस वक्त ये आपके पास ही हैं. अपने ताकत पर जितना भी भरोसा हो और आज़माना चाहें तो उन्हीं के उपर आजमा लीजिये.)
    Girijesh Tiwari - abhi bhi bahut nuksan nahi hua hai. abhi bhi main zinda hoon aur abhi bhi ham naye sire se nayee koshish kar sakte hain. shuruvaat kabhi bhi ho, ummeed jagati hai aur shuruvaat karne ke liye kabhi bhi der nahi hoti. mera anurodh hai ki abhi bhi meree salaah ko laagoo keejiye aur shayad aapke roop me hi main bhi safal ho sakoon.( यहाँ इनका रंग बदल चूका है अब ये और अनुरोध कर रहें हैं, ‘मैं-मैं’ करते-करते अब ‘हम’ पर आ गएँ. अनुरोध व सलाह के पीछे की इनकी नियत भी देखिये .)

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  28. 3 Girijesh Tiwari - नमस्ते , क्या समाचार है मैं इधर लगातार डिस्टर्ब चल रहा हूँ. या तो मूर्ख हैं, या स्वार्थी - अभी भी उनके घेरे में ही फंसा हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि और बेहतर लोगों को कैसे जोड़ सकता हूँ. { ( आप तो वैक्तित्व को गढ़ने व बेहतर बनाने का ही तो कार्य करते हैं तो बेहतर लोगों को जोड़ने की आशा या उम्मीद क्यों?) } अभी अमित पाठक ने शशि प्रकाश की टीम के स्वर में पोस्ट किया. मेरी वाल पर देखिए. इनकी भाषा और स्वर समझ में आ जाएगा.क्या सलाह है आपकी !
    7 hrs · Like · 3
    मलंग आदम Alam Khan भाई मैं हूँ गिरिजेश तिवारी का हितैषी.......
    बाकी राजनीति भी समझता हूँ और अमित अभिषेक शिवम जैसे अग्रणी नेताओं और इनके ज्वलंत भविष्य को भी। अंतर्विरोधो से सीखने का क्रम अभी आरम्भ हुआ है आप लोगों का क्योंकि अंतर्विरोधो को समझने की कूबत भी होनी चाहिए। बाकी भाषा नियंत्रण की आवश्यकता तो है ही अगर नहीं है तो यही भाषा इस आभासी दुनिया से निकल कर मेरे सामने कोई मेरे लिए इस गलीज़ भाषा का प्रयोग करे, भाषा की शालीनता की आवश्यकता तुरंत समझ में आ जाएगी
    6 hrs · Like · 2
    Alam Khan मनुष जैसे जैसे ज्ञान प्राप्त करता रहता हैं वैसे वैसे वह दम्भ का शिकार होता रहता हैं हम लोग रात दिन यहा रहते हैं आप हितैशी कैसे हुय भाइ ब्लड रिलेशन के अलावा और कोई पलिटिक्स आती हैं आपको ? ज्ञान के समुद्र मे तैरना समझ दारी हैं और आप अपना मुल्या कन खुद ही कर ले .
    6 hrs · Like · 2
    Dhriti Pragya Singh ये ज्ञान कहां प्राप्त हो रहा है
    हमने तो विद्या विनयं ददाति पढा है
    6 hrs · Like · 2
    Alam Khan सस्कृत में क्या लिखा है मुझे नही मालूम लेकिन व्यवहार में तो ये शब्द का प्रयोग हैं देने से कोई ग्रहण कर लेता तो धरती पर सभी ज्ञानी होते .
    6 hrs · Like · 1
    मलंग आदम Alam भाई साथ रहने वालों की चिंता दिख रही है ऊपर..........
    और जिस रिलेशन की बात कर रहे हैं न आप उसे ख़त्म हुए उतना समय हो गया है जितनी शायद आपकी उम्र है। एक व्यक्ति के तौर पर मैं मानता हूँ की उन्होंने मुझे गढ़ा है कई मामलो पर मैं खुद सहमत नहीं रहता हूँ उनसे लेकिन इसका यह मतलब नहीं है की मैं किसी को गालियाँ देता फिरूँ..........
    और दूसरी बात की मैं पोलिटिशियन नहीं हूँ लेकिन सही गलत की पहचान है मुझे।
    और मेरा मूल्यांकन करने की कूबत मेरे और मेरे गुरु के अलावा किसी दूसरे के बस की बात भी नहीं है।
    इसीलिए अब इस व्यर्थ की बकवास को बंद करिए.......क्रांतिकारियों को क्रान्ति करने दीजिये मुझे मेरी पढ़ाई अउर काम और आप जो आपके लिए उचित हो उसपर ध्यान लगाएं यहाँ बहस कर के न तो मैं छोटा होउंगा और न ही कोई बड़का क्रान्यिकारी या पोलिटिशियन......
    इस व्यर्थ की पोस्ट पर यह मेरी आखिरी टिप्पणी है।
    6 hrs · Like · 4
    Alam Khan ठिक हैं!

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  29. Abhishek Pandit malang aadam ji mai aap k baato ko samjh raha hu khud mere dwara girijesh ko ya kisi ko bhi abhadra bhasa k prayog se sharminda bhi hu,mai alam k baat se sahmat bhi hu ki gyaan(adhik padhaee likhaee ka sandarbh liya jaye) danmbhi bhi bana sakta hai,or ho sakta hai ki mai bhi ussi ka shikar ho gaya hu,or yah baat iss post me shamil sabhi logo pr lagu hoti hai, waise maine pahle hi spashtha kiya thha ki mujhe apne baare me koi galat fahmi nahi ki mai koi bahut bada karntikari hu,tou mujhe amit k sherni me na hi gina jaye tou behtar hai,rahi baat iss byartha k bahs ki tou maine aapse pahle bhi kaha ki puri bahas ko padh le,lekin aapne mere anurodh pr dhayan dena uchhit na samjha hoga(AAPKI MARZI).lekin mai puchna chata hu 15 din pahle mere abhadra vyavhar k baad amit or girijesh k 3-4 din k din din bhar k gopniy baithak k baad iasa kya hua ki girijesh ko apna bhavuk krne wala post shere krna pada or un 4-5 logo ko hi wo post kyu tag kiya gaya jink jikr amit ne apne tark me kiya hai,fir amit k comment ko kyu delete kiya gaya or girijesh ne kyu iss comment pr amit se aamne samne baitha kr baat krne ki mansa jahir ki,jbki wo apne matfedo pr kaafi baat pahle hi kr chuke hai shayad.fir unhone mera or shivam k baat chit wale post ko kahi or se utha kr iss post pr kyu peste kiya?jis pr maine thikhi tippadi ki,pratikriya vas aapko bhi abhadra bhasha ka prayog karana pada(jis pr nischay hi aapko bhi afsos hoga)?apne guru k apmaan pr aap tilmila sakte hai tou amit ko apne baap dade ki haiyat batane wale logo pr girijesh ne kuch aaptti kyu nahi kiya kyu amit ko beizzat hone diya(jbki amit unke mansaputr or ab sathi hai)?iske baad unhone bahas ko band krne ka anurodh kiya or sab ko apna apna kaam krne ki salah bhi di,jabki iss bahs ko khul manch pr wo hi laye, sabhi k massage box me amit se sambandhit massag kiya hai ,or rai mangi hai?or jb maine apne post pr iss thathakathit porgrame pr apne vichar purn shalinata se di tou shayd mujhe unfriend kr diya,kyunki mujhe unka comment nahi dikh raha hai,(jbki mujse vivad k babjood bhi wo mere wall k posts ko like karte rahe hai or abhi 5-6 din pahle hi meri patni se bula kr kahe ki mai soch raha hu ki abhishek se baat kru ki wo bachho ko acting shikhaye,mere gali ko wo pacha sakte hai comment pr block kyu kiya,? kya aapko lagta nahi ki wo baar baar paitra badal rahe hai?or apne ko sahi sabit karna chate hai un logo ki nigaho me jo unse kisi baat pr ashamat hai?unhone iss post pr safaee di thi ki unhone amit ko samjhaya thha or amit k papa ne unse maafi bhi mangi thi,alam or avdhesh k naam bhi liya tha ki unke samne amit se baat ki tou mai yaha batna chahta hu ki shivam bhi waha thhe unhe bahar kr baat chit ki gayi thi,jbki uske 5-6 din baad ki varta shivam ne post ki hai,kya shivam unke priya nahi hai ya shivam pr uss din aviswash ka karan kya hai?girijesh apni post pr shait dimag kise kahna chah rahe hai?shivam ko?ya bad badane walo ki mai parwah nahi karta tou fir unhone mujhe block kyu kiya?baar baar yah dawa krne wala aadmi ki mai apni stand pr kayam hu--kyu iss bahs se bhag raha hai? din raat girijesh k saath rahne wale alam ne tou apne mat share kiye hai ,lekin girijesh ki screen pr iss pore bahs ko padne wale avdhesh ne ab tk muh kyu nahi khola hai?malang bhai humare pariwar me baap dade ki jyadad ho na ho(kyunki humre sanskar me yah nahi sikhya gaya hai ki baap dade ki doulat pr palo) bade buzurgo ki izzat krna shikhya gaya hai or galat baat ka virodh krna bhi,mai samjh sakta hu ki ab iss post ka koi ouchhit nahi bacha hai thik waise hi jaise humari chintao ka kyunki jise jo krna hai, kre ki salah di ja chunki hai,ek aakiri baat apse kah mai bhi apne ko iss bahs se bahar kr raha hu,kunki meri jimme bhai bahut kaam hai, agar aaapka koi kuch bigadega tou aap usse sudhar denge,mere ghar ka tou bhavishya hi bigad gaya uski bharpaee koun krega girijesh jaise dhurth ,aap ya amit salah or samikcha dene wale log?
    2 hrs · Edited · Like · 1

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  30. http://young-azamgarh.blogspot.in/2015/05/blog-post_26.html

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