Saturday 1 March 2014

ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यशाला' (summer training workshop)



आवश्यक सूचना : निःशुल्क शिक्षण-प्रशिक्षण !

प्रिय मित्र, 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' का तीसरा सत्र Amit Pathak और Arun Yadav के सतत श्रम के सहारे सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया. 
अब 'ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यशाला' (summer training workshop) शुरू हो रही है. इसका सत्र अब से जून के अन्त तक प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे तक चलेगा. 
इस कार्यशाला में उनको सुन्दर लिखना, शुद्ध पढ़ना, धारा-प्रवाह बोलना, चित्रकला, कविता-कहानी-निबन्ध लिखना, हिन्दी से अंग्रेज़ी में और अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद करना, समय-प्रबन्धन, याद करने का वैज्ञानिक तरीका सिखाया जायेगा. 
साथ ही कम्प्यूटर-टाइपिंग भी सिखाई जायेगी.

अगर आपके सम्पर्क में कक्षा 8 की परीक्षा देने वाले या उसके ऊपर की कक्षाओं के छात्र-छात्राएँ हैं, तो उन तक यह सूचना पहुँचायें, ताकि वे इस सम्बन्ध में सम्पर्क कर सकें.

स्थान : कालीचौरा तिराहा, पश्चिम पटरी, ट्रांसफार्मर के पीछे, 
दिनेश राय एडवोकेट का मकान, आज़मगढ़ 
फोन : 9450735496, आभार-प्रकाश के साथ - आपका गिरिजेश


एक अनुरोध : निःशुल्क वर्कशॉप शुरू ! 9बजे से -5 बजे तक
प्रिय मित्र, 
मार्च का पहला दिन : 
आज 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' की 'समर वर्कशॉप' आरम्भ हुई. 
अगर आपके सम्पर्क में आज़मगढ़ में कोई भी छात्र/छात्रा हों, तो उनको इस वर्कशॉप के बारे में बताइए और इसमें भाग लेने के लिये प्रेरित कीजिए.

आज पहले दिन कुल दस छात्र रहे. 
आठ नौ की परीक्षा देने वाले और दो ग्यारहवीं से बारह में जाने वाले. 
ऊपर वाले कमरे में फर्श पर मैट बिछाई गयी. 
हिन्दी से अंग्रेज़ी में मौखिक और लिखित अनुवाद पर काम हुआ. 
अन्तिम आधे घंटे में नीचे आ कर कम्प्यूटर पर 'number, gender, person, case' के बारे में लेक्चर और list of verbs की रिकार्डिंग सुनी गई. 
कल सुबह नौ बजे फिर मिलने के आश्वासन के साथ सारे छात्र प्रसन्नतापूर्वक अपने-अपने घर गये. 
कल से कक्षा ग्यारह की परीक्षा दे चुकी गवर्नमेन्ट गर्ल्स कॉलेज की छात्राएँ भी आने वाली हैं. 

जून अन्त तक प्रतिदिन पूरे जोश से सीखने-सिखाने का काम करते हुए इन चार महीनों के समय में हम इस टीम के अन्दर से प्रचण्ड आत्मविश्वास से लबरेज़ नये इन्सान गढ़ेंगे. 

न जाने कितने बुने थे सपने, जिन्हें दफ़न कर के मैं खड़ा हूँ;
न जाने कितने गढ़े थे अपने, जिन्हें विदा कर के मैं अड़ा हूँ:
मैं फिर परिन्दों के रू-ब-रू हूँ, नयी उड़ानें सिखा रहा हूँ;
मैं इस ज़माने को मोड़ दूँगा, नये तराने बना रहा हूँ. 

आभार-प्रकाश के साथ - आपका गिरिजेश
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एक अनुरोध : निःशुल्क वर्कशॉप जारी ! 9 बजे से - 5 बजे तक प्रतिदिन !
प्रिय मित्र, 
वर्कशॉप का दूसरा दिन : 
आज 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' की 'समर वर्कशॉप' दूसरे दिन चली. 
अगर आपके सम्पर्क में आज़मगढ़ में कोई भी छात्र/छात्रा हों, तो उनको इस वर्कशॉप के बारे में बताइए और इसमें भाग लेने के लिये प्रेरित कीजिए.

आज कुल ग्यारह छात्र रहे. 
दस कक्षा नौ की परीक्षा देने वाले और एक इन्टर के बाद का प्रतियोगिता की तैयारी करने वाला. 
पहले 25 verbs याद करने को दिया गया और उसे एक दूसरे को स्पेलिंग सहित सुना कर पुष्ट कर लिया गया. 
हिन्दी से अंग्रेज़ी में मौखिक और लिखित अनुवाद पर काम हुआ. 
हिन्दी अक्षरों और मात्राओं के बारे में बताया गया.
उनको तीन मिनट तक बोलने को कहा गया.
घर से बोले गये विषय पर निबन्ध लिखने को, पाँच एक्सरसाइज ट्रांसलेशन करने को और 25 verbs याद करने को दिया गया.
अन्तिम आधे घंटे में नीचे आ कर कम्प्यूटर पर 'number, gender, person, case' के बारे में लेक्चर और list of verbs की रिकार्डिंग सुनी गई. 
कल सुबह नौ बजे फिर मिलने के आश्वासन के साथ सारे छात्र प्रसन्नतापूर्वक अपने-अपने घर गये. 
आज कक्षा ग्यारह की परीक्षा दे चुकी गवर्नमेन्ट गर्ल्स कॉलेज की छात्राएँ नहीं आ सकीं. सम्भवतः उनके दिमाग में sunday study circle का मामला रहा हो, जो आगे बढ़े हुए लोगों के लिये ही चलायी जाती रही है.
कल से वे छात्राएँ भी आने लगेंगी. 

जून अन्त तक प्रतिदिन पूरे जोश से सीखने-सिखाने का काम करते हुए इन चार महीनों के समय में हम इस टीम के अन्दर से प्रचण्ड आत्मविश्वास से लबरेज़ नये इन्सान गढ़ेंगे. 

न जाने कितने बुने थे सपने, जिन्हें दफ़न कर के मैं खड़ा हूँ;
न जाने कितने गढ़े थे अपने, जिन्हें विदा कर के मैं अड़ा हूँ:
मैं फिर परिन्दों के रू-ब-रू हूँ, नयी उड़ानें सिखा रहा हूँ;
मैं इस ज़माने को मोड़ दूँगा, नये तराने बना रहा हूँ. 

आभार-प्रकाश के साथ - आपका गिरिजेश

स्थान : कालीचौरा तिराहा, पश्चिम पटरी, ट्रांसफार्मर के पीछे, दिनेश राय एडवोकेट का मकान, आज़मगढ़

1 comment:

  1. Prabhunath Singh Mayank - ज्ञान, अनुभव और समाज के बहुविध दृश्य व्यक्तित्व को बेतरतीब क्रम से विकास और विस्तार देते हैं. जंगल में अनुशासनहीन, व्यवस्थाहीन, योजनाहीन ढंग से अनगिनत वनस्पतियाँ बिखराव के साथ विस्तार पाती हैं. किन्तु योजनाबद्ध ढंग से जब माली भूमि तैयार करके अनुकूल सूत्रों के आधार पर व्यवस्थित वनस्पतियों का रोपण, पोषण एवं संतक्षण करते हैं, तो समग्रता में सानुपातिक, समविभक्तांग, अपेक्षित, समग्र, बहुविकसित, सन्तुलित स्वरूप अपनी प्रेरक छटा में सत्य-शिव-सुन्दर का आधार ले कर सौन्दर्य-मण्डित हो जाता है.

    ज्ञानात्मक, रचनात्मक व्यक्तित्व विकास अपनी सम्पूर्णता में सम्यक प्रशिक्षण के सहारे ही पीढ़ियों के लिये उदाहरणीय बन जाता है. प्रशिक्षित समाज-सेवकों, वैज्ञानिकों एवं रचनाकारों का सम्पुंज ही आदर्श समाज, सफल राष्ट्र और समरस विश्व की रचना कर पाता है. प्रशिक्षण की यह परम्परा समूचे विश्व में निर्धारित कार्यक्रमों के सहारे शोधपरक मूल्यवत्ता में अनुस्यूत हो कर नित नूतन रचनात्मक क्षितिजों का आधार-फलक तैयार कर रही है.

    'व्यक्तित्व विकास परियोजना' आज़मगढ़ में अपने विरल सुलभ साधनों एवं समाज उन्नायक मार्गदर्शकों के सहारे गिरिजेश तिवारी के प्रतिनिधित्व में निःशुल्क किन्तु बहुमूल्य शिक्षण-प्रशिक्षण के साँचे में अनगढ़ जिज्ञासुओं को ढाल कर भावी पीढ़ियों के लिये ऊर्जा-प्रवाह का कार्य सम्पन्न कर रही है और इससे ज्योतिर्मय इतिहास की रचना हो रही है.

    Girijesh Tiwari - प्रो.'मयंक' आज़मगढ़ के एकमेव शीर्षस्थ विद्वान हैं और वही इस परियोजना के पुरोधा पथ-प्रदर्शक हैं. जीवन भर उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है. उनका स्नेह ही मेरा पाथेय है. वह मुझे पुत्रवत प्यार करते हैं.

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