Friday 13 September 2013

व्यक्तित्व विकास परियोजना के फाइनेंसरों के बारे में

प्रश्न : आपके फाइनेंसर कौन हैं?
उत्तर : प्रिय मित्र, हमारे फाइनेंसरों में मेरे द्वारा आज़मगढ़ में स्थापित किये गये दो विद्यालय हैं. राहुल संकृत्यायन जन इन्टर कालेज और चाणक्य इंगलिश स्कूल. 
ये हमें प्रतिमाह 5000/- + 4000/- देते हैं. 
इसके अलावा मेरे कुछ मित्र और मेरे कुछ बच्चे हैं, जो हमें 500/- या 1000/- देते हैं. इनके अतिरिक्त विशेष सहयोग करने वाले भी मेरे दो बच्चे हैं.
और हमारा अतिशय महत्वपूर्ण सहयोग मेरे कम्प्यूटर के विशेषज्ञ मित्र सत्यप्रकाश जी करते रहे हैं. 
साथ ही मेरे कुछ और भी महत्वपूर्ण मित्रों ने 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' को निःशुल्क चलाते रहने के लिये अपनी ओर से मदद देने का मुझे आश्वासन दिया है. 

गत एक वर्ष से अधिक समय से औपचारिक तौर पर चल रही इस परियोजना में अभी तक इस सितम्बर में 100+ छात्र-छात्राएँ प्रतिदिन आते रहे हैं. 
अभी यहाँ कक्षा नौ से ऊपर डिग्री कालेज तक के लोग सीख रहे हैं.
सबको हिन्दी, अंग्रेज़ी, हाईस्कूल के छात्रों को गणित और विज्ञानं और इन्टर के छात्रों को फिजिक्स और गणित भी सिखायी जा रही है. 
इस समय यहाँ प्रतिदिन शाम 4.30 से 6.15 तक 'वन डे कम्पटीशन' की भी क्लास चल रही है. 

और सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि अब रविवारीय अध्ययन-चक्र में मेरी अनुपस्थिति में इस परियोजना के मेरे नेतृत्वकारी युवा साथी सफलतापूर्वक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक जागरूकता के साथ ही तरुणों की अभिव्यक्ति की क्षमता के विकास पर भी काम कर ले जा रहे हैं.
अब हम यहीं पर कम्प्यूटर लैब भी शुरू करने जा रहे हैं, ताकि अपने बच्चों को कम्प्यूटर और नेट की भी निःशुल्क शिक्षा दे सकें. 
आने वाले दिनों में हम निःशुल्क प्राथमिक चिकित्सा-सेवा का भी कार्य हाथ में लेने का इरादा रखते हैं. ताकि छोटी-मोटी बीमारियों में ग्रामीण अंचल के लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों की लूट से राहत मिल सके.

इस परियोजना के पास अब मेरे किराये के आवास में ही चार कमरे सिखाने के लिये हैं, जिनका कुल किराया 4000/- है.

हम इस परियोजना को निःशुल्क ही चलाना चाहते हैं ताकि शिक्षा के बाज़ारीकरण के आज के दौर में आज़मगढ़ के कुछ ज़रूरतमन्द और मेधावी छात्रों-छात्राओं की शिक्षा धनाभाव में भी जारी रह सके. 
और इसे 'नॉन एन.जी.ओ.' के रूप में जन-सहयोग से ही जारी रखना चाहते हैं, ताकि इसके जनपक्षधर स्वरूप को कायम रखने में किसी तरह के दबाव के चलते किसी तरह की बाधा न आ सके.

क्या आप भी आज़मगढ़ के तरुणों को और भी बेहतर तरीके से तैयार करने के इस पुनीत काम में हमारी मदद करना चाहते हैं? 
अगर हाँ, तो कृपया इस पर विचार करें. 
अगर आपको हमारी सहायता शुरू करना हो, तो लम्बे समय तक करते रहने का मन बना कर ही कीजियेगा. 
वरना हम इन कार्यों के साथ ही कोई और भी दूसरा सेवा-कार्य हाथ में लेने के बाद भी अकस्मात आने वाली आर्थिक समस्याओं के चलते उसे बन्द कर देने के लिये बाध्य हो सकते हैं.

हमें पता है कि मुश्किल है रास्ता अपना;
हमारी ज़िद को तोड़ना भी तो आसान नहीं !

आभार-प्रकाश के साथ - आपका गिरिजेश 

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