Monday 3 June 2013

आस्तिक और नास्तिक - गिरिजेश


प्रश्न:- आस्तिक और नास्तिक का मतलब समझायें|

उत्तर:- जो ख़ुदा के होने और उनके पैगम्बर हज़रत मुहम्मद की चौदह सौ वर्षों पुरानी बातों पर आँख, कान, जुबान और दिमाग पूरी तरह बन्द करके मुसल्सल यकीन करे, वह आस्तिक (मुसलमान) और जो न करे, वह नास्तिक (काफ़िर) कहा जाता है. हिन्दू, ईसाई और दूसरे धर्मों और सम्प्रदायों को मानने वाले लोगों ने भी ऐसी ही मान्यता बना रखी है. 

आस्तिकता के समर्थक वैज्ञानिकों और दार्शनिकों के भी आस्तिक होने का तर्क देते है. ऐसे में यह समझने की ज़रूरत है कि नास्तिक होने के लिए वैज्ञानिक भर होना काफ़ी नहीं है. उसके लिये तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी होना चाहिए. 

और दार्शनिक तो केवल तीन धाराओं में ही हैं - नास्तिक, आध्यात्मिक और आधिभौतिक. मेरी समझ से सही दर्शन तो वही है, जो जीवन और जगत का केवल विश्लेषण ही करके न रह जाये, बल्कि इसकी सभी समस्याओं का समाधान भी पेश करे और वह भी असली समाधान, न कि काल्पनिक. 

और यह समाधान केवल वैज्ञानिक (द्वन्द्वात्मक ऐतिहासिक) भौतिकवादी दर्शन के पास है. इसके ही अनुयायियों ने ही बार-बार धरती को आस्तिकों के काल्पनिक स्वर्ग से भी अधिक खूबसूरत बनाने के लिये एक से बढ़ कर एक मॉडल बनाने के लिए पूरी कशिश के साथ खूब-खूब सफल/विफल जद्दोजहद की है. बाकी दर्शनों के अनुयायियों ने तो केवल धरती के असली नरक को ही यथावत स्वीकारने या धिक्कारने और नकारने तक ही खुद को समेट लिया है.

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