Wednesday 7 August 2013

पड़ोसी ! - गिरिजेश


हिन्दुस्तान का दुश्मन पाकिस्तान,
पाकिस्तान का दुश्मन हिन्दुस्तान,
दोनों का दोस्त अतिमहाबली अमेरिका !
अमेरिका - दुनिया का दुश्मन !
कितना शातिर है अमेरिका !
कितने मासूम हैं लोग !
लोग जो ग़रीब हैं, मजदूर हैं, मजबूर हैं.
इसकी, उसकी, सब की सुनते हैं.
मगर फिर भी कुछ नहीं गुनते हैं.
केवल महँगाई डाइन के खाते जाने पर
मज़बूरी में अपना सर धुनते हैं.
उनको जगाना है, उनको बताना है,
उनको समझाना है, उनको सिखाना है;
हिन्दुस्तान का दुश्मन पाकिस्तान नहीं है,
पाकिस्तान का दुश्मन हिन्दुस्तान नहीं है,
दोनों पड़ोसी हैं, दोनों के बीच में झगड़ा नहीं रगड़ा है.
और इस रगड़े की वजह सीमा नहीं,
अमीरी है दोनों के धनपशुओं की,
जो अवाम का खून चूसने से बढ़ती जा रही है !
सुपर प्रॉफिट कमाने वाले अतिमहाबली के ही इशारे पर होते हैं -
दंगे, सीमा-युद्ध, आतंकी हमले !
वही बेचता है हथियार लड़ाई के
हिन्दुस्तान को भी और पाकिस्तान को भी,
और देता है रिश्वत नेताओं-अधिकारियों-दलालों को
ख़रीदने के लिये मौत के औज़ार !
उसी के चलते बढ़ती है महँगाई डाइन की लपलपाती ज़ुबान !
उसी के चलते बिक रहा है देश का सारा संसाधन !
वही ख़रीद रहा है हमारा ईमान !
अगर वाकई इनको ख़त्म करना है,
अगर वाकई दोनों पड़ोसियों के बीच शान्ति और भाई-चारा बनाना है,
अगर वाकई खुशहाली के माहौल में सुकून से साँस लेनी है,
अगर वाकई बनानी है एक बेहतर दुनिया अपने बच्चों के लिये,
तो ख़त्म करना होगा
मुट्ठी भर धन-कुबेरों की भीषण और वीभत्स अमीरी को,
तोड़ना होगा दोस्ती का रिश्ता
दुनिया के दुश्मन अतिमहाबली अमेरिका से !
पकड़ना होगा कस कर पड़ोसी का हाथ
और देना होगा मुसीबत में एक दूसरे का साथ !

(8.8.13. 8.45 a.m.)

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