Saturday 24 May 2014

"विजय या वीरगति" - फिदेल और चे


मेरे प्यारे बेटे,
बबर शेर का बेटा शेर होता है.

मेरे बेटे,
तुम्हें पता है कि हम आज कंक्रीट के जंगल में रहने को विवश हैं.
इस जंगल में श्रम और पूँजी के बीच मरणान्तक युद्ध अनवरत जारी है.
इस जंगल की लड़ाई में मानवता के धूर्त दुश्मन हर तरह का दाँव-पेच कर रहे हैं.
ये रक्तपिपासु भेड़ियों के रूप में जगह-जगह बार-बार सामने आ रहे हैं.
मानवता के ये दुश्मन तरह-तरह के वेश बदलने में माहिर हैं.
ये नानारूपधर हैं.

ये भेड़िये आदमखोर हैं.
इनके मुँह इन्सान का खून लग चुका है.
मेहनतकश आम अवाम पर इन का चौतरफा हमला जारी है.
जन-जीवन इन मुट्ठी भर लालची अमानुषों के चलते त्रस्त और अस्त-व्यस्त है.
इनके दारुण अत्याचार की कल्पना मात्र से ही लोग भयाक्रान्त हैं.
अधिकतर छोटे-बड़े लोगों का मनोबल पस्त हो रहा है.
फिर भी धरती के हर कोने पर किसी न किसी रूप में लगातार टक्कर जारी है.

मेरे बेटे,
मुझे तुमसे उम्मीद है कि तुम किसी भी कीमत पर बिकोगे नहीं.
किसी भी हालत में पीठ नहीं दिखाओगे.
किसी भी मोर्चे पर पीछे क़दम नहीं हटाओगे.
कंक्रीट के जंगल की आर-पार की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर टक्कर लोगे.
ये लालची भेड़िये अपनी जीभ लपलपा रहे हैं.
तुम इन को एक-एक मोर्चे पर एक-एक मरहले पर परास्त करोगे.

हमारे पास महाबली भीम का रोमांचकारी चरित्र है.
कीचक ने द्रौपदी का अपमान किया था.
भीम ने कीचक को उसके घर में पटक-पटक कर मार डाला था.
दुशासन ने द्रौपदी का अपमान किया था.
भीम ने दुशासन को पटक कर उसकी छाती फाड़ दी थी.
और कुरुक्षेत्र की युद्ध-भूमि में सिंहनाद किया था.
और उसके गरम लहू से गर्वीली द्रौपदी के खुले केशों को धोया था.
इस तरह उन्होंने द्रौपदी के अपमान का प्रतिशोध लिया था.

मेरे बेटे,
मुझे भी तुम पर गर्व है.
आज मानवता द्रौपदी से अधिक अपमानित हो रही है.
तुम भी इन अत्याचारी जन-शत्रुओं को परास्त कर के भू-लुंठित करोगे.
और फिर भीम की तरह
इनकी छाती फाड़ कर अपने लिये गरम और ताज़ा गोश्त निकालोगे.
और फिर भर पेट खा कर मस्ती से अंगड़ाई लोगे
और एक बार पूरे ज़ोर से दहाड़ोगे.
और तब तुम्हारी दहाड़ से जंगल का कोना-कोना गूँजेगा.
उस दहाड़ को सुनकर हर छोटा-बड़ा समझ जायेगा कि दुश्मन हार चुका.
वह मटियामेट हो चुका.
अब सबका जीवन बेहतर होगा और सबका सम्मान सुरक्षित होगा.

मेरे बेटे,
हम अपने प्यारे देश और हम सब की साझी दुनिया की
हर गली-हर चौराहे पर, हर शहर-हर गाँव में, हर घर-हर चौखट पर,
एक-एक कदम पर
समूची मानवता की मुक्ति के लिये
इन खूँख्वार भेड़ियों से जूझेंगे.

हम सब धरती के सबसे बड़े क्रान्तिकारी छापामार शहीद चे
और अब तक जीवित विजेता फिदेल के
"विजय या वीरगति" के नारे के साथ खड़े हैं.
हम मारने-मरने तक लड़ेंगे.
FIGHT TILL DEATH !
इन्कलाब ज़िन्दाबाद !
पूँजीवाद मुर्दाबाद !!

ढेर सारे प्यार के साथ - तुम्हारा गिरिजेश

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