Friday 2 May 2014

उम्मीद से परे


ज़िन्दगी ने मुझे बहुत दिया.
उम्मीद से परे. 
ज़िन्दगी ने मुझसे बहुत कुछ छीन लिया. 
वह भी उम्मीद से परे.
मगर ज़िन्दगी ने 
मुझे जो जीने की और जूझते रहने की उम्मीद दिया.
वह अनन्य है.
मेरी साधना का सुन्दरतम फल हैं डॉ. Mayank.
वह अपने उत्कर्ष-पथ पर अनवरत प्रगति करते जा रहे हैं.
यह मेरे सम्पूर्ण जीवन के लिये सर्वाधिक सुख और गर्व की बात है.
अब भी जब ज़िन्दगी की उठा-पटक के चलते
मैं उनको अपने प्यार के अलावा कुछ भी देने लायक नहीं रहा.
ढेर सारा प्यार, मयंक !

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