Saturday 12 July 2014

क्रान्ति और कैरियर का सवाल : आत्मनिर्णय का अधिकार





















क्रान्ति और कैरियर का सवाल :
आत्मनिर्णय का अधिकार - गिरिजेश
 

प्रिय मित्र, युवा आदर्शवादी होते हैं. युवा भावुक होते हैं. युवा ईमानदार होते हैं. युवा स्वाभिमानी होते हैं. युवा रोमांचकारी कारनामों के प्रति आसानी से आकर्षित हो जाते हैं. युवा विपरीत परिस्थितियों की तनिक भी परवाह नहीं करते. युवा वर्तमान की विसंगति से क्षुब्ध होते हैं. युवा दुनिया को बदलने को आतुर होते हैं. युवाओं के अपने ख़ुद के भी सपने होते ही हैं.

परन्तु इन सब के बावज़ूद किसी भी माध्यम से जनपक्षधर प्रगतिशील वैज्ञानिक विचारधारा के सम्पर्क में आ जाने के बाद युवाओं के लिये अपना कैरियर बनाने के ख़िलाफ़ और होलटाइमर बनाने के पक्ष में दशकों से क्रान्तिकारी कतारों में चुभने वाली तीख़ी टिप्पणियाँ सुनते-करते और इस मुद्दे पर अपना प्रतिवाद दर्ज़ कराते समय हर बार मेरा केवल एक ही तर्क रहा है कि प्रतिबद्धता किसी बन्धन को सहन नहीं करती. न ही नौकरी के बन्धन को और न ही कन्धे से झोला लटकाते ही उपदेशक बन जाने वाले आत्म-मुग्ध क्रान्ति-दूतों के बड़बोलेपन को. 

अपने देश की क्रान्तिकारी धारा में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जिनमें क्रान्तिकारी चेतना के प्रसार का वाहक प्रतिबद्ध व्यक्ति अपनी निज़ी ज़िन्दगी जीते हुए भी इतना अधिक योगदान कर ले जाता है, जितना मेरे जैसे अनेक मूर्ख और अव्यावहारिक होलटाइमर मिल कर भी नहीं कर पाते. मेरी समझ है कि आप अपने प्रवचन से उकसा कर किसी को भी 'ज़बरन' भगत सिंह नहीं बना सकते. और अगर कोई युवा आपके तथाकथित क्रान्ति के ग्लैमर के झाँसे में फँस भी गया, तो भी वह अधिक देर तक टिक नहीं पाता. होलटाइमर के जीवन की यन्त्रणा से त्रस्त होकर पीछे हटने का मौका पाते ही वह अपना रास्ता चुन ही लेता है. और उसका ऐसा करना कहीं से भी अनुचित और ग़लत नहीं है. किसी को भी किसी भी तरह से उस पर कटाक्ष करने का कोई हक़ नहीं बनता.

प्रत्येक व्यक्ति का आत्मनिर्णय का अधिकार चिन्तन और निर्णय की जनवादी प्रक्रिया में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखता है. और आत्मनिर्णय का वही अधिकार किसी भी युवा के लिये अपने जीवन के बारे में इस सबसे महत्वपूर्ण निर्णय में अपना पक्ष चुन लेने के समय भी सबसे महत्वपूर्ण होता ही है. जो 'भगत सिंह' बनना चाहेगा, उसे कोई रोक भी नहीं सकता. और जो ईमानदार अफ़सर बन कर अपने भ्रष्ट अधिकारी के अनुचित आदेशों का पालन करने या फिर इससे इन्कार करने पर बार-बार के अपने तबादलों से तंग रहने और तनावग्रस्त करते रहने वाली नौकरी करना चाहेगा या बेईमान अफ़सर बन कर घूसखोरी करना चाहेगा, उसे कोई 'भगत सिंह' भी नहीं बना सकता. 

मेरी समझ है कि हमारा दायित्व केवल हर युवा को जीवन के सत्य का साक्षात्कार करा देने और उसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लैस कर देना भर है. उसके बाद हमारा दायित्व उसके प्रत्येक उचित और जनपक्षधर निर्णय और आचरण के साथ मजबूती से खड़ा रह कर उसका मनोबल बढ़ाना और उसकी हर एक जनविरोधी सोच और करनी-करतूत का पूरी शिद्दत से विरोध करना ही बनता है.
ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश (9.7.14.)

Ashok Azami - "अगर अफ़सरी के लिए लड़ रहे छात्रों का समर्थन सही नहीं है तो सत्ता परिवर्तन (यानि सत्ता हासिल करने की लड़ाई) के लिए होने वाले इन्कलाब का समर्थन तो अपराध होना चाहिए.


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