Monday 28 July 2014

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने कहा था – "आओ मुकाबला करें !"

Photo: शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने कहा था –
"उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है?

दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें।

कोई दम का मेहमान हूँ, ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ।

मेरी हवाओं में रहेगी, ख़याल की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे न रहे।"

तर्ज़-ए-ज़फ़ा (अन्याय), सितम की इंतहा (अत्याचार की सीमा ), दहर (दुनिया), ख़फ़ा (क्षुब्ध), चर्ख (आसमान), ग़िला (शिकायत), जहां (संसार), अदू (दुश्मन), मुश्त-ए-ख़ाक (मुट्ठी भर मिट्टी), फ़ानी (नश्वर)

"उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है?

दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें।

कोई दम का मेहमान हूँ, ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ।

मेरी हवाओं में रहेगी, ख़याल की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे न रहे।"

तर्ज़-ए-ज़फ़ा (अन्याय), सितम की इंतहा (अत्याचार की सीमा ), दहर (दुनिया), ख़फ़ा (क्षुब्ध), चर्ख (आसमान), ग़िला (शिकायत), जहां (संसार), अदू (दुश्मन), मुश्त-ए-ख़ाक (मुट्ठी भर मिट्टी), फ़ानी (नश्वर)

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