Monday 28 July 2014

रमज़ान में रोटी !

Photo: रमज़ान में रोटी !
रोटी और संसद – धूमिल 
"एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ –
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।"

रोटी से खेलने वाले तीसरे आदमी के बारे में 
जो सवाल संसद से धूमिल ने पूछा था, 
उसका जवाब वक़्त ने दे दिया. 
उसका नाम है – शिव-सेना का अन्ध-हिन्दूवादी नेता ' !!

(17 जुलाई को दिल्ली के नवमहाराष्ट्र सदन में हुई घटना असामाजिक, असभ्य और ग़ैरक़ानूनी है क्योंकि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि राजन विचारे ने एक सरकारी कर्मचारी के मुंह में जबरन रोटी ठूंसने की कोशिश की, जैसा टीवी चैनलों ने दिखाया. 
यह घटना निंदनीय और घृणित हो जाती है जब उस कर्मचारी का नाम अरशद ज़ुबैर होता है, और चल रहे रमज़ान के महीने में वह रोज़ा रखे हुए होता है.
उसका नाम सरकारी वर्दी पर लिखा होता है लेकिन वहां मौजूद 11 सांसदों में से एक भी उसे पढ़ नहीं पाता, पढ़ना नहीं चाहता.)


रमज़ान में रोटी !
रोटी और संसद – धूमिल
"एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ –
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।"

रोटी से खेलने वाले तीसरे आदमी के बारे में
जो सवाल संसद से धूमिल ने पूछा था,
उसका जवाब वक़्त ने दे दिया.
उसका नाम है – शिव-सेना का अन्ध-हिन्दूवादी नेता ' !!

(17 जुलाई को दिल्ली के नवमहाराष्ट्र सदन में हुई घटना असामाजिक, असभ्य और ग़ैरक़ानूनी है क्योंकि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि राजन विचारे ने एक सरकारी कर्मचारी के मुंह में जबरन रोटी ठूंसने की कोशिश की, जैसा टीवी चैनलों ने दिखाया.
यह घटना निंदनीय और घृणित हो जाती है जब उस कर्मचारी का नाम अरशद ज़ुबैर होता है, और चल रहे रमज़ान के महीने में वह रोज़ा रखे हुए होता है.
उसका नाम सरकारी वर्दी पर लिखा होता है लेकिन वहां मौजूद 11 सांसदों में से एक भी उसे पढ़ नहीं पाता, पढ़ना नहीं चाहता.)

"ये सच है कि शिवसेना का रवैया मुसलमानों के प्रति कठोर रहा है. ये भी सच है कि प्रवीण तोगड़िया जैसे नेताओं के ज़हरीले बयान नज़रअंदाज़ किए जाते हैं. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हम भी हर घटना को हिंदू-मुसलमान के नज़रिए से देखने के आदी हो गए हैं. ये नज़रिया शिवसेना के व्यवहार से भी ख़तरनाक है...."http://beyondheadlines.in/2014/07/editorial-2/

रोज़ी (रोज़ा) रोटी, सेना और मीडिया

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