Thursday 11 December 2014

_____सवाल फैसले का : सलाह आपकी : तरीका जनवाद का_____

प्रिय मित्र, अचानक आज फिर एक निर्णय के दोराहे पर खड़ा हूँ. मुझे अपना मकान बदलना पड रहा है. जिस मकान में अभिषेक पण्डित जी सपरिवार किराये पर रहते हैं, उसमें उनके बगल वाले हिस्से में उनके साथ रहने के लिये उस मकान में 9000+बिजली का खर्च करने के पक्ष में निर्णय लिया जा रहा है.

जिस मकान में मैं पिछले तीन वर्षों से हूँ, इसमें कमरे छोटे हैं, जगह थोड़ी कम है, नमी, गन्दगी जैसी कुछ और असुविधाएँ हैं. और इसका किराया भी 4000+ बिजली था. उसका किराया 9000 + बिजली होगा. इस जगह से उसकी दूरी दस मिनट पैदल की है. उसमें इससे अधिक कमरे भी हैं, अधिक जगह भी है और बच्चों की साइकिलें खड़ी करने की भी भरपूर जगह है.

अगर इस फैसले पर कल शाम को मेरे बच्चे पर लगाये गये चरित्र सम्बन्धी झूठे आरोप की अचानक घटी घटना के कारण मुझे आज नहीं भी पहुँचना पड़ता, तो भी मुझे अपने विज्ञान-प्रयोगशाला और पुस्तकालय के लिये कम से कम एक और कमरा आने वाले दिनों में आस-पास भाड़े पर जुटाना ही पड़ता.

अब अचानक यह 5 हज़ार का बोझ हमारी 'Personality Cultivation Project व्यक्तित्व विकास परियोजना की अर्थव्यवस्था पर बढ़ने जा रहा है. इस परियोजना के केन्द्र में मेरी कामना है कि कुल लगभग 150+ (नौ, दस, ग्यारह, बारह और प्रतियोगिता के तीस-तीस के हिसाब से) बच्चे एक साथ निःशुल्क सीख सकें.

कृपया ध्यान दें कि यह पोस्ट मैं आप से पैसे की माँग करने की मंशा से नहीं लिख रहा हूँ. जैसा कि पिछले वर्ष त्रात्स्कीवादी राजेश त्यागी ने मेरे ऊपर आरोप लगाया था और अनेक मित्रों ने उनके उस गलत आरोप का खण्डन भी किया था.

इस मुद्दे पर जिन भी मित्रों का नम्बर मेरे पास थे, मैंने उन सबको इस आशय का एस.एम्.एस. किया. और उसके उत्तर के रूप में से मेरे दो बच्चों द्वारा एक-एक हज़ार के सहयोग का आश्वासन भी मुझे मिल चुका है.

यह पोस्ट मैं केवल आपकी सलाह लेने के लिये आप तक भेज रहा हूँ, ताकि यह फैसला भी मेरी ज़िन्दगी के दूसरे फैसलों की तरह ही जनवादी तरीके से लिया जाये. आप मेरे मित्र हैं और इसीलिये इस फैसले में भी आप का मत मेरे लिये उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना अभी तक के सभी फैसलों में रहता रहा था.

ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश (26.9.14. शाम 5.21)

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