Tuesday 31 March 2015

___सजग रहिए, हौसला बनाये रखिए ! ___


प्रिय मित्र,
मानवता की सेवा हमारा लक्ष्य है.
और वे मानवता के ही सजग शत्रु हैं.
मानवता की मुक्ति के संघर्ष के अभियान में अनेक विकट दौर आये हैं.
आज का दौर हमारे लिये तरह-तरह की मुश्किलों का दौर है.
हर तरह की मुश्किलों से दो-दो हाथ करना ही हमारे लिये आज के दौर की चुनौती है.
हिम्मत रखिये, साथी! हौसले के आलावा हमारे पास कुछ नहीं है.
वे चाहते हैं कि हम अपना हौसला छोड़ दें, पस्त हो जायें और उनके सामने आत्म-समर्पण कर दें.
ताकि वे हमें पट्टा पहिना कर अपना गुलाम बना सकें.
वे हमें हर क़दम पर हर तरह से ज़लील करके ठहाका लगाते हैं.

उनके पास दौलत है. उनकी दौलत अनेक तरह के ताल-तिकड़म से ग़रीबों की मेहनत-मशक्कत को निचोड़ कर ही जमा होती है.
उनके पास विशेषज्ञता है. अपनी विशेषज्ञता के सहारे वे और भी खूँख्वार हो जाते हैं.
उनके पास यश है. यश उनको अभामंडित करता है.
उनके पास लोक-लुभावन मधुर वाणी है. मधुर वाणी के पीछे वे अपने शकुनि को छिपाते हैं.

वे हमारे शुभ-चिन्तक होने का ढोंग करते हैं.
हमारी ज़िन्दगी की ढेर सारी छोटी-बड़ी परेशानियों में वे मदद करने का बार-बार वायदा करते हैं और जब हम अपने कर्तव्यों के निर्वाह के लिये अपनी छोटी-सी कूबत को नाकाफ़ी पाते हैं और उनके वायदे के सहारे थोड़ी-सी राहत की कल्पना कर रहे होते हैं, तो वे धीरे से अपने वचन से पीछे हट जाते हैं.
वे ऐसा एक बार नहीं, अनेक बार करते हैं.
वे हर क़दम पर अपने कथन से मुकरते रहते हैं और आगे-पीछे होते रहने को ही अपनी चालाकी समझते हैं.
ऐसा करते समय वे सामने वालों को बेवकूफ़ समझ रहे होते हैं.
यही उनकी फ़ितरत है.
इसे वे चालाकी का नाम देते हैं और हम अमानुषिकता का.
इस तरह हर बार मासूम लोगों को धोखा देने के बाद वे एक बार और मुस्कुराते हैं.
अपनी पाशविक ख़ुशी के लिये वे हर मुमकिन झूठ और झपसटई का ढोंग करते हैं.
इस हरकत में हर तरह से पहिचान लिये जाने के बावज़ूद वे अपनी धूर्तता और ढोंग को छोड़ नहीं पाते.
अन्ततःऐसा करके वे हमारे क्षोभ के नहीं करुणा के पात्र बन जाते हैं.

उनके स्वांग को पहिचान लेना और उनको उनकी औकात में रखना ही उनके साथ हमारे मनोवैज्ञानिक संघर्ष में हमको विजय और उनको पराजय दे सकता है.
इस द्वंद्व में हमारे काम को नुकसान पहुँच सकता है.
हम अपनी सीमाओं के चलते अपने काम को उस स्तर तक नहीं कर पा सकते हैं, जिस तक थोड़ी-सी मदद मिल जाने से कर ले जाना मुमकिन हो सकता है.
हमको उनको पहिचानना चाहिए और उनके कोरे वायदों को धता बता कर अपने संकटों का अपने धैर्य और अपने मुट्ठी-भर दोस्तों के सहारे मुकाबला करना चाहिए.
हमको अपनी विनम्रता और दृढ़ता को बनाये रखना है.
हमको उनकी धूर्तता पर मुस्कुराते हुए अपने दम पर आगे बढ़ना है.
भले ही कितना भी कम हो, मगर हमारा हर अगला क़दम हमारे लिये एक और सफलता लाता है और हमारी सफलता ही उनके षड्यन्त्र का माकूल जवाब है.
हमको ख़ुद का और अपने सारे साथियों का मनोबल बनाये रखना है.
दोस्ती ज़िन्दाबाद !!
"वह सुबह हमीं से आयेगी..."
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