Tuesday 31 March 2015

____घरड़ घरड़ – सुरजीत पातर____


"प्रेत बंदूकों से नहीं मरते
मेरी हर कविता प्रेतों को मारने का मंत्र है"
____घरड़ घरड़ – सुरजीत पातर____
मैं छाते जितना आकाश हूँ गूंजता हुआ
हवा की सांय सांय का पंजाबी में अनुवाद करता
अजीबोगरीब दरख्त हूँ
हजारों रंग बिरंगे फिक्रों से बिंधा
भीष्म पितामह हूँ छोटा सा
मैं तुम्हारे सवालों का क्या जवाब दूं

महात्मा गाँधी और गुरु गोबिंद सिंह की मुलाकात की
`वेन्यू` के लिए
मैं बहुत गलत शहर हूँ
मेरे लिए तो बीवी की गलबहियां भी कटघरा है
क्लासरूम का लेक्चर स्टैंड भी .
चौराहे की रेलिंग भी .
मैं तुम्हारे सवालों का क्या जवाब दूं

मुझ में से नेहरु भी बोलता है माओ भी
कृष्ण भी बोलता है कामू भी
वायस ऑफ़ अमेरिका भी , बी बी सी भी
मुझमें से बहुत कुछ बोलता है
नहीं बोलता तो बस मैं नहीं बोलता .

मैं आठ बैंड का शक्तिशाली बुद्धिजीवी
मेरी नाड़ियों की घरड घरड शायद मेरी है
मेरी हड्डियों की ताप संताप शायद मौलिक है
मेरा इतिहास वर्षों में बहुत लम्बा है
कर्मो में बहुत छोटा .

जब माँ को खून की जरूरत थी
मैं किताब बन गया
जब पिता को लाठी चाहिये थी
मैं बिजली की लकीर की तरह चमका और बोला
कपिलवस्तु के शुद्धोदन का ध्यान करो
माछीवाड़े की नज़र करो
गीता पढ़ी है तो विचारो भी :
``..कुरु कर्माणि संग त्यक्त्वा ..``
ऐसा ही बहुत जो मेरी समझ से परे था
मैंने कहा और निकल पड़ा .

रास्ते में भूमिगत साथी मिले
उन्होंने पूछा :
चलोगे हमारे साथ सलीब तक
कातिलों के क़त्ल की अहिंसा समझोगे ?
गुमनाम पेड़ से लटक कर
मसीही अंदाज़ में
सरकंडों को भाषण दोगे ?

जवाब में मेरे अन्दर कई तस्वीरें उलझ गईं
मैं अनेक फलसफों का कोलाज़ सा बन गया
आजकल कहता फिरता हूँ :

सही दुश्मन की तलाश करो
हरेक आलमगीर औरंगजेब नहीं होता

जंगल सूख रहे हैं
बांसुरी पर मल्हार बजायो
प्रेत बंदूकों से नहीं मरते
मेरी हर कविता प्रेतों को मारने का मंत्र है
मसलन ये भी
जिसमें मुहब्बत कहती है :
मैं दुर्घटनाग्रस्त गाडी का अगला स्टेशन हूँ
मैं रेगिस्तान पर बना हुआ पुल हूँ
मैं मर चुके बच्चों की तोतली हथेली पर
उम्र की लंबी रेखा हूँ
मैं मर चुकी औरत की रिकॉर्ड की हुई
हँसीभरी आवाज़ हूँ !

हम कल मिलेंगे !"
साथी Adnan Kafeel Ayyubi जी की वाल पर श्री Surendra Mohan Sharma की कलम से.


Surendra Mohan Sharma Thanks for this wonderful imprint !
March 14 at 8:45am · Unlike · 2


Girijesh Tiwari मित्र, यह कविता अद्भुत है. कल शाम से अभी तक मैं इसके सम्मोहन से बाहर नहीं निकल सका. लगता है यह मेरी अपनी ही कहानी है.
March 14 at 8:49am · Like · 2


Surendra Mohan Sharma ये उन सब की कहानी है जिन्होंने एक `स्वप्न `देखा था कोशिश की थी कि वो सच हो जाये . नहीं हो सका तो कही कोई कोर कसर रह गयी और कुछ गलत मलत हो गया सच नहीं हो सका .. उनमे मैं भी शामिल था गिरीश जी ..
March 14 at 8:57am · Unlike · 2


Girijesh Tiwari साथी, हम सभी अभी ज़िन्दा हैं और आज का माहौल भी हमारे सपने को साकार करने के लिये सबसे सटीक माहौल है. ऐसे में हम अपने स्तर पर हर मुमकिन कोशिश करना जारी रखेंगे और मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले कल का इतिहास एक बार फिर युवा भारतीयों की चेतना और कामना के अनुरूप पलटेगा.
March 14 at 9:32am · Like · 1


Surendra Mohan Sharma देखें !
March 14 at 12:50pm · Unlike · 2


Murli Chotia Bhai me speech less hu
March 14 at 7:08pm · Unlike · 3


Alam Khan · Friends with Shahbaz Ali Khan and 10 others
भाइ क्या बात हैं आपकी कल्पना कहू या आपबिती बस ये कविता शानदार है
March 20 at 11:11am · Unlike · 4


Awadhesh Yadav दोस्तों कविता अच्छी है.लेकिन प्रेत भी कविता लिखते है, प्रेत पैदा करने के लिएे.
लेकिन जीत हर हालत में इन्सानियत की ही होगी, क्योंकि प्रेत डरपोक होते है.
March 20 at 1:53pm · Unlike · 3

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